महिलाओ को गर्भवती होने के लिए ओवुलेशन पीरियड के आस – पास, संबंध बनाना फलदायी होता है। परन्तु ज्यादातर महिलाए अपने ओवुलेशन के समय को नहीं पहचान पाती। जिसकी सबसे बड़ी वजह मासिक चक्र के दौरान होने वाले रक्तस्राव से माहवारी का पता तो चल जाता है। लेकिन ओवुलेशन का पता नहीं चल पाता। किसके कारण महिलाओं के दिमाग में ओवुलेशन क्या होता है और ओवुलेशन पीरियड क्या होता है को लेकर संशय बना रहता है।
लड़कियों में माहवारी शुरू होते ही, गर्भधारण करने की क्षमता विकसित होने लगती है। यह आयु बढ़ने के साथ और मजबूत होती जाती है, अर्थात उनमे पूर्ण रूप से ओवुलेशन होना शुरू हो जाता है। जो रजोनिवृत्ति के समय तक सतत चलता रहता है। लेकिन बहुत सी लड़कियों और विवाहित महिलाओं को यह नहीं पता होता कि ओवुलेशन कब होता है?
अमूमन ओवुलेशन पीरियड आने के एक हफ्ते बाद का समय होता है। जिसमे पीरियड आदि की तरह कोई स्पष्ट लक्षण नहीं दिखाई पड़ते। बल्कि विभिन्न प्रकार के शारीरिक और मानसिक बदलावों के रूप में, महिलाओं के भीतर ओवुलेशन के लक्षण को समझा जा सकता है। जो आमतौर पर सामान्य परेशानियों से मेल खाते है। जिसके कारण इनको समझने में अक्सर भूल हो जाती है। जिसके लिए महिलाओं को अपने दिमाग को प्रशिक्षण देने की आवश्यकता होती है।
परन्तु महिला तब तक गर्भधारण नहीं करती। जब तक कि उसमे ओवुलेशन न होने लगे। इतना सब कुछ होने के बाद महिला अण्डोत्सर्ग ( ओवुलेशन ) के दौरान निकलने वाले अण्डों का निषेचित होना जरूरी है। जिसके लिए पुरुष शुक्राणुओ का इन अण्डों तक पहुंचना आवश्यक है। जिसके लिए महिला और पुरुष का सही समय पर यौन संबंध बनना अनिवार्य है। जिसके लिए यह जानना आवशयक है कि पीरियड के कितने दिन पहले प्रेग्नेंट हो सकते हैं?
ओवुलेशन क्या होता है ( ovulation kya hota hai )
वयस्क लड़कियों और महिलाओं में, हर माह होने वाली मासिक चक्र में अण्डोत्सर्ग होता है। अंतर केवल इतना है कि माहवारी में होने वाला रक्त स्राव, मासिक धर्म चक्र का पहला तो ओवुलेशन तीसरा चरण है। जबकि हर महिला के मासिक धर्म चक्र में चार चरण होते है। जो एक समय के बाद प्रति माह पुनरावृत्ति को प्राप्त होते है। इसीलिए इनको मासिक धर्म चक्र कहा जाता है। जिसका औसतन समय लगभग चार सप्ताह का होता है।
जिसको ज्यादातर महिलाए न जानती है और न समझती है। परन्तु इन्हे इतना जरूर पता होता है कि हर महीने इन्हे योनि से ब्लीडिंग होती है। जिसके दौरान इन्हे काफी अधिक मात्रा में खून निकलता है। जिसके लिए यह योनि द्वार के पास कपड़ा या सेनेटरी पैड का इस्तेमाल करती है। जिसको वह पीरियड अथवा माहवारी कहती है।
हालांकि यह मासिक धर्म चक्र का पहला चरण होता है। जिसके दौरान महिला अंडाशय में फॉलिकल के बनने की प्रक्रिया चलती रहती है। जो सामान्यतः 3 – 7 दिन तक की हो सकती है। जिसके पूर्ण होते ही मासिक धर्म चक्र का दूसरा चरण आरम्भ हो जाता है। जिसमे योनि से होने वाला रक्तस्राव प्रायः बंद हो जाता है। किन्तु महिला के अंडाशय में बनने वाले फॉलिकल, अब पहले से अधिक विकसित हो जाते है। जिसका समय भी माहवारी के स्राव के जितना ही होता है।
जिसके बीतते ही महिला के माहवारी का तीसरा चरण शुरू होता है। जिसके दौरान महिला अंडाशय से फॉलिकल परिपक्व होकर, अण्डों में परिवर्तित होकर फैलोपियन ट्यूब में निकलने लगते है। जिसको अण्डोत्सर्ग अथवा ओवुलेशन कहा जाता है। जिसमे अक्सर अंडे की सफेदी लिए चिकना स्राव हुआ करता है। जिसमे संबंध बनने पर महिला में गर्भ ठहरने की संभावना सबसे अधिक होती है। जिसके लिए महिलाए यह जानने की कोशिश करती है कि पीरियड के कितने दिन बाद बच्चा ठहरता है?
