सदियों से मोटे अनाज हम भारतीयों की थाली का अभिन्न हिस्सा रहे है। पौराणिक कृषि में हमारे पूर्वज मोटे अनाज को ही उपजाते थे। क्योकि वे मोटे अनाज के फायदे जानते थे। शायद इसीलिए भारतीय सनातन युग का स्वर्णिम काल कहा जाता है।
ज्यादातर मोटे अनाज को उपजाने में, किसी तरह के कृत्रिम खाद की भी आवश्यकता नहीं पड़ती। बल्कि इनको उगाने में पानी कम लगने के साथ – साथ, बिना जंतु और कीट नाशक के ही उग जाया करते थे। जिससे इनके पैदावार में लागत बहुत ही कम आती थी। फिर इसके साथ इनकी उत्पादकता प्रति वर्ष बढ़ती जाती थी। जो पीढ़ी दर पीढ़ी लगातार बढ़ती रहती थी।
जिसके कारण कम मेहनत और बिना जेब ढीली किये, पौष्टिकता से भरपूर मोटे अनाज हमें खाने को मिलते थे। इस कारण हमारे भोजन की थाली में मोटे अनाजों को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त था। जिन्हे आजकल हम मिलेट ( millet ) कहते है। लेकिन आजकल लोग मोटे अनाज के बारे में प्रायः नहीं जानते। जिससे इनके दिमाग में सवाल उठ खड़ा होता है कि मोटे अनाज किसे कहते हैं?
हरित क्रांति आदि आने के बाद से, मोटे अनाज के बीजों का जैसे अकाल पड़ गया। जिससे भारत जैसे कृषि प्रधान देशों में भी, मिलेट की खेती अप्रत्याशित रूप से घटने लगी। जिससे मोटे अनाजों के उपजाने की परम्परा टूट गयी। जिसके दुष्प्रभाव के रूप में हम कुपोषण आदि का शिकार होने लगे। जिससे बीमारिया हमारे भीतर अपना पैर पसारने लगी।
मोटे अनाज किसे कहते हैं ( mote anaj kise kahate hain )?
आयुर्वेद में धान्यो के पांच प्रभेद बताये गए है। जिसमे से छोटे और गोल आकार के बीजो को, क्षुद्र धान्यो के अंतर्गत रखा गया है। जिनकी उत्पत्ति घास जैसे पौधों से होती है। जोकि क्षुद्र धान्यो की विशेषता है। जिनसे इनकी पहचान की जाती है।
आधुनिक समय में मिलेट छोटे बीज वाली घासो का विविध समूह है। जो विश्व में अधिकांशतः पशुओ के चारे और मानव भोजन के लिए उपजाया जाता है। विकीपीडिया के अनुसार मिलेट लगभग 7000 वर्षो से खाया जा रहा है। जबकि आयुर्वेद की दृष्टि में धान्यो का सेवन अनादि कल से किया जा रहा है।
परन्तु आधुनिक समय में चना, मटर आदि को भी मिलेट कहा जाता है। जो सर्वथा आयुर्वेद के विरुद्ध है। जिसके कारण दोनों में तालमेल नहीं सधता। सध भी कैसे सकता है। दोनों विपरीत विचार धारा है। जबकि भारतीय कृषि में इन्हे दलहन के अंतर्गत रखा गया है। लेकिन तकनीकी दृष्टि से इन्हे भी मिलेट कहा जाता है।
दुनिया भर में बाजरा और ज्वार सर्वाधिक उपजाए जाने वाले मिलेट है। फिर चाहे इन्हे महुष्यो के भोजन के रूप में उपजाया जाता हो, या पशुओं के चारे के रूप में। जबकि आज जितने भी मोटे अनाज है। सब के सब भारतीय मिलेट ( indian millet ) है। लेकिन आजकल ज्वार, बाजरा, रागी, सांवा और कोदो को इंडियन मिलेट कहा जाता है।
मिलेट न्यूट्रीशनल वैल्यू ( millet nutritional value )
मोटे अनाज में निम्नलिखित पोषक तत्व पाए जाते है –
- रियासिन
- रिबोफ्लेविन
- थियामिन
- कैरोटिन
- आयरन
