पेट में अक्सर कब्ज के लक्षण देखे जाने पर, पेट साफ न होने के लक्षण दिखाई पड़ते है। जिसमे सबसे अधिक कठिनाई तब आती है, जब व्यक्ति मलत्याग के लिए बैठता है। जिसका मुख्य कारण मल का बहुत सूखा और कडा होना है। जिसको बाहर निकालने के लिए, पेट साफ होने के आयुर्वेदिक उपाय करने पड़ते है। जिसमे पेट साफ करने की दवा के रूप में, पेट साफ करने की आयुर्वेदिक दवा का इस्तेमाल किता जाता है। जो पाचन और कब्ज दोनों से सम्बंधित समस्याओ को दूर कर, मलत्याग को आसान बनाने में मदद करती है।
पेट साफ न होने की समस्याओ में, कब्ज मुख्य तौर पर देखा जाता है। जो नियमित पेट साफ न होने पर, ज्यादातर लोग इससे ग्रसित हो जाते है। इसलिए पेट साफ न होने की समस्या के शुरुआत में ही, सुबह उठते ही पेट साफ करने के उपाय करने चाहिए। जिससे कब्ज की समस्या कोई ज्यादा गंभीर रोग पैदा न कर सके। जिसमे पेट साफ करने की दवा पतंजलि बहुत ही मददगार है। जो आँतों में जमे सूखे और सख्त मल को, गीला और ढीला करके बाहर निकालने में सहायक है।
आयुर्वेद पेट में पायी जाने वाली कब्ज को, लैट्रिन सूखने का कारण मानता है। जिसमे वात और पित्त दोष की विसंगति पायी जाती है। जिसका उपचार करने में पेट साफ करने की आयुर्वेदिक दवा पतंजलि अत्यंत प्रभावकारी है। जिसका समय से उपयोग करने पर, मलद्वार में सूजन और दर्द जैसी समस्याए नहीं होती। जबकि पेट साफ करने वाले उपायों को अपनाने में, देरी करने पर गुदा द्वार पर बवासीर के लक्षण देखे जा सकते है।
पेट साफ होने के आयुर्वेदिक उपाय ( pet saaf karne ke ayurvedic upay )
मानव शरीर रचना विज्ञान के अनुसार, पाचन की क्रिया की शुरुआत हमारे मुँह से होती है। जो आहार नाल से होते हुए, आमाशय और आंतो से गुजरकर गुदा पर समाप्त हो जाती है। जिसका एकमात्र कार्य भोज्य पदार्थों का पाचन करना। ताकि शरीर की गतिविधि को सुचारु रूप से, संचालित करने के लिए आवश्यक ऊर्जा की प्राप्ति हो सके। जिससे हम शास्त्रों में वर्णित मानवोचित धर्म का निर्वाह कर सके। अर्थात अध्ययन, जीविका और संतानोत्पत्ति जैसे आवश्यक एवं महत्वपूर्ण दायित्व का निर्वाह कर सके। जो आयुर्वेद को पूर्णतः स्वीकार है।
जिसमे किसी प्रकार की कोई बाधा या विध्न न पड़े। इसके लिए शाश्वत नियम बनाये है। जिसको आयुर्वेद ने चर्या शब्द की संज्ञा दी है। जिसमे आहार उपसर्ग लगाने पर आहारचर्या, दिन उपसर्ग लगाने से दिनचर्या, रात्रि उपसर्ग का आधान करने से रात्रिचर्या बन जाती है। जिसका स्वास्थ्य रूपी सुख चाहने वाले के लिए, कठोरता से पालन करने की बात कही गई है। जिसमे पेट को साफ करने वाले आयुर्वेदिक उपायों में, दो तरह के उपाय बतलाये गए है –
- प्राकृतिक उपाय ( रोग बचाव ) : खान – पान, दिनचर्या और परिश्रम आदि को सुदृढ़ बनाये रखना पेट साफ़ करने का प्राकृतिक उपाय है। जो न केवल हमें स्वस्थ रखते है, बल्कि रोगों से हमारा बचाव भी करते है। जिनका आलंबन लिए बिना रोगी रोग मुक्त नहीं होता, और विधिवत इनका आचरण करने वाला कभी बीमार नहीं पड़ता।
- औषधीय उपाय ( रोग उपचार ) : जब शरीरगत दोष में असंतुलन आ जाता है, तब हम किसी न किसी रोग से घिर जाते है। जिसमे सबसे पहले हमारा पेट ही प्रभावित होता है। जिसके निदान और उपचार के लिए, पेट साफ करने की आयुर्वेदिक दवा प्रयोग में लाई जाती है। जो पेट में जमे हुए मल की सफाई करती है। जिससे जठराग्नि तीव्र होती है।
पेट साफ करने की दवा ( clean stomach medicine in hindi )