ओवुलेशन के लक्षण क्या है ( what is symptoms of ovulation in hindi )
आमतौर पर स्वस्थ महिलाओं को मासिक धर्म चक्र के दौरान, ओवुलेशन होता है। लेकिन देह की प्रकृति आदि में भेद होने से, ओवुलेशन होने के लक्षण में बदलाव हो सकता है। फिर भी प्रायः महिलाओं में ओवुलेशन के समय निम्नलिखित लक्षण देखने को मिलते है। जो अमूमन 3 – 7 दिन तक देखे जा सकते है। जिससे इन्हे ओवुलेशन पीरियड के लक्षण ( symptoms of ovulation period ) भी कहा जाता है।
- सिर में दर्द होना
- पेट के निचले हिस्से में धीमा या तेज दर्द होना
- स्तनों में संवेदनशीलता आना
- थकान होना
- यौन इच्छा का बढ़ जाना
- योनि से सफ़ेद रंग का चिकना, पतला और गंधरहित स्राव निकलना, आदि।
ओवुलेशन कब होता है ( when ovulation occur in hindi )
आमतौर पर हर महिला के मासिक धर्म चक्र की अवधि अलग – अलग होता है। जिसके कई कारण होते है। इसलिए हर महिला में माहवारी शुरू होने का समय अलग – अलग होता है। जबकि माहवारी का तीसरा चरण ओवुलेशन का होता है। जो माहवारी आने के साथ आता है, और माहवारी जाने के साथ चला भी जाता है। जिससे महिलाओं को ओवुलेशन का ठीक से पता नहीं लग पाता। इसलिए अक्सर महिलाए ओवुलेशन क्या होता है की बात करती है।
लेकिन महिलाओं में रज स्राव ( ब्लीडिंग ) होने के दो सप्ताह के भीतर ही ओवुलेशन होता है। जिसमे संबंध बनने पर महिला में ओवुलेशन के बाद निषेचन के लक्षण दिखाई देने लगते है। जो इस बात की ओर इशारा करते है कि महिला ने गर्भ धारण किया या नहीं। परन्तु जो विवाहित जोड़े महिला के अण्डोत्सर्ग के स्वर्णिम समय को नहीं समझते। उनके दिमाग में एक ही बात आती है कि आखिर प्रेग्नेंट कैसे होते हैं?
पीरियड के बाद ओवुलेशन कब शुरू होता है ( when ovulation start after period in hindi )
महिलाओं में होने वाला मासिक धर्म का तीसरा चरण ओवुलेशन होता है। परन्तु इसमें पीरियड जैसे कोई भौतिक लक्षण नहीं पाए जाते। जिससे महिलाए अक्सर ovulation kya hota hai की बात करती है। जिसको निम्न विधियों से जाना जा सकता है –
- महिलाओं की योनि से रक्तस्राव दिखाई पड़ते ही, महिला की माहवारी शुरू हो जाती है। जितने दिन तक रक्तस्राव होता रहता है। उतने दिन तक मासिक धर्म चक्र का पहला चरण चलता रहता है। जिसके बीतने के लगभग एक सप्ताह बाद महिलाओं में ओवुलेशन शुरू हो जाता है। जिसके लिए गर्भ धारण करने वाली महिला में यह जानने की ललक होता है कि पीरियड के कितने दिन बाद संबंध बनाना चाहिए?
