खूनी बवासीर को जड़ से खत्म कैसे करें : khooni bawasir ko jad se kaise khatam kare

आमतौर पर मल में खून आना खूनी बवासीर के लक्षण कहलाते है। जिसका प्रारम्भिक उपचार खूनी बवासीर के घरेलू इलाज आदि से किया जाता है। जिसके लिए खूनी बवासीर की दवाई की आवश्यकता पड़ती है। जिसमे खूनी बवासीर की दवा पतंजलि बहुत ही असरकारी है। परन्तु खूनी बवासीर की अचूक दवा, खूनी बवासीर को जड़ से उखाड़ फेकती है। तो आइये जानते है कि खूनी बवासीर को जड़ से खत्म कैसे करें?

खूनी बवासीर को जड़ से खत्म कैसे करें

सामान्य रूप से मल द्वार में दर्द होना, बवासीर का लक्षण माना जाता है। जिसका सबसे बड़ा कारण जीवनशैली में बदलाव आना है। जिसके चपेट में आने से हमारा आहार – विहार आदि प्रभावित होता है। जिसके परिणामस्वरूप हमारे गुदा में, मांस के अंकुर निकल आते है। जिसको आयुर्वेद में अर्श या पाइल्स के लक्षण कहा गया है। 

गुदा में निकलने वाले मस्सो से जब तक किसी प्रकार का कोई स्राव नहीं निकलता। तबतक उन्हें बादी बवासीर के लक्षण से जाना जाता है। परन्तु जब दर्द के साथ या दर्द के बिना मल में खून आना शुरू हो जाता है। जो गुदास्राव कहलाता है। तब इसे ही खूनी बवासीर कहा जाता है। जिसमे किसी न किसी प्रकार का स्राव होते रहना, इसका प्रधान लक्षण है। जिसके कारण इसे परिस्रावी बवासीर के भी नाम से जाना जाता है। 

खूनी बवासीर क्या है ( khuni bawasir kya hai )

अमूमन पित्त दोष की प्रधानता से होने वाली बवासीर को खूनी बवासीर कहते है। जो पित्त प्रधान होने से आकर में छोटे, हरे या पीले रंग के, स्राव युक्त अथवा गीले होते है। जिनके मस्सो से कुछ न कुछ खून या मवाज आया करता है। जिसको जानने समझने के लिए, बवासीर क्या होता है बताइए लोग पूछा करते है।  

खूनी बवासीर के मस्से प्रायः गुदा के अंदर पाए जाते है। जिसके कारण इन्हे अंदरूनी बवासीर भी कहा जाता है। जिसके लिए बवासीर के मस्से को जड़ से खत्म करने का उपाय परम उपकारी है। आजकल यह बच्चो से लेकर, किसी भी उम्र के लोगो में देखा जा सकता है। 

खूनी बवासीर होने का कारण ( khuni bawasir hone ke karan )

आयुर्वेदानुसार अतिसार, बवासीर और संग्रहणी को एक दुसरे का कारण माना जाता है। जिसका मूल कारण मलत्याग के समय गुदा में रगड़ लगना है। जिसके आयुर्वेद में निम्न कारण बताये गए है –

  • तीखे, नमकीन, अधिक गर्म खाद्य पदार्थो का अत्यधिक सेवन करने से 
  • तलेभुने, चटपटे, मसालेदार और विरुद्ध आहार करने से 
  • गरिष्ट और देर से पचने वाली खाद्य वस्तुओ का सेवन करने से
  • अधिक समय तक बैठे रहने या खड़े रहने से
  • क्षमता से अधिक भार उठाने से
  • अधिक क्रोध करने से
  • अधिक समय तक धूप और अग्नि का सेवन करने से
  • मल – मूत्र जैसे अधारणीय वेगो को धारण करने से
  • अधिक पुरुष / स्त्री प्रसंग में लिप्त रहने से
  • मात्रा से अधिक या कम भोजन करने से
  • गुणवत्ता युक्त एवं पर्याप्त मात्रा में पानी न पीने से
  • गर्म तासीर एवं जलनकारी पेय, औषधियों और खाद्य वस्तुओ का सेवन करने, आदि। 

