ओवुलेशन का समय महिलाओं के लिए, गर्भ धारण करने का सबसे अच्छा समय होता है। जिसके लिए उन्हें ओवुलेशन के लक्षण को पहचानना आवश्यक है। लेकिन बिना गर्भारोपण ( इम्प्लांटेशन ) के महिला का गर्भ नहीं ठहरता। जोकि ओवुलेशन और निषेचन के बाद होता है। जिसके दौरान उन्हें अपने खानपान आदि में सावधानी रखनी होती है। परन्तु ज्यादातर गर्भवती होने वाली महिलाए यह नहीं जानती। लेकिन अपने बच्चे से भावनात्मक रूप से जुडी रहने के कारण, यह जानने के लिए उतावली होती है कि ओवुलेशन के कितने दिन बाद इम्प्लांटेशन होता है?
क्योकि महिला गर्भवती तभी हो सकती है। जब ओवुलेशन के बाद निषेचन और इम्प्लांटेशन सफलता पूर्वक हो। लेकिन कई बार यह देखने में आता है कि महिलाओ में निषेचन तो हो जाता है। फिर भी सही ढंग से गर्भारोपण नहीं हो पाता। जिससे महिला का गर्भ रुकने के बाद भी नहीं ठहरता। इसलिए प्रेगनेंसी के लिए कोशिश करने वाली महिलाओं को, इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि ओवुलेशन के बाद क्या नहीं करना चाहिए?
ओवुलेशन पीरियड के दौरान यौन सम्बन्ध बनने पर, महिला में आमतौर पर फर्टीलाइजेशन हो जाता है। जिसके बाद महिला का निषेचित अंडा, कोशिका विभाजन के कई दौर से गुजरता है। जिससे पहले यह जाइगोट और फिर ब्लास्टो सिस्ट आदि में बदलता हुआ, गर्भाशय की भीतरी दीवार एन्ड्रोमेट्रियम में आरोपित हो जाता है। लेकिन रहन – सहन और खान – पान में गड़बड़ी होने से, गर्भ का आरोपण होने में कठिनाई होती है। जिससे बचने के लिए यह जानना आवश्यक है कि ओवुलेशन के बाद क्या खाना चाहिए और क्या नहीं खाना चाहिए?
इम्प्लांटेशन क्या है ( what is implantation in hindi )
गर्भारोपण वह प्रक्रिया है। जिसके दौरान महिला का निषेचित अंडा विभिन्न परिवर्तनों के बाद गर्भाशय से जुड़ता है। जोकि महिला की गर्भावस्था के अहम हिस्सों में से एक है। जिसके बिना महिला की गर्भावस्था पूरी नहीं मानी जाती। हालाकिं महिलाओं में निषेचन के बाद, इम्प्लांटेशन होने में डेढ़ से दो सप्ताह तक का समय लग जाता है।
इम्प्लांटेशन गर्भ जनन का तीसरा महत्वपूर्ण चरण है। जिसके पूरा होते ही, महिला की गर्भावस्था तय हो जाती है। लेकिन विडंबना यह है कि यह सब कुछ महिला प्रजनन तंत्र में चलता है। जिसके दौरान कुछ महिलाओं को ब्लीडिंग वगैरह होती है। वही कुछ को वो भी नहीं होती। जिससे इम्पलांटेशन को समझ पाने में इन्हे कठिनाई होती है।
आमतौर पर implantation kya hai को समझना जरूरी है, क्योकि यह महिला के गर्भ ठहरने का समय होता है। जिसके दौरान महिला को बहुत सी सावधानी रखनी होती है। जिसमे खानपान से लेकर दैनिक क्रियाए तक शामिल है। परन्तु ज्यादातर महिलाओं को इसके बारे में जानकारी नहीं होती। लेकिन इनके बिना महिला की गर्भावस्था पूरी भी नहीं होती।
इम्प्लांटेशन होने के पहले गर्भ धारण के लक्षण ( symptoms of conception before implanteshan in hindi )
हालाकिं महिला में इम्प्लांटेशन होने के पहले, निषेचन की क्रिया होती है। जिसके पूर्ण होते ही महिला गर्भ धारण ( कंसीव ) करती है। जिसके दौरान पाए जाने वाले लक्षणों को, प्रत्यारोपण होने के पहले गर्भ धारण के लक्षण कहा जाता है। जो अलग – अलग महिलाओं में अलग – लग देखने को मिल सकते है। जो आमतौर पर महिला के प्रेग्नेंट होने के लक्षण कहे जाते है। जैसे –
- चिड़चिड़ा होना
- भूख अधिक लगना या भोजन से घिन आना
- खाने को देखते ही गुस्सा आना
- खाने से दुर्गन्ध आना
- स्तनों का मुलायम अथवा सूजा हुआ होना
- उल्टियां आना
- थकान होना
- सिर में दर्द होना
- सामान्य से अधिक बार पेशाब के लिए जाना
- बार – बार दस्त लगना, आदि।
इम्प्लांटेशन के लक्षण ( implantation symptoms in hindi )
महिलाओं की प्रेगनेंसी, कंसीव करने से लेकर प्रसव तक की मानी गई है। जिसकी शुरुआत फर्टीलाइजेशन होने के बाद से मानी जाती है। परन्तु फर्टीलाइजेशन होने के लिए महिला का ओवुलेशन करना जरूरी है। ताकि ओवुलेशन के समय दोनों के बीच, यौन सम्बन्ध बनाकर फर्टीलाइजेशन की संभावना को बढ़ाया जा सके। लेकिन इसके लिए इन्हे यह समझना होता है कि ओवुलेशन क्या होता है और कब होता है?