आयुर्वेद में पेट साफ न होने की समस्या में, पित्त और वात प्रमुख रूप से उत्तरदायी है। जिसके कारण पेट में पाए होने वाली आंतो में मल जमा होने लगता है। विशेषकर बड़ी आंत में पाए जाने वाले मलाशय आदि में। जिसमे पानी का अवशोषण हो जाने से, आंत में आने वाला मल सूखा और कडा हो जाता है। जिससे बड़ी आंत में पायी जाने वाली मांसपेशियों के सहित गुदा भी निष्क्रिय हो जाता है। जिसके कारण अपानवायु प्रतिलोम हो जाता है। जिसके कारण उदरगत वायु पूरे पेट में घूमने लगती है।
जिससे पेट साफ न होने पर दिनभर थकान, आलस्य, हाथ पैर में दर्द के साथ पेट भरा – भरा लगता है। जिसको दूर करने का एकमात्र उपाय पेट को साफ करना है। जिसके लिए निम्नलिखित पेट साफ करने की आयुर्वेदिक दवा काम में लाई जाती है –
- 2 भाग एरंड तेल को 10 भाग दूध में मिलाकर लेने से, आंतो में जमने वाला मल ढीला होकर निकल जाता है।
- त्रिफला के लगभग 40 ग्राम क्वाथ में 20 ग्राम गोमूत्र मिलाकर पीने से, वात के कारण पेट साफ होने की समस्या दूर हो जाती है।
- चीता की जड़ और देवदारु की चटनी को दूध के साथ कुछ दिन तक पीने से पेट साफ़ होने की समाया समाप्त हो जाती है।
- पेट साफ होने की समस्या के निवारण के लिए दूध का सेवन बहुत ही लाभकारी है। जिसका मुख्य कारण दूध का मृदु विरेचक होना है।
पेट साफ करने की दवा पतंजलि ( pet saaf karne ki dawa patanjali )
पेट साफ करने की आयुर्वेदिक दवा पतंजलि बहुत ही गुणकारी मानी जाती है। जिसका मुख्य कारण पेट साफ होने में परेशानी पैदा करने वाले, पित्त और वात दोष को मिटाने की अद्भुतता का पाया जाना है। जिसके लिए निम्नलिखित दवार प्रायोगिक रूप से उपयोग में लाई जाती है –
पतंजलि दिव्य शुद्धि चूर्ण
यह हरण, बहेड़ा, भूमि आंवला, इन्द्रायण, भुना जीरा और हींग को मिलाकर बनाई गई औषधि है। जिसके सेवन से पेट में पाए जाने वाले विष कारक तत्व नष्ट हो जाते है। जिससे पेट में पनपने वाली अपच, कब्ज, गैस और आंतो में मल जमने की समस्या से छुटकारा मिलता है। इसका अच्छा उपयोग भूख बढ़ाने के लिए होता है। जो पेट साफ होने पर स्वाभाविक रूप से देखा जाता है।
पतंजलि दिव्य उदरकल्प चूर्ण
यह अपच, कब्ज, पेट साफ न होने का हर्बल समाधान है। यह मुलेठी, सौफ, सणाऊ, छोटी हरण और चीनी जैसे यौगिकों से मिलकर बनी है। जिसके कारण इसमें बहुत ही बढ़िया रेचक गुण पाया जाता है। जिसके प्रभाव से पेट साफ होने में दिक्कत नहीं होती। इसके साथ ही यह पाचन समस्याओ में भी बहुत ही लाभदायक है।
पतंजलि दिव्य त्रिफला चूर्ण
त्रिफला को रेचक गुण रखने के कारन महौषधि कहा जाता है। इसी एक विशेष गुण के कारण अधिकाँश रोगो में त्रिफला का उपयोग प्रशस्त माना गया है। पेट में मल सूखने के कारण में उपद्रवी दोष वात – पित्त पर प्रभावी रूप से कारगर है। जिसके कारण यह पेट फूलने, कब्ज के कारण पेट साफ न होने की समस्याओ को दूर करने में काम में लाई जाती है।
पतंजलि दिव्य लवण भास्कर चूर्ण
लवण संस्कृत भाषा का शब्द है। जिसका हिंदी अर्थ नमक है। जो आयुर्वेद में पांच प्रकार के माने गए है। जिनके आपसी संयोग से और सोंठ, त्रिकटु, पिप्पली, काली मिर्च आदि को मिलाकर बनाया जाता है। जोकि आंतो के लिए रेचक का कार्य करता है। जिससे पेट के राइट साइड में दर्द होना हो या लेफ्ट साइड, दोनों में सामान रूप से कार्य करता है। इसका सेवन करने से पेट में गैस बनने और पेट भारी होने की समस्या का सुगमता से समाधान हो जाता है।
पतंजलि दिव्य अभयारिष्ट सिरप
पतंजलि अभयारिष्ट सिरप पेट की समस्याओ का काल है। यह पाचन से लेकर आंतो की सफाई में, व्यवधान उत्पन्न करने वाले सभी कारको पर कारगर है। यह पेट से सम्बंधित लगभग सभी समस्याओ में सामान रूप से लाभदायी है। किन्तु पाचन से समबन्धित समाया में विशेष कारगर है। यदि आंतो की सफाई इ समबन्धित समस्या है, तो भी इसका कहना ही क्या?