खुनी बवासीर के लक्षण ( khooni bawaseer ke lakshan )

खुनी बवासीर के लक्षण

बवासीर की पहचान और निदान के लिए, बवासीर के लक्षण इन हिंदी पाइल्स की आवश्यकता पड़ती है। जिसके लिए खूनी बवासीर के लक्षण बताइए की बात होती है। हालांकि महिला और पुरुष बवासीर के लक्षण में अंतर पाया जाता है। फिर भी इसमें निम्न लक्षण देखे जाते है – 

  • मल का रंग काला, कडा एवं सूखा होना
  • मल त्याह के दौरान गुदा में असहनीय दर्द होना
  • मल त्याग के बाद दर्द होना
  • मल द्वार में जलन और दर्द होना
  • मल त्याग के समय गुदा में दर्द होना 
  • मल में सफेद बलगम आना
  • मल का पतला और झागदार होना 
  • मल में आंव आना
  • मलत्याग के समय मल से खून आना 
  • मलत्याग के दौरान या बाद दर्द के बिना मल में खून आना 
  • मलत्याग के बाद गुदा से खून गिरना, आदि। 

खूनी बवासीर का इलाज और परहेज ( khuni bawasir ka ilaj )

khuni bawasir ka ilaj

खूनी बवासीर का इलाज करने के लिए, आयुर्वेद ने दोषो के निवारण की बात कही है। जिसमे वात, पित्त और कफ प्रधान रूप से आते है। इसके साथ दोषो का संश्लेष भी पाया जाता है। जिसके कारण ये तीन प्रकार के देखे जाते है –

1) एकल दोष

केवल पित्त दोष की प्रधानता से होने वाली, खूनी बवासीर को एकल दोषज बवासीर कहा जाता है।  

2) द्वंदज दोष

पित्त की प्रधानता और संश्लिष्ट दोष ( वात और कफ ) के कारण प्रधान रूप से देखे जाते है। जो दो प्रकार के होते है –

  • वातानुबन्धी खूनी बवासीर
  • कफानुबन्धी खूनी बवासीर

वातानुबन्धी खूनी बवासीर में पित्त के साथ वात दोष का अनुबंध होता है। और कफानुबन्धी खूनी बवासीर में पित्त के साथ कफ का दोष का अनुबंध पाया जाता है। जिससे उपचार करते समय, इनके उपचार की विधि में अंतर आ जाता है।   

3) सन्निपातिक  

यह तीनो दोषो के सम्मिलन से होने वाली खूनी बवासीर है। जिससे इसकी पहचान करने में जितनी सजगता बरतनी पड़ती है। उतना ही इसका उपचार करना कठिन होता है।  

फिर भी आयुर्वेद स्वास्थ्य परक विधाओं और युक्तियों का खजाना है। जिसमे सभी तरह की स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओ का पूर्ण और स्थायी समाधान समाहित है। जिसमे बवासीर की गारंटी की दवाई से लेकर बवासीर के घरेलू उपाय तक बताये गए है। इसके बावजूद लोग खूनी बवासीर का इलाज बताये की बात करते है।  

खूनी बवासीर की दवाई ( khooni bavasir ke davai )

खूनी बवासीर की दवाई

 

दोषो में विविधता के कारण, खूनी बवासीर की विधि और बवासीर की दवा ( bavasir ki dava ) में भेद है। उदाहरण के लिए – पित्तज और रक्तज बवासीर में विरेचन और संशमन के चिकित्सा की बात कही गई है। जबकि वातज बवासीर में स्नेह, स्वेद, वमन, विरेचन, आस्थापन और अनुवासन की बात बतलाई गई है। वही कफज बवासीर में अदरक और कुल्थी आदि के उपयोग की बात आयी है। 

