आजकल की दौड़भाग और तनावपूर्ण जीवनशैली में, सभी के पास समय की कमी है। जिसके चलते न हम समय पर सो पाते है, और न जग पाते है। न विधि पूर्वक खाना बना पाते है, और न खा पाते है। जिसके कारण अक्सर पेट साफ नहीं हो पाता। जिससे दिनभर आलस्य, थकान, चिड़चिड़ापन, एकाग्रता की कमी जैसी तमाम समस्याए होने लगती है। जो पेट साफ न होने के लक्षण की ओर इशारा करती है। जिनके लिए पेट साफ करने की आयुर्वेदिक दवाई, या पेट साफ करने की आयुर्वेदिक दवा गुणकारी है। जिनको सुबह उठते ही पेट साफ होने के उपाय में, उपयोगी माना गया है।
पेट साफ न होना वह स्थिति है, जिसमे मल त्याग अनियमित वेग से आता है। जो परिणाम में बहुत ही कम, सूखा ( कडा या शुष्क ), गांठदार ( ढेलेदार ) और कठोर हो सकता है। परन्तु कभी भी इस अहसास के साथ नहीं होता, कि पेट पूरा खाली ( साफ ) हो गया। अर्थात बड़ी आंत में आई हुई पुरीष ( मल ) बाहर निकल गई। ऐसा होने पर आंतो में सिकुड़न के कारण, मल इकठ्ठा होने लगता है। जिससे पेट में गैस बनना प्रारम्भ हो जाता है।
जबकि कब्ज में मल त्याग का वेग, सप्ताह में तीन बार से कम होता है। कभी तो मल के अत्यंत शुष्क, कठोर, गांठदार और कडा होने से, इसका बाहर निकलना ही मुश्किल हो जाता है। जो कई हफ्तों ( हप्ता ) या महीनो तक बना रहता है। यह ज्यादातर आहार, दिनचर्या आदि में बदलाव और फाइबर की कमी से होता है। यदि आपको पेट में दर्द या तेज दर्द, मल में खून या तीन सप्ताह से अधिक समय तक। कब्ज बना रहे तो इसका इलाज करना चाहिए। कब्ज पेट साफ़ न होने की अग्रिम अवस्था है। जिसके लिए कब्ज का रामबाण इलाज प्रभावी है।
पेट साफ न होने का कारण (pet saaf na hone ka karan)
जिस मनुष्य की आंत चिपचिपे और चिकने अन्न, बरौनी आदि के बाल या कंकड़ पत्थर आदि से भर ( पट ) जाती है। जैसे नालियों में धीरे – धीरे कूड़ा – कर्कट एकत्रित होता रहता है। उसी प्रकार उस आंत में वातादि दोषो के साथ – साथ, मल संचित होता रहता है। इस तरह उस मनुष्य की गुदा में मल का अवरोध हो जाता है। परिणामस्वरूप मल थोड़ी – थोड़ी मात्रा में बड़ी कठिनाई से निकलता है। अथवा निकलना ही बंद हो जाता है। जिससे पेट साफ (pet saaf) नहीं हो पाता। यह सुबह पेट साफ नहीं होने के कारण में प्रधानतम कारण है।
इसके अतिरिक्त पेट साफ न होने अन्य कारण भी है। जैसे –
- विरुद्ध और विपरीत खानपान : आजकल हम जितने भी भोज्य पदार्थो का सेवन करते है। वो इसी श्रेणी में आते है। जैसे – रात्रि में खट्टे पदार्थो का सेवन करना आदि।
- कभी भी कुछ भी खा लेना : तकनीकी युग में काम का इतना बोझ होता है कि – खाने के समय पर हमारा ध्यान ही नहीं जाता। जिसके कारण हम देर रात तक जागते और खाते है। जिसके कारण भोजन को पचने का समय कम मिल पाता है।
- अपौष्टिक भोजन : आज हम तकनीकी रूप से जितने समृद्ध हुए है। भोजन में गुणवत्ता की दृष्टि से हम उतने ही पतित भी हुए है। जिसके कारण हम भोजन की आंतरिक गुणवत्ता पर ध्यान न देकर, उसकी बाहरी सजावट धजावट पर ध्यान देने लगे है।
- दिनचर्या : बिजली आदि के आविष्कार ने, दिन और रात के अंतर को मिटा सा दिया है। जिसका सर्वाधिक प्रभाव हमारी दिनचर्या पर पड़ा है। जिसमे रात्रि जागरण और दिवस शयन प्रमुख है, परिश्रम न करना आदि।
- अतिरिक्त मात्रा में मादक पदार्थो का सेवन करना : जैसे – चाय, शराब, सिगरेट, खैनी तम्बाकू आदि।