हालाकिं महिलाओं में ओवुलेशन और गर्भ धारण के बाद, कुछ विशेष तरह के संकेत देखने को मिलते है। जिन्हे ओवुलेशन और फर्टीलाइजेशन के लक्षण कहा जाता है। ठीक इसी तरह महिलाओं में गर्भारोपण के बाद भी लक्षण पाए जाते है। जैसे –
- पेट में हल्की ऐठन वाला दर्द होना
- मासिक की तरह बहुत कम मात्रा में, योनि से रक्तस्राव होना। जिससे अंतर्वस्त्र पर खून के धब्बे दिखाई पड़ना।
- पीठ के निचले हिसे में दर्द होना
- स्तनों में दर्द और सूजन होना
इम्प्लांटेशन के बाद के लक्षण ( symptoms after implantation in hindi )
महिलाओं में प्रत्यारोपण के बाद के लक्षण ( after implantation symptoms ) को ही, महिला की प्रेगनेंसी के लक्षण कहलाता है। जिनसे यह सुनिश्चित करने में सहायता मिलती है कि महिला पेट से है या नहीं।
आमतौर पर से महिलाओं में इम्पलांटेशन होने के बाद निम्नलिखित लक्षण देखने को मिल सकते है। जैसे –
- माहवारी न आना
- स्तनों में कड़ापन आना और निप्पल्स के रंग का गहरा होते जाना
- गला जलना
- शरीर में सुस्ती और थकान बनी रहना
- भूख अधिक लगना
- बहुत नींद आना
- उल्टियां आना
- डकार आना
- पेट में गैस बनना
- पेट साफ़ न होना
- पेट में तनाव महसूस होना
- वजन बढ़ना या घटना
- कमजोरी महसूस होना, आदि।
गर्भावस्था के बाद के लक्षण ( symptoms after pregnancy in hindi )
महिला का गर्भ धारण करने के बाद प्रसव होने के उपरान्त, गर्भावस्था की समाप्ति हो जाती है। जिसको प्रायः गर्भावस्था के बाद के लक्षण कहते है। जो वास्तव में गर्भावस्था के पूर्व की अवस्था जैसी ही होती है।
परन्तु कई बार महिला में गर्भ ठहरने के बाद, गर्भ स्राव अथवा गर्भ पात हो जाता है। जिससे बीच में ही महिलाओं की गर्भावस्था समाप्त हो जाती है। जिसके बाद महिलाओं में निम्नलिखित लक्षण देखने को मिलते है –
- मासिक धर्म का शुरू हो जाना
- थकान और सुस्ती का मिट जाना
- गले में जलन और उबकाई आदि का बंद हो जाना
- सामान्य भूख लगने लगना
- बार पेशाब लगना बंद होकर सामान्य हो जाना
- सामान्य भूख लगना
- उल्टियां आना बंद हो जाना
- शरीर में होने वाली खुजली का बंद हो जाना, आदि।
आखिर ओवुलेशन के कितने दिन बाद इम्प्लांटेशन होता है ( ovulation ke kitne din baad implantation hota hai )
इम्प्लांटेशन ओवुलेशन और फर्टीलाइजेशन के बाद होता है। लेकिन यह तीनों एक के बाद एक होने वाली प्रकियाए है। जिनके सफल होने पर ही महिला की प्रेगनेंसी तय हो पाती है। इसलिए इम्प्लांटेसन को समझने से शुरुआती गर्भावस्था से सम्बंधित बहुमूल्य जानकारी मिलती है।
महिला को गर्भ धारण करने के लिए प्रत्यारोपण का चरण महत्वपूर्ण होता है। जिसके दौरान निषेचित अंडा गर्भाशय की भीतरी परत से जुड़ता है। जो आमतौर पर ओवुलेशन होने के लगभग 6 – 12 दिन के बाद होता है। जो हर महिला में एक सा नही होता। जिसके कारण महिलाओं में शंका बनी रहती है कि ओवुलेशन के कितने दिन बाद इम्प्लांटेशन होता है?