पेट साफ करने की आयुर्वेदिक दवा tablet ( ayurvedic medicine for clean stomach )
पेट साफ होने से नाभि के नीचे पेट दर्द की शिकायत बहुत से लोगो में बनी रहती है। जिसके दो ही मुख्य कारण है। पहला आँतों में मल का सूख जाना और गैस बनने लगना। जिसके निवारण के लिए पित्त और वात दोष को दूर करना आवश्यक हो जाता है। जिसकी बैद्यनाथ में निम्नलिखित दवाइया प्रयोग में लाई जाती है –
बैद्यनाथ गैसांतक वटी
यह सभी प्रकार के वायु दोष में काम आने वाली औषधि है। यह पाचन विकार के कारण पैदा हुई, मंदाग्नि को जड़ से समाप्त कर देती है। जिससे पेट में घूमती हुई प्रतिलोमित वायु अनुलोम हो जाती है। जिससे पेट में गैस, फुलाव और दर्द से छुटकारा मिलता है। फिर चाहे वह पेट के निचले हिस्से में दर्द हो या ऊपरी हिस्से में। इस कारण पेट को साफ करने में इसका सेवन करने से फायदा होता है।
बैद्यनाथ त्रिफला टेबलेट
यह टेबलेट बहुत ही बढ़िया बैद्यनाथ पेट साफ करने की दवा है। जिसका निर्माण हरण, बहेड़ा और आंवले को मिलाकर बनाया जाता है। जो ज्यादातर चूर्ण के रूप में मिलता है। जो अब टेबलेट के रूप में भी उपलब्ध है। जिसके सेवन से पेट साफ होने में रुकावट पैदा होने वाले कारण का नाश हो जाता है। जिससे इसको आंग्ल भाषा में stomach clean ayurvedic medicine भी कहा जाता है। जो मुख्य रूप से रेचक जैसे गुण रखता है। जो शरीर की गंदगी निकालने का बहुत ही बढ़िया उपाय है।
उपसंहार :
पेट साफ न होने की समस्या के लिए आयुर्वेद में, वात और पित्त नामक दो मुख्य दोष माने गए है। जिनके कारण पेट में दो तरह की समस्याए पैदा होती है। पहली उदरगत वायु को प्रतिलोम कर देती है। और दूसरी समाग्नि को तीक्ष्णाग्नि में परिवर्तित कर देती है। जिनके परिणामस्वरूप पेट में मल सूखने लगता है। जो पेट को साफ करने में बाधा पहुँचाती है। जिनको दूर करने में पेट साफ करने की आयुर्वेदिक दवा बहुत ही गुणकारी है। पेट साफ करने की दवा पतंजलि आयुर्वेदिक गुणो से भरपूर है। जिसके कारण यह पेट साफ होने के आयुर्वेदिक उपाय कहलाती है।
जिस प्रकार ऊसर भूमि में वृक्ष रोपित करने से, वृक्ष लगाना व्यर्थ चला जाता है। ठीक उसी प्रकार आयुर्वेद समर्थित चर्या को आचरण में उतारे बिना, पेट साफ करने की दवा का सेवन भी निरर्थक चला जाता है। इसलिए जीवन भर निरोग और आरोग्य की प्राप्ति के लिए आहारचर्या, दिनचर्या आदि का विधिवत पालन करना दवा सेवन से भी अधिक महत्वपूर्ण है। ऐसा करने से न केवल हमारी शारीरिक और मानसिक शक्ति बढ़ती है। बल्कि हमारी आयु भी बढ़ती है।
सन्दर्भ :
- चरक संहिता चिकित्सा अध्याय – 13
- सुश्रुत संहिता चिकित्सा अध्याय – 14
- अष्टांग ह्रदय चिकित्सा अध्याय – 15
- भैषज्य रत्नावली उदर रोग प्रकरण – 40