- अनुपयोगी और अनुपयुक्त मात्रा में दवाओं का सेवन करना
- असंतुलित हार्मोन्स
- जीर्ण रोग जैसे मधुमेह, मोटापा आदि।
पेट साफ न होने का लक्षण (pet saaf na hone ke lakshan)
भोजन को पचने और पचाने की विकृति के कारण, पेट साफ होने में समस्या होती है। जिस पर ध्यान न देने से, यह कब्ज में बदलने लगती है। जिसको कॉन्स्टिपेशन या कॉन्स्टिपेशन इन हिंदी कहते है। जिसके कारण भी पेट साफ़ नहीं होता। जबकि पेट साफ न होने के निम्नलिखित लक्षण हो सकते है। जैसे –
- पेट में भारीपन लगना
- मुँह में छाले होना
- चेहरे पर मुहासे निकलना
- मुँह से दुर्गन्ध आना
- बार – बार प्यास लगना
- मुँह और तालू सूखना
- जीभ का रंग दूध की तरह सफ़ेद या मटमैली होना
- थकान होना
- आँखों में भारीपन का एहसास होना
- भूख न लगना
- पेट में दर्द होना
- पेट में मरोड़ होना
- सिर में दर्द होना
- एसिडिटी होना
- बदहजमी होना
- डकार और अपानवायु निकलने में तकलीफ होना
- बिना मेहनत आलस का बने रहना
- मन उदास होना
पेट साफ कैसे करे (pet saaf kaise kre)
पेट साफ करने के लिए आंतो की सफाई आवश्यक है। ऐसा न होने पर घंटो शौचालय में, बैठे रहने पर भी शौच नहीं आती। यदि किसी तरह आ भी गई तो असंतोषजनक। जिससे आंतो की पूरी सफाई नहीं हो पाती। और समस्या जस की तस बनी रहती है। जिसको आंग्ल भाषा में इर्रेगुलर बोवेल मूवमेंट (irregular bowel movement) कहा जाता है। जो मुख्यतः आंतो की कमजोरी से होने वाली बीमारी है। जो इनएक्टिविटी ऑफ रेक्टम (inactivity of rectum) भी कहलाती है। जिसमे माइग्रेन ( अर्ध भाग का सिर दर्द ) होना भी देखा जाता है।
जिसके लिए विरोधी और विरुद्ध आहार का सेवन नहीं करना चाहिए। जैसे – भिन्डी के साथ मूली का प्रयोग करना। उड़द के साथ दही का प्रयोग करना। गर्म तासीर वाली वस्तु के साथ, ठंडी तासीर की वस्तु का सेवन। चाट में दही का प्रयोग करना आदि। यह गलतिया जाने अनजाने में, हमारे रोजमर्रा की आदतों में अब सुमार हो चली है। जिनको तकनीकी और व्यापार के युग में समझना दुर्गम है। आज के समय में बाजार ( व्यापार ) को व्यापक करने के लिए तकनीकी का इस्तेमाल होने लगा है। जिसके कारण दोनों का आपस में समन्वय ( तालमेल ) है। जिसका उपयोग व्यापारी व्यापार बढ़ाने के लिए करते है।
यहाँ से जन्मता है, अपौष्टिक भोजन। जिनका निर्माण उद्योगों में होता है। जिनको बनाने में न जाने कितने रसायनो का प्रयोग किया जाता है। जिनकी सजावट और पैकिंग के हम दीवाने हो जाते है। पैकेट पर लिखे मानकों को सत्य मानकर, हम इनका धङल्ले से उपयोग करते है। बिना विचारे कि शुद्ध सामाग्रियो और शास्त्रीय विधि से, बना भोजन कुछ ही घंटो में खाने योग्य नहीं रह जाता। और उद्योगों में निर्मित भोजन का उपयोग, हम महीनो तक करते रहते है। शायद इनके कारण ही आंतो में मल चिपकने लगता है। जिससे भविष्य में पेट साफ होने में दिक्क़त आती है।
पेट साफ कैसे रखें (pet saaf kaise rakhe)
पेट को साफ रखने में दिनचर्या का अद्भुत योगदान है। दिनचर्या का अर्थ ही सही समय पर, सही तरीके से सही काम को करना है। आजकल अक्सर हम देर रात तक मोबाईल और लैपटॉप पर लगे रहते है। जिससे सोने में देर हो जाती है। जब हम देर से सोते है तो जागते भी देर से है। जिसके कारण दिनचर्या में व्यवधान होता है, और सुबह पेट साफ नहीं होता। ऐसा रोज – रोज करते रहने से हमे पता भी नहीं चलता, और हम धीरे – धीरे पेट साफ न होने की समस्या से जूझने लगते है।