- कैल्शियम
- फॉस्फोरस
- प्रोटीन
- खनिज
- कार्बोहाइड्रेट
- और फाइबर, आदि।
डा खादर वल्ली आधुनिक युग के मिलेट अन्वेषण करता माने जाते है। जिनके अनुसार मिलेट हम मुष्यों के लिए आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर है। जिससे मोटे अनाज के व्यंजन खाने में स्वादिष्ट और पोषकता देने वाले होते है।
मिलेट ग्लिसेमिक इंडेक्स ( millet glycemic index )
किसी भी खाद्य पदार्थ में पाए होने वाले कार्बोहाइड्रेट और फाइबर के अनुपात को, ग्लासेमिक इंडेक्स कहा जाता है। जो उस पदार्थ को खाने के बाद, हमारी रक्त शर्करा का मानक कहलाता है। जिसको सांकेतिक रूप से हम कार्बोहाइड्रेट / फाइबर लिखते है।
आमतौर पर हमें तीन तरह के ग्लाइसेमिक इंडेक्स देखने को मिलते है –
- तीव्र गिलाइसेमिक इंडेक्स ( कार्बोहाइड्रेट / फाइबर ) = >70
- मध्यम ग्लाइसेमिक इंडेक्स ( कार्बोहाइड्रेट / फाइबर ) = 50 – 70
- न्यून ग्लाइसेमिक इंडेक्स ( कार्बोहाइड्रेट / फाइबर ) = <50
परन्तु मिलेट का ग्लाइसेमिक इंडेक्स इकाई के अंकों में होता है, अर्थात 10 से भी कम होता है। इस कारण किसी भी व्यक्ति के लिए मिलेट खाने के कोई भी नुकसान नहीं है।
मोटे अनाज के फायदे ( benefits of millets in hindi )
मोटे अनाज में पाए जाने वाले गुणों के अनुसार ही, मोटे अनाज के फायदे ( mote anaj ke fayde ) है। जिन्हे हम मिलेट के फायदे ( millet benefits ) भी कहते है।
रक्त शर्करा संतुलित रहती है
मिलेट का ग्लाइसेमिक इंडेक्स बहुत ही कम होता है। जो अधिकांश मामलों में दहाई ( दो अंको ) से अधिक नहीं होता। जिससे इनका सेवन करने से, हमारी रक्त शर्करा का स्तर संतुलित रहता है। जिससे हमें जीर्ण और असाध्य रोगो होने के संभावना कम होती है।
मधुमेह रोग को ख़त्म करता है
शुगर की समस्या आमतौर पर खून में चीनी की मात्रा के बढ़ने पर देखा जाता है। जिससे मधुमेह रोगी को अपने खान – पान में विशेष ध्यान रखना होता है। लेकिन पॉजिटिव मिलेट खाने से, मधुमेह होने की आशंका नहीं रह जाती है। जिसका सबसे बड़ा कारण इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स इकाई के अंक से ऊपर नहीं होता। जिसके कारण मधुमेह रोग को जड़ समाप्त करने में मोटे अनाज के फायदे है।
रक्तचाप से सम्बंधित समस्याए नहीं होती
मिल्लेट्स में फाइबर अन्य अनाजों से अधिक पाया जाता है। जिससे मिलेट को खाने से धीरे – धीरे पचता है। इसकारण हमारे खून में ग्लूकोज आदि की मात्रा असंतुलित नहीं होती। जिसके कारण हमें रक्त चाप से सम्बंधित समस्याए नहीं होती।
ह्रदय और मस्तिष्क के आघात से बचाता है
रक्तचाप के संतुलित रहने पर, हमारे भीतर आघात की समस्या नहीं होती। फिर चाहे वह मस्तिष्क में हो या ह्रदय में हो, अथवा शरीर के अन्य किसी अंग में क्यों न हो। लेकिन ह्रदय का आघात अधिक कठिन माना जाता है, क्योकि हृदय के आघात आने पर मृत्यु की आशंका सबसे अधिक होती है। लेकिन मस्तिष्क में आघात आने पर आक्षेप और लकवा जैसी समस्याए होती है। जो मिलेट का सेवन करने पर प्रायः नहीं होती।
