बवासीर में सूरन की सब्जी के फायदे : Suran Benefits For Piles In Hindi

हम उत्तर भारतीयों के यहाँ दिवाली के दिन, सूरन की सब्जी खाने की प्रथा है। हालांकि भारत के अलग – अलग हिस्सों में, इसको अलग नाम से जाना जाता है। जैसे उत्तर और मध्य भारत में सूरन, पूर्वी भारत में जिमीकंद, पश्चिम भारत में सूरण, तो दक्षिण भारत में कन्द, ओल अथवा कंदल आदि नामो से जाना जाता है। जिसका सेवन आंत्र और गुदा रोगो में बहुत ही गुणकारी है। तो आइये जानते है कि बवासीर में सूरन की सब्जी के फायदे क्या है।   

बवासीर में सूरन की सब्जी के फायदे

आयुर्वेदानुसार अर्श मलवाही स्रोतों में होने वाला रोग है। जिसमे से गुदा में होने वाले मांस के अंकुरों को गुदांकुर या बवासीर कहते है। जिन्हे मुख्य रूप से बवासीर के लक्षण कहते है। जिसमे जिमीकंद की सब्जी का सेवन बहुत ही लाभकारी है। 

सूरन खाने में जहाँ स्वादिष्ट और लाजवाब होता है। वही यह बवासीर रोगियों के लिए रामबाण उपाय है। जिसके कारण सूरण को बवासीर के घरेलू उपाय भी कहते है। जिसका सेवन दो प्रकार से किया जा सकता है। जिसमे पहली विधि सूरन का चूर्ण बनाकर, और दूसरा सूरन की सब्जी ( suran ki sabji ) बनाकर।

सूरन आंतो की सफाई करने में माहिर होने के कारण, रक्तवाहिनियों का संकोचन करता है। जिसके कारण यह बादी और खूनी बवासीर के लक्षण पर प्रभावी रूप से कार्य करता है। शायद इसी कारण से आयुर्वेद में सूरन का एक नाम अर्शोघ्न रखा गया है। जो जिमिकंद ( जिमि पोटैटो ) का अर्श परक नाम है। इसलिए सूरण को बवासीर रोग का काल कहा गया है। जो महिला और पुरुष बवासीर के लक्षण को, विधि पूर्वक प्रयोग करने पर मिटा देता है। 

सूरन के गुण 

सूरन के फायदे सूरन में पाए जाने वाले, पोषक तत्वों के स्वाभाविक अनुपात पाया जाता है। जिस पर जिमीकंद के फायदे निर्भर होते है। जिसके कारण बवासीर आदि रोग में, यह फायदा पहुंचाते है। जिमि पोटैटो ( Jimi potato ) में निम्न गुण पाए जाते है –   

  • स्वाद में कषाय और कटुरसयुक्त होता है। 
  • यह पाचक अग्नि का दीपन करता है। 
  • वातहर होने से रुक्षता को मिटाता है।  
  • कच्चा होने पर खुजली पैदा करने वाला है। जबकि पक जाने पर खुजली नहीं करता।  
  • विष्टम्भक और विशद गुण युक्त होता है। 
  • रुचिकारक होने से भूख को बढ़ाता है। 
  • पचने में लघु होता है।
  • कफ का नाश करता है।
  • अर्श, खास, श्वास, प्लीहा, आमवात एवं आंत्र रोग को नष्ट करने वाला होता है।

बवासीर में सूरन की सब्जी के फायदे ( bawaseer-me-suran-ki-sabji-ke-fayde )

सूरन की सब्जी

आयुर्वेद बवासीर में सूरन की सब्जी खाने के फायदे बताता है। जिसमे सूरन को काटकर, रसेदार सब्जी बनाई जाती है। परन्तु सूरन की सब्जी ( suran ki sabji ) बनाते समय, एक बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए। जिसमे सूरन को पर्याप्त धोना और अधिक समय तक पकाना चाहिए, नहीं तो सूरन गला काटता है। परन्तु योगरत्नाकर में सूरन का मोदक और पुटपाक के रूप में भी सेवन की बात कही गई है।

सूरन पुटपाक : सूरन कन्द को गीली मिट्टी में लपेटकर, पुटपाक की विधि से अग्नि में पकाये। इसके बाद इसमें तेल और सेंधानमक मिलाकर सेवन करने से बवासीर नष्ट हो जाती है। जिसको नमक के स्थान पर गुड़ मिलाकर भी खाया जा सकता है। 

हालांकि बवासीर में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं का विशेष ध्यान रखना चाहिए। क्योकि यह खानपान से सम्बंधित बीमारी है। जिसमे विसंगति आने पर बवासीर उग्र हो जाती है। 

सूरन की सब्जी खाने के नुकसान

सूरन की सब्जी खाने के फायदे और नुकसान की बात करे, तो बवासीर में सूरन खाने से लाभ ही होता है। परन्तु कच्चे सूरन की सब्जी खाने से, गला काटता है। परन्तु पर्याप्त न धोने और कम पकाने के कारण भी, सूरन गला काटता है। इसके अतिरिक्त यह दाद, कुष्ठ और रक्तपित्त रोगियों के लिए हितकर नहीं होता।  

बवासीर में सूरन खाना चाहिए या नहीं

बवासीर में सूरन खाना चाहिए

आयुर्वेद में बवासीर रोगियों को तीन प्रकार के आहार का प्रतिषेध किया गया है। जिसको खाने से बवासीर होने की संभावना होती है। 

  • मलबन्ध या कब्ज की समस्या खड़ी हो
  • अपानवायु अनुलोम न होकर प्रतिलोम हो
  • पाचकाग्नि घटने लगे

परन्तु कफ और वातहर होने के कारण, सूरन बादी बवासीर के लक्षण में विशेष रूप से लाभकारी है। इसलिए गुदीय अर्श या बवासीर रोगियों के लिए सूरन विशेष रूप से पथ्य माना गया है। जिसके तीन मुख्य कारण है –

  • आंतो की सफाई करती है। जिससे शौच साफ होती है। जिसके कारण कब्जियत आदि होने की संभावना नहीं होती। 
  • पचने में लघु और वातहर होने के कारण अपानवायु को अनुलोम करती है।   
  • अग्नि का दीपन करने से पाचक अग्नि को बढ़ाती है। 

उपसंहार :

आयुर्वेदानुसार सूरन अथवा एलिफैंट याम ( elephant yam ) को, सम्पूर्ण कन्द शाको में श्रेष्ठ समझा जाता है। इसमें जंगली कन्द कुछ लाल रंग लिए हुए सफेद रंग के होते है। जिसका कारण इसमें पाया जाने वाला कैल्शियम आक्झेलेट है। जिसका सेवन धूप में सुखाकर, चूर्ण बनाकर किया जाता है। जबकि सफेद सूरन की खेती से उपजाया जाता है। 

बवासीर में सूरन की सब्जी के फायदे है। यह आंत्र रोगो के सहित बवासीर में विशेष रूप से लाभ करती है। जिसके कारण बवासीर रोग में इसका बहुत उपयोग किया जाता है। यह बवासीर में कब्ज को मिटाकर, पेट को साफ रखता है। जिससे बवासीर की खून की शिराओ में संकोचन होता है। इसलिए बवासीर के मस्से छोटे होकर सूखने लग जाते है।  

सन्दर्भ :

  • भाव प्रकाश – शाक वर्ग -59
  • योगरत्नाकर – अर्श रोग चिकित्सा
  • अष्टांग ह्रदय चिकित्सा अध्याय – 08 

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