ऋतु परिवर्तन के परिणाम के रूप में फ्लू की समस्याए अक्सर देखने में आती है। जैसे – आँखे आना ( red eye ), फोड़ा – फुंसी, अलग – अलग प्रकार के बुखार के सहित आई फ्लू ( eye flu ) आदि। जिसके होने पर आँखे लाल, कीचड़ से भरी, चिपचिपा पानी निकलते रहने के साथ, चुभन वाला दर्द, जलन और खुजलाती रहती है। जिससे आँखे खोलने पर चकाचौध के कारण, दृष्टि धूमिल हो जाती है। कभी कभार तो आँखे रोशनी के प्रति असहिष्णु भी हो जाया करती है।
हालाकिं इस समस्या को आँखों का कंजंक्टिवाइटिस ( conjunctivitis eye ) भी कहा जाता है। जिसमे आँखे सामान्य प्रकाश के प्रति असहिष्णु हो जाती है। जिसके कारण पीड़ित व्यक्ति उजाले में जाने पर आँख बंद कर लेता है। इसके प्रभाव में आते ही यह आँखों को लाल कर देता है। जिसके कारण इसे रेड ऑय डिजीज ( red eye disease ) भी कहा जाता है।
यह विषाणु और जीवाणु जनित रोग है। जिसे आँख आना भी कहा जाता है। यह समस्या अक्सर तब देखी जाती है। जब वातावरण में नमी होती है। जिसे आद्रता भी कहा जाता है। जो वायरल बीमारियों के अनुगमन का माध्यम बनती है। वही बैक्टीरियल बीमारियों के प्रसार के लिए, नमी युक्त वातावरण अधिक उपयुक्त होता है। जिसके चलते इस मौसम में दोनों प्रकार के फ्लु के फैलने का ख़तरा होता है।
आई फ्लू क्या है ( What is eye flu in hindi )
यह एक प्रकार का आँखों में होने वाला संक्रमण है। जो खासकर नम मौसम में होता है। जिसके लिए बरसात और ठंड दोनों ही अनुकूल है। ऑय फ्लू वायरस और बैक्टीरिया के कारण होने वाली बीमारी है। जिसके कारण इसको तेजी से फैलने वाली बीमारी कहा जाता है।
अक्सर यह संक्रमण सामान्य होता है, लेकिन नजरअंदाज करने पर भीषण भी हो सकता है। जिसमे आँखे में विविध प्रकार के बदलाव देखे जाते है। जैसे – आँखों में सूजन, लालिमा, जलन और खुजली के साथ चुभन आदि की समस्या होती है। जिसे आँख आना भी कहा जाता है।
आई फ्लू होने का कारण ( causes of eye flu in hindi )
आमतौर पर सीजनल आई फ्लू होने के दो प्रमुख कारण है –
विषाणु संक्रमण : यह एक प्रकार का विषाणु है, जिसे आंग्ल भाषा में वायरस कहा जाता है। यह मृत शरीर के साथ ठोस, द्रव और हवा में रहता है। जो जीवित व्यक्ति के संपर्क में आकर, जीवित हो उठता है। जिसके उपद्रव को रोकने के लिए, हमारे शरीर का प्रतिरोधी तंत्र विरोध करता है। जिसकी प्रतिक्रिया आँखों पर संक्रमण के रूप में दिखाई देती है।
जीवाणु संक्रमण : हमारे आस – पास पाए जाने वाले, जीवाणु अनेक प्रकार के विषाणुओ को अपने साथ लेकर चलते है। जिससे यह वायरस को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाते है। जिसके कारण वायरस अपना प्रभाव दिखाते है। जबकि इन जीवाणुओ में भी संक्रमणकारी तत्व मौजूद होते है। जिसके कारण आँखों पर संक्रमण हो सकता है।
आई फ्लू के लक्षण ( eye flu symptoms in hindi )
आई फ्लू से संक्रमित लोगो में निम्न लक्षण देखे जा सकते है –
- आँखों का लाला हो जाना
- आँखों से पानी आना
- आँखों का सूज जाना
- आँखों से धुंधला दिखाई पड़ना
- आंखो से कीचड़ ( कीचर ) आना
- आँखों की पलकों का आपस में चिपक जाना
- आँखे गड़ना या चुभन होना
- आँखों में खुजली होना
- आँखों में जलन होना
- आँखों पर धूप और रोशनी ( प्रकाश ) सहन न होना
- आँखों में दर्द और थकान महसूस होना, आदि।
आई फ्लू का इलाज ( eye flu treatment in hindi )
सभी तरह के फ्लू का इलाज शरीर स्वयं प्रतिरक्षा तंत्र के माध्यम से करता है। जिसके लिए यह विविध प्रकार के उपक्रम को अपनाता है। जिसके चलते ज्यादातर संक्रमण, अपने आप ही नष्ट हो जाया करते है। परन्तु इनके होने पर, हमारा शरीर अपने अंदर बहुत से ऐसे परिणाम लाता है। जिससे हमें दर्द और तकलीफ होती है। जिससे घबराकर हम ऑय फ्लू के उपचार ( treatment for eye flu ) की तलाश करने लगते है।