इस समय ओवुलेशन के दौरान निषेचित हुआ अंडा, फैलोपियन ट्यूब के माध्यम से गर्भाशय तक की यात्रा करता है। इसके साथ गर्भ में आरोपित होने के पहले कई बदलाव से होकर गुजरता है। जिसमे कई तरह की हार्मोनल और जैविक क्रियाए होती है। जो भ्रूण को विकसित करने के लिए आवश्यक होती है।
इंप्लांटेशन पीरियड के कितने दिन पहले होता है ( implantation period ke kitne din pahle hota hai )
महिला अपने मासिक चक्र की अवधि में ही गर्भ धारण करती है। जिसके कारण महिला के गर्भ धारण करते ही, माहवारी आना बंद हो जाती है। जिसके कारण पीरियड मिस होने को, महिला की प्रेगनेंसी का लक्षण माना गया है।
आमतौर पर महिला के मासिक धर्म की अवधि औसतन चार सप्ताह की होती है। जिसमे शुरुआती दो सप्ताह में ब्लीडिंग, फॉलिकुलर और ओव्युलेटरी नामक तीन चरण होते है। जबकि बाद के दो सप्ताह का समय ल्युटिल चरण का होता है। जिसके पूरा होते ही महिलाओं में पुनः माहवारी शुरू हो जाती है।
महिलाओ में ओवुलेशन उनकी माहवारी के तीसरे चरण में होता है। जो मासिक धर्म के दुसरे सप्ताह का अंतिम समय होता है। जिसके दौरान संबंध बनने पर महिला में फर्टीलाइजेशन होने की सबसे अधिक संभावना बनी रहती है।
प्रेगनेंसी में इम्प्लांटेशन कब होता है ( pregnancy me implantation kab hota hai )
लेकिन इम्प्लांटेशन तो फर्टीलाइजेशन होने के बाद होता है। इसलिए महिला की माहवारी के तीसरे और चौथे सप्ताह में इम्प्लांटेशन होता है। हालाकिं यह अवधि भी हर महिला में अलग – अलग होती है। जिससे महिलाओं में दिमाग में संशय बना रहता है कि ओवुलेशन के कितने दिन बाद इम्प्लांटेशन होता है?
महिला के अंडे का निषेचन होने पर, यह अंडा भ्रूण में बदल जाता है। जिससे पहले यह जाइगोट और फिर ब्लास्टो सिस्ट में परिवर्तित हो जाता है। जिसमे लगभग एक से दो सप्ताह तक का समय लग जाता है। जिसके बाद यह महिला की गर्भाशय में इम्प्लांटेशन होता है। जो महिला का अगला पीरियड आने के एक से दो सप्ताह के पहले का समय होता है।
हालाकिं हर महिला के पीरियड की अवधि अलग – अलग पाई जाती है। जिसके कारण ओवुलेशन, फर्टीलाइजेशन और इम्प्लांटेशन का समय भी हर महिला में अलग – अलग हो सकता है। लेकिन इसकी प्रक्रिया एक जैसी ही होती है। जिसको न जानने वाली महिलाओ के दिमाग में सवाल बना रहता है कि गर्भावस्था में आरोपण कब होता है?
इम्प्लांटेशन में पेट दर्द होता है ( stomach pain during implantation bleeding in hindi )
जब विकसित हुआ भ्रूण ( ब्लास्टो सिस्ट ) गर्भाशय की दीवार से जुड़ता है। तब अक्सर महिलाओं को पीरियड में आने वाले मरोड़ के जैसा दर्द महसूस हो सकता है। जिसके दौरान कुछ महिलाओं को इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग भी हुआ करती है।
लेकिन अधिकतर महिलाओ को इम्प्लांटेशन में पेट दर्द होता है। जो इम्प्लांटेशन अर्थात महिला में गर्भ के ठहरने का भी संकेत होता है। लेकिन कई बार मासिक अनियमितताओं के कारण भी, महिलाए पेट में दर्द की समस्या का अनुभव करती है। जिसमे अंतर करने के लिए यह समझना जरूरी है कि इम्प्लांटेशन क्या है?
उपसंहार :
महिलाओं को गर्भ धारण करने के लिए, ओवुलेशन का समय सबसे अनुकूल होता है। जिसमे महिला और पुरुष के बीच शारीरिक सम्बन्ध बनने से, महिला के अंडे को फर्टीलाइज्ड होने की संभावना सबसे अधिक होती है। लेकिन महिला को गर्भ धारण करने के लिए, भ्रूण का गर्भ में आरोपण भी जरूरी है। जिसके लिए महिला को अपना विशेष ख्याल रखना आवश्यक है। इसलिए गर्भधारण करने वाली महिला को यह जानना आवश्यक है कि ओवुलेशन के कितने दिन बाद इम्प्लांटेशन होता है?
अमूमन महिला का गर्भ रुकने पर पीरियड आने बंद हो जाते है। परन्तु इसके लिए उन्हें अगले पीरियड आने तक का इन्तजार करना होता है। लेकिन आमतौर पर महिलाए अपनी प्रेगनेंसी को जानने के लिए उतावली होती है। जिससे इनके मन में एक बात चलती रहती है कि इम्प्लांटेशन पीरियड के कितने दिन पहले होता है? हालांकि महिलाओं को इम्प्लांटेशन में पेट दर्द होता है। जिसको समझने के लिए यह जानना आवश्यक है कि इम्प्लांटेशन क्या है?
सन्दर्भ :
भाव प्रकाश गर्भ प्रकरण
चरक संहिता शरीर अध्याय – 01 – 08
सुश्रुत संहिता शरीर अध्याय – 01 -10