- जिस दिन महिला में रक्त स्राव शुरू होता है। उसके ठीक चौदहवे दिन महिला ओवुलेट करती है। जिसका समय 3 -5 दिन का हो सकता है।
- अगला पीरियड आने के ठीक 14 दिन पहले महिला का ओवुलेशन पीरियड शुरू हो जाता है। जो सामान्यतः 3 – 5 दिन का होता है।
यह नियम उन महिलाओं पर लागू होते है। जिनका मासिक चक्र नियमित और 28 दिन का है। यदि किसी महिला पर यह दो बाते नहीं लागू होती तो उनके ओवुलेशन के दिनों में बदलाव हो सकता है। जो उनके पीरियड अथवा माहवारी की अवधि पर निर्भर करता है।
ओवुलेशन के बाद निषेचन के लक्षण ( symptoms of fertilization after ovulation in hindi )
महिला ओवुलेशन के बाद गर्भधारण नहीं करती है। क्योकि महिलाओं में ओवुलेशन के बाद गर्भ धारण करने की संभावना बहुत कम पायी जाती है। आमतौर पर महिलाओं में एचसीजी इंजेक्शन के बाद अंडा टूटना के लक्षण और निषेचन के बाद लक्षण लगभग एक जैसे होते है। जो अंडा फटने के बाद गर्भावस्था के लक्षण भी कहलाते है। जिसमे सामान्यतः निम्नलिखित लक्षण पाए जाते है –
- थकान होना
- पेशाब के रंग का गाढ़ा होना
- योनि स्राव गंधहीन, चिकना और पतला होना
- स्तनों में भारीपन और दर्द महसूस होना
- चक्कर आना
- पीरियड जैसे लक्षण का पाया जाना
- पेट में दर्द और मरोड़ होना
- मॉर्निंग सिकनेस होना
- भूख का कम या अधिक हो जाना
- शरीर के ताप का बढ़ जाना
- सिर में दर्द होना
- बार – बार पेशाब आना
- कमर में दर्द होना, आदि।
ओवुलेशन के बाद गर्भावस्था के लक्षण ( ovulation after pregnancy symptoms in hindi )
ओवुलेशन के बाद पेट में दर्द होने पर, महिला में गर्भ ठहरने का संकेत हो सकता है। जो केवल तभी पाया जा सकता है। जब महिला ओवुलेट कर रही हो। उसी दौरान या उसके कुछ दिन पहले, यदि महिला अपने पुरुष साथी से असुरक्षित यौन संबंध बनाये तो उसके गर्भवती होने की संभावना अधिक होती है।
जिसके लिए उन्हें यह जानने की आवश्यकता पड़ती है कि पीरियड के कितने दिन बाद ओवुलेशन होता है? क्योकि ओवुलेशन के आस – पास संबंध बनाने पर ही, महिला में गर्भ धारण करने की संभावना पाई जाती है। जिसके बीत जाने पर अक्सर महिला में, गर्भ धारण करने के आसार कम हो जाया करते है।
अगर गर्भवती है तो ओवुलेशन के बाद के लक्षण ( symptoms after ovulation if pregnant in hindi )
महिला में गर्भधारण के 48 घंटे बाद के लक्षण, महिला की शुरुआती प्रेगनेंसी से मिलते – जुलते लक्षण होते है। जैसे –
- बार – बार पेशाब लगना
- पेट में दर्द होना
- शरीर में थकान महसूस होना
- गला जलना
- भोजन से दुर्गन्ध आना
- साँस फूलना
- उल्टियां होना
- स्तन के चूचुको ( निप्पल्स ) के रंग का गहरा होना
- भूख न लगना
- पेट में गैस और कब्ज होना, आदि।
ओवुलेशन के बाद दिन ब दिन गर्भावस्था के लक्षण ( pregnancy symptoms after ovulation day by day in hindi )
महिलाओं के गर्भ धारण करते ही, अनेको तरह के बदलाव देखने को मिलने लगते है। जो प्रोजेस्ट्रान और ऑस्ट्रोजन आदि हार्मोन्स में बदलाव आने के कारण देखे जाते है। जो गर्भ को पोषण और विकसित करने के लिए अत्यंत आवश्यक है। कुछ महिलाओं को गैस कब्ज आदि की समस्या होती है। तो कुछ को पूरे शरीर में खुजली होने लगती है। जो गर्भावस्था के बीत जाने पर स्वतः समाप्त हो जाती है।
अगर गर्भवती नहीं है तो ओवुलेशन के बाद के लक्षण ( symptoms after ovulation if not pregnant in hindi )
लेकिन यदि महिला गर्भवती नहीं हुई है तो उसमे प्रेगनेंसी से ठीक उलटे लक्षण देखने को मिलते है। जैसे –
- मासिक धर्म का नियमित रूप से आना
- गला न जलना
- मार्निंग सिकनेस न आना
- बार – बार पेशाब न लगना
- शरीर के ताप का सामान्य रहना
- भूख का सामान्य रहना
- उल्टियां नहीं होना
- भोजन से गंध नहीं आना
- स्तनों में संवेदनशीलता का न पाया जाना
- स्तन के चुचुकों के रंग में बदलाव न आना, आदि।
उपसंहार :
ओवुलेशन में महिला और पुरुष के बीच संबंध बनने पर, महिला के गर्भवती होने की संभावना सबसे अधिक रहती है। इसलिए यह समय महिला के गर्भ धारण का सबसे आदर्श समय होता है। लेकिन महिलाए अपने ओवुलेशन के समय को समझने में भूल कर बैठती है। जिससे कारण अक्सर इनको गर्भवती होने में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। जिससे बचने के लिए इन्हे जानना जरूरी है कि ओवुलेशन क्या होता है और ओवुलेशन कब होता है?
ओवुलेशन के बाद निषेचन के लक्षण गर्भवती महिलाओं में देखे जाते है। जबकि ओवुलेशन के दौरान संबंध बनाने से परहेज करने पर, महिलाओं में गर्भवती न होने वाले लक्षण पाए जाते है। इसलिए ovulation kya hota hai को समझना दोनों तरह की महिलाओं के लिए उपकारी है।
सन्दर्भ :
भाव प्रकाश – गर्भ प्रकरण
चरक संहिता शरीर अध्याय – 08
सुश्रुत संहिता शरीर अध्याय – 04, 08, 10
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