सभी दोषो से मिलकर होने वाली बवासीर ( सन्निपातिक ) में, सभी दोषो को दूर करने वाली चिकित्सा विधि और दोषो के अनुकूल आयुर्वेदिक औषधियों सिद्ध दूध के सेवन को उपकारी बताया गया है। अस्तु बवासीर की दवा के बारे में जानना कोई सामान्य बात नहीं। इसलिए इनका बहुत ध्यान से और विधि पूर्वक उपयोग ही फलदायी है।

महिलाओ और पुरुषो की जननांगीय संरचना में भेद पाया जाता है। जिसके कारण महिला बवासीर के लक्षण पुरुषो से अलग होते है। जिसके कारण महिलाओ और पुरुषो में प्रयोग होने वाली, दवा में भी अंतर आ जाता है। फिर भी खूनी बवासीर में उपयोगी दवाई निम्न है – 

खूनी बवासीर की दवा आयुर्वेदिक ( khooni bawasir ayurvedic dawa )

आयुर्वेद में बताये गई औषधियों को ही, खूनी बवासीर की आयुर्वेदिक दवा कहा जाता है। जिनका प्रयोग खूनी बवासीर के मस्सो के उपचार, और इससे संबंधिक अन्य समस्याओ से निजात पाने के लिए किया जाता है। यह उपाय न केवल खूनी बवासीर के मस्सो से, निकलने वाली खून को रोकते है। बल्कि मस्सों में होने वाली दर्द और शूल को भी नष्ट करने के साथ, खूनी बवासीर के कारणों का स्थायी रूप से समाधान भी करते है।  

  • कुटजफल, नागकेसर, नीलकमल, कूड़े की छाल, लोध, धाय के फूल 1 – 1 तोला लेकर सबको पीसकर चटनी बना ले। इसके पश्चात इसमें 4 गुना अर्थात 24 तोला घी मिला ले। इसके बाद इसमें घी का 4 गुना पानी मिलाकर, यथाविधि घी सिद्ध कर ले। जिसका सेवन करने से गुदा में दर्द देने वाला, खूनी बवासीर का मस्सा भी नष्ट हो जाता है।
  • अनार के छिलको को पानी के साथ पत्थर पर पीसकर निकाले हुए रस में चीनी मिलाकर पीने से खूनी बवासीर नष्ट हो जाती है।
  • एक तोला कुटज की छाल को पत्थर पर मठ्ठे के साथ पीसकर, मठ्ठे में ही घोलकर प्रतिदिन पीने से खूनी बवासीर के मस्सों से गिरता हुआ रक्त बंद हो जाता है।  
  • काले तिलों को एक तोले भर कर पत्थर पर पीसकर, एक तोला चीनी मिलाकर। प्रतिदिन सुबह सबेरे खाकर बकरी का दूध पीने से बवासीर में मस्सों से गिरता हुआ रक्त तत्काल बंद हो जाता है।        
  • राल के चूर्ण को सरसो के तेल के साथ घोटकर, गुदा के अंकुरों को धूपित करने से मस्सों से निकलने वाला खून बंद हो जाता है।
  • इसके साथ लैट्रिन में खून आये तो क्या खाना चाहिए का ध्यान रखना भी आवश्यक है। 

खूनी बवासीर के घरेलू इलाज ( khooni bawaseer ka desi ilaj )

खूनी बवासीर के घरेलू इलाज

बवासीर की देशी दवा ( bavasir ki desi dava ) ही, बवासीर का इलाज घरेलू नुस्खा कहलाता है। जिसके कारण इसको बवासीर की घरेलू दवा भी कहते है। जोकि पूर्णतया आयुर्वेदिक उपाय है। जिनका प्रयोग बवासीर पर बहुत ही लाभकारी है। जिसके कुछ नुस्खे इस प्रकार है – 