आसानी से पेट साफ होता है
मिलेटस में फाइबर की पर्याप्त मात्रा पायी जाती है। जिससे आँतों की सफाई आसानी से हो जाती है। इस कारण आँतों में गंदगी नहीं बैठ पाती। इसकारण बड़ी आसानी से मल मलाशय के सहित गुदा द्वार से बाहर निकल जाता है। इसलिए पेट की सफाई करने में मोटे अनाज के फायदे है।
पेट में कब्ज और गैस आदि की समस्या नहीं होती
आंतो के साफ़ रहने से जठराग्नि तीव्र हो जाती है। जिसके कारण भोजन आसानी से पचता है। इसके साथ पेट की प्रतिलोमित वायु अनुलोमित हो जाती है। जो पेट में कब्ज आदि को होने से रोकती है।
किडनी रोग होने की गुंजाइस नहीं रहती
मिलेट गुर्दों के लिए बहुत ही हितकारी है। यह पेशाब में होने वाली जलन, बहुमूत्रता आदि को समाप्त करने में सहायक है। यह पेशाब में बढे हुए एल्ब्युमिन और क्रेटेनाईन को भी दूर करता है। इसलिए गुर्दा रोग में मोटे अनाज के फायदे है।
कैंसर से बचाव और उपचार में सहायक है
मानव शरीर में होने वाले रोगों में, कैंसर बड़ा ही घातक और विध्वंशक रोग माना गया है। जो अधिकांश शरीर के ऊतकों और कोशिकाओं में गड़बड़ी के कारण पैदा होता है। जिसको दूर करने में मोटे अनाज के फायदे है।
त्वचा रोगों को दूर करता है
सभी प्रकार के त्वचा रोगों में मोटे अनाज के फायदे है। फिर चाहे वह दाद, खाज और खुजली हो। अथवा भीषण एक्जिमा और सोरायसिस रोग हो।
आँखों की रोशनी बढ़ाता है
आँखों का लाल होना, उनमे खुजली होने जैसी समस्याओं में मोटे अनाज के फायदे है। इसके अतिरिक्त आँखों के ग्लूकोमा और आँखों की रोशनी बढ़ाने में भी सहायक है।
मोटे अनाज के नुकसान ( millet side effects in hindi )
उपयुक्त विधि और मात्रा में मोटे अनाजों का सेवन करने से, प्रायः किसी तरह का कोई नुकसान नहीं होता है। लेकिन आयुर्वेद में बताये गए मोटे अनाजों के सेवन की, अनदेखी करने पर मिलेट के नुकसान है। जिससे हर तरह के मिलेट को सेवन करने की विधि का पालन करना आवश्यक है।
बिना पॉलिस किया हुआ, मिलेट खाने के फायदे है। लेकिन आजकल मिलेट मिल में, इनको आकर्षक और चमकदार बनाने के लिए, इनकी ऊपरी परत को निकाल दिया जाता है। जिसका सेवन करने पर हमें उतना लाभ यही मिलता जितना कि मिलना चाहिए। इसलिए मिलेट का सेवन, हमेशा अनपोलिस्ज़्ड ( unpolished ) ही करना चाहिए।
उपसंहार :
मिलेट धरती पर उगने वाला, सबसे उत्तम कोटी का अनाज है। इस कारण हमें स्वस्थ रखने और बीमारियों से बचाने में मोटे अनाज के फायदे है। लेकिन गलत तरीके से और मात्रा से अधिक उपयोग करने पर, मोटे अनाज के नुकसान भी है।
मोटे अनाज की दो सबसे बड़ी खूबी, जो इसे अन्य अनाजों से अलग बनाती है। वह इसमें पाया जाने वाला ग्लाइसेमिक इंडेक्स है। यह मिलेट में पाए जाने वाले कार्बोहाइड्रेट और फाइबर का अनुपात है। जो मोटे अनाज अन्य खाद्य वस्तुओ की तुलना में बहुत संयतुलित होता है। इस कारण मिलेट का सेवन करना अन्य खाद्य वस्तुओ का अच्छा विकल्प है।
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