जब भी शरीर पर किसी तरह का वायरल या बैक्टीरियल आक्रमण होता है। तब हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली सक्रीय हो जाती है। जिसके निगमन में उपयोगी आहार – विहार, दिनचर्या और स्वच्छता आदि को अपनाना चाहिए। जबकि बाधक क्रियाओ का निषेध कर देना चाहिए। जिससे संक्रमण को बलवान होने का अवसर ही न प्राप्त हो।
आँखों के संक्रमण में उपयोगी आयुर्वेदिक दवाई बहुत ही लाभकारी है। जिसका उपयोग करने पर आँख आने की समस्या दूर हो जाती है। जिसको आँख आने का घरेलू नुस्खा भी कहते है।
आई फ्लू का घरेलू उपचार ( home remedies for eye flu in hindi )
आँख आना घरेलू उपचार नॉन उपायों के द्वारा आसानी से किया जा सकता है –
गुलाब जल : गुलाब जल आँखों की समस्या में बहुत ही गुणकारी है। जिसका इस्तेमाल पानी में मिलाकर आँखों को धोने में किया जाता है। इसके बाद शुद्ध गुलाब जल की दो बूद को सीधे आँखों में डालने से आई फ्लू ठीक होने लगता है।
मधु : प्राकृतिक शहद आँखों के संक्रमण को दूर करने में, बहुत ही उत्कृट दवा है। जिसका इस्तेमाल करने से संक्रमण के कारण आँखों में आयी लालिमा शांत हो जाती है।
घी : घी हमारे भोजन का स्वाद ही नहीं बढ़ाता। बल्कि यह आँखों में होने वाले संक्रमण से हमारा बचाव भी करता है। जिसके लिए शुद्ध देशी नए गाय के घी को, डबल बोइलिंग विधि से गरमा कर आँखों में डालने से फ्लू को दूर करता है।
आंवला : 1 – 2 ताजे हरे आंवले को कुचल कर, इसका रस निकाले ले। जिसको पानी में घोलकर पीने से हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है। जो वायरस और बैक्टीरिया के कारण होने वाले, संक्रमण से हमें बचाते है। इनका सेवन करने से पेट साफ न होने के लक्षण से छुटकारा मिल जाता है।
नींबू : नींबू में बहुत से एंटी एक्सीडेंट तत्व पाए जाते है। जो न केवल हमें तारो ताजा रखते है। बल्कि हमारी इम्युनिटी को बढ़ाते है। जिनसे सभी प्रकार के संक्रमण से लड़ने में, हमें सहायता मिलती है।
हल्दी और गर्म पानी : लगभग 50 मिली पानी में 1 – 2 ग्राम हल्दी को डालकर, उबालने के बाद ठंडा कर ले। जिसको छानकर इसमें रुई डुबोकर आँखों को पोछने से आई फ्लू में बहुत लाभ होता है।
आई फ्लू का घर पर उपचार ( eye flu treatment at home )
घर पर ही आई फ्लू का उपचार करने के लिए, घरेलू उपायों के साथ कुछ और उपाय अपनाने चाहिए। जिससे संक्रमण को शीघ्रता से दूर किया जा सके। जिनमे सहायक उपाय निम्न है –
खीरा और आलू : आलू और खीरा बहुत से सूक्ष्म पोषक तत्वों का खजाना है। जिसकी तासीर ठंडी है। जिसके टुकड़ो को काटकर आँख बंद करके रखने से, फ्लू के कारण आँखों में होने वाली जलन और चुभन को दूर करता है।
मुल्तानी मिट्टी : हमारे शरीर से जीवाणुओ और विषाणुओ को दूर करने में, मुल्तानी मिट्टी बहुत ही उपयोगी है। जिसका इस्तेमाल हम नहाने और हाथ धोने में कर सकते है। जिससे बरसात में होने वाले पसीने की गंदगी आदि साफ़ हो जाती है। जिससे फ्लू पैदा करने वाले, जीवाणु और विषाणु के संक्रमण से हम बच जाते है।
आई फ्लू से बचाव ( Precaution of eye flu in hindi )
आई फ्लू से बचाव में निम्न सावधानियाँ रखनी आवश्यक है –
- बार – बार आँखों को छूने से बचे।
- आँखों को रगड़े नहीं।
- आँखों में चिपकी पलकों को छुड़ाने के लिए गुनगुने पानी का प्रयोग करें।
- आँखों पर काला चश्मा लगा कर रखे।
- पानी में तैरने से बचे, यदि तैरना ही पड़े तो सहसमे का प्रयोग करे।
- दुसरे का सामान प्रयोग न करे। जैसे – रुमाल, तौलिया, चद्दर, तकिया आदि।
- आँखों को ठन्डे पानी से नियमित अंतराल पर धोये।
- दिन में सोने से बचे।
- नियमित रूप से हाथो को धोते रहे
- खाने में हल्का और सुपाच्य आहार ले।
उपसंहार :
आई फ्लू का उपचार घरेलू नुस्खों के द्वारा शत प्रतिशत हो जाया करता है। परन्तु इसके साथ रोग से बचाव के तरीको को भी अपनाना चाहिए। जिससे रोग फैले नहीं। इसके अतिरिक्त रोग की दशा में, घबराहट से बचकर धैर्य रखना चाहिए।