  • अनार के बीजो को हांथो से मसलकर निकाले हुए स्वरस में, प्रतिदिन चीनी मिलाकर पीने से खूनी बवासीर नष्ट हो जाती है।   
  • कमलिनी का ताजा कोमल पत्ता लेकर, पत्थर पर पीसकर बकरी के दूध में घोलकर। उसमे चीनी मिलाकर प्रतिदिन प्रातः काल खाली पेट पीने से, मनुष्य स्राव युक्त खूनी बवासीर से मुक्त हो जाता है।   
  • दो तोले मक्खन में एक तोला काले तिल का चूर्ण मिलाकर, प्रतिदिन खाने से रक्तस्रावयुक्त मस्से नष्ट हो जाते है।
  • 6 माशा नागकेसर के चूर्ण में, 2 तोला मक्खन और 2 तोला चीनी तीनो को मिलाकर। प्रतिदिन प्रातः काल सेवन करने से, रक्तस्रावयुक्त गुदा में होने वाला बवासीर का मस्सा नष्ट हो जाता है।
  • दही के ऊपर जमी हुई मलाई को थोड़े से पानी के साथ मथकर, प्रतिदिन पीने से रक्तस्रावयुक्त बवासीर को नष्ट कर देता है।       

खूनी बवासीर की दवा पतंजलि ( piles medicine in patanjali )

खूनी बवासीर की अचूक दवा पतंजलि में बताई गई है। जिसका नियम पूर्वक सेवन करने से, खूनी बवासीर से राहत मिलती है। जिसकी लाभकारी पतंजलि बवासीर की दवा ( patanjali piles medicine ) निम्नलिखित है –

दिव्य अभयारिष्ट – यह प्रसिद्द बवासीर की सिरप है। जो बवासीर में लाभ करती है। यह सभी प्रकार के पेट रोगो के साथ, बवासीर की भी गुणकारी दवा है।

दिव्य अर्शकल्प वटी – बवासीर को मिटाने की यह प्रधान दवा है। जिसका उपयोग लगभग सभी प्रकार की बवासीर में किया जाता है। यह बवासीर को मिटाने के साथ, इसके अन्य समस्याओ में भी लाभ करती है।  

इसके अतिरिक्त हरीतकी चूर्ण, त्रिफला चूर्ण, दिव्य त्रिफला गुग्गुल आदि भी प्रभावकारी है। जिनके उपयोग से खूनी बवासीर से हमें राहत मिलती है। 

बवासीर के लिए मुद्रा ( mudra for piles )

ashwini mudra for piles

बवासीर के लिए अश्वनी मुद्रा ( ashwini mudra for piles ) बहुत ही लाभदायक है। जिसका अभ्यास खाली पेट करना अधिक फलदायी होता है। अश्वनी मुद्रा को अश्व अर्थात घोड़े से लिया गया है। जिसका अभ्यास करने से घोड़े जैसी ऊर्जा और स्फूर्ति सहज रूप से प्राप्त होती है।

अश्वनी मुद्रा को घोड़े के मलत्याग के जैसे किया जाता है। जिसमे घोड़ा मलत्याग के बाद अपनी गुदा को अंदर की और सिकोड़ता है। जिससे गुदा की शिराओ एवं जननांगो आदि पर विशेष रूप से प्रभाव पड़ता है। जिससे गुदा और जननांग से सम्बंधित सभी प्रकार की समस्याओ में लाभ मिलता है। 

इसको करने के लिए दैनिक क्रिया से निवृत्त होकर, सिद्धासन में शांति से आसन पर बैठ जाए। इसके बाद गुदा पर ध्यान को केंद्रित करते हुए, गुदा और जननांग को अंदर ( ऊपर ) की ओर सिकोड़े। जिसमे दो प्रक्रियाए है –

  1. जल्दी – जल्दी गुदा को सिकोड़े और ढीला करे।
  2. साँस को अंदर ले एवं रोककर रखे। इसके बाद सांस को रोके हुए ही गुदा को सिकोड़े। जब तक रोक सके तब तह रोके, उसके बाद पहले गुदा को ढीला करे फिर साँस छोड़े। कुछ क्षण रुके इसके बाद पुनः दोहराये। ऐसा करते हुए इसके समय को बढाए। इस प्रक्रिया को जालंधर बंध के साथ भी किया किया जा सकता है।      