तकनीकी के बढ़ने से सुविधाए बढ़ती जा रही है। जिसके कारण हर व्यक्ति आलसी सा बन गया है। जबकि दिनचर्या में परिश्रम का महत्व बतलाया गया है। जिस प्रकार नहाना, खाना और सोना दिनचर्या के अंग है। उसी प्रकार मेहनत करना भी दिनचर्या का अभिन्न अंग है। जिसको परिश्रमी व्यक्ति समझता है। अनुशासन में रहकर परिश्रम करना स्वस्थ रहने का अमोघ उपाय है। इसलिए जीवन में परिश्रम और अनुशासन का महत्व है। परन्तु आजकल लोग शहरीजीवन को अपना रहे है। जिसमे परिश्रम के लिए मशीनों का उपयोग है। इस कारण हम शारीरिक परिश्रम से अछूते रह जाते है।
जिससे मांसपेशियों के ऊतकों में गंदगी भरने लगती है। जिसको निकालने का परिश्रम ही एकमात्र उपाय है। जब हम मेहनत आदि से जी चुराने लगते है। तब दिन प्रतिदिन इनमे गंदगी जमने का प्रतिशत बढ़ने लगता है। इससे आंतो में संकुचन और प्रसार में बाधा आती है। जिससे मलाशय आदि की क्रियाशीलता शिथिल पड़ने लगती है, और आंतो की गतिविधि भी कमजोर पड़ जाती है। जिससे मल बाहर निकलने के बजाय मलाशय में ही जमा होने लगता है। ऐसा कई दिनों तक होने से, मल सूखा और कडा होने से पेट साफ नहीं होता। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि पेट साफ कैसे करें ?
पेट साफ करने के उपाय (pet saaf karne ke upay)
पाचन प्रक्रिया के परिणामस्वरूप अनावश्यक अवशेष पदार्थ को मल कहा जाता है। जिसके आनुपातिक प्रमाण में बिना रुकावट के निकलते रहने, को ही पेट साफ होना कहा जाता है। जब इसमें किसी प्रकार का व्यवधान आ जाता है। तब पेट न साफ होने की समस्या खड़ी होती है। परन्तु आज के समय में अधिकाँश लोग पेट साफ न होने की समस्या से घिरे है। जिससे अनायास ही अनेको प्रकार के रोगो को पनपने का अवसर प्राप्त होता रहता है। जिससे आसानी से रोग हमारे शरीर में अपना डेरा जमा लेते है। यह सब कुछ देखते हुए भी हम हाथ पर हाथ धरे बैठे रहते है।
शास्त्रों में अबाधित गति से मल निकलते रहने पर ही, स्वास्थ्य की रक्षा और सुख प्राप्त होने की बात स्वीकारी गई है। बिना स्वास्थ्य के सुख की कल्पना ही नहीं की जा सकती। ठीक उसी प्रकार जैसे बिना ईंधन के भोजन नहीं पक सकता। जिस प्रकार ईंधन की अग्नि बाहरी भोजन को पकाती है। उसी प्रकार शरीर के अंदर पायी जाने वाली अग्नि ही भोजन को पचाती है। जिसके व्यस्थित रहने पर पेट स्वतः साफ होता रहता है, और अव्यस्थित होते ही पेट साफ होने में कठिनाई आने लगती है। जिससे आंतो में मल चिपकने, गीला होने, सूखने और कडा होने लगता है।
जिसके लिए आंतो का साफ होना आवश्यक है। जो ब्रेन ट्यूमर आदि में देखने को भी मिलता है। पेट को साफ रखने के लिए, नियमित आंतो की सफाई अत्यंत आवश्यक है। जिसके लिए हमें आंतो की सफाई कैसे करे ? और पेट साफ कैसे रखे ? को जानना और समझना चाहिए। प्रायः शौच साफ होने के उपाय को, पेट साफ करने के तरीके (pet saaf karne ke tarike) भी कहते है। जिसमे मल त्याग में होने वाली रुकावट को, दूर करने का प्रयास किया जाता है।
पेट साफ करने की दवा (pet saaf karne ki dava)
क्योकि पेट साफ न होने से मल अत्यधिक गीला, अधिक समय तक पड़ा रहने से सूखकर कडा होने लगता है। जिसके कारण बाहर निकलने में कठिनाई उत्पन्न करता है। जिसके लिए पेट साफ होने की दवा आदि प्रयोग की जाती है। शास्त्रीय सीमा में पोषक तत्वों से भरपूर भोजन, औषधि गुणों से परिपुष्