खूनी बवासीर में क्या परहेज करना चाहिए

बवासीर सावधानियों को ही आयुर्वेद में परहेज कहा जाता है। जो खूनी बवासीर के लक्षण और उपचार के बाद की प्रक्रिया है। जिसमे खूनी बवासीर में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं आदि के बारे में विस्तार से बताया गया है। फिर भी कुछ ऐसी दैनिक क्रियाए है। जिनका प्रतिषेध खूनी बवासीर में लाभकारी है। जैसे –

  • रात्रि में अधिक देर तक जगना और दिन में देर तक सोना
  • रिफाइंड नमक और चीनी का इस्तेमाल करना
  • रिफाइंड अथवा जले हुए तेल का प्रयोग भोजन बनाने के लिए करना
  • रेशा या फाइबर हीन खाद्य सामाग्रियो का भक्षण करना
  • बासी भोजन खाना 
  • असमय में भोजन करना ( आधी रात और आधा दिन बीतने के बाद )
  • दिन में दूध पीना
  • रात्रि में फल खाना
  • कार्बोनेटेड या सॉफ्ट ड्रिंक का प्रयोग करना
  • बेमौसम के फल और सब्जियों आदि का सेवन करना, आदि।     

बवासीर झाड़ने का मंत्र 

मंत्रोपचार की विधा में बवासीर को शाबर मंत्रो से झाड़ा जाता है। जिसे बवासीर झाड़ने का मंत्र कहते है। जिसमे अनेको प्रकार के अर्थहीन मंटो का प्रयोग किया जाता है। जिनका अपना कोई विशेष अर्थ नहीं होता। फिर भी शिव आदि को समर्पित, शब्द की अचिन्त्य शक्ति से प्रभावकारी होते है। वैदिक जगत के अनुसार बवासीर का झाड़ा लगाने का मंत्र निम्न है –

” ओम नमो नमो सिद्ध नमो चौरासी उदर जड़ी रक्त सड़ी चूवे मत खड़ी पडी तोहे देखे लोना चमारिन धूप गूगल की दी अग्यारी जो रहे बवासीर तो हजार हराम गुरु गोरख की शक्ति आन गौरी माई की। “

उपसंहार :

खूनी बवासीर से निपटारा पाने के लिए, बवासीर के लक्षण व उपचार की आवश्यकता होती है। जिसमे बवासीर की दवाई के साथ, धैर्य और मनोबल का विशेष योगदान होता है। इनमे तारतम्य न साधने पर खूनी बवासीर की अचूक दवा असरकारी नहीं होती है। जबकि मनोबल और विशवास होने पर, खूनी बवासीर के घरेलू इलाज पर्याप्त है।   

ध्यान रहे : किसी भी दवा या उपाय का उपयोग करने से पूर्व, विशेषज्ञीय सलाह लेना अनिवार्य है। 

सन्दर्भ :

चरक संहिता चिकित्सा अध्याय – 14

सुश्रुत संहिता चिकित्सा अध्याय – 06

भैषज्यरत्नावली अर्श रोग चिकित्सा प्रकरण – 09

 

FAQ

खूनी बवासीर का घरेलू इलाज क्या है?

एक तोला कुटज की छाल को मठ्ठे में पीसकर, सुबह खाली पेट पीते रहने से खूनी बवासीर खत्म हो जाती है।

खूनी बवासीर की सबसे अच्छी दवा कौन सी है? 

आयुर्वेद में कुटज को खूनी बवासीर की सबसे अच्छी दवा कहा गया है। जिसका सेवन करने से पित्त दोष का नाश होता है। जिससे पेट और गुदा की जलन के साथ खूनी बवासीर से राहत मिलती है। 

बवासीर का ज्योतिषीय उपचार क्या है?

ज्योतिष शास्त्र को मानने वाले लोग, बवासीर का ज्योतिषीय उपचार करते है। जिसमे मंगल और शनि ग्रह को मुख्य रूप से उपचारित करते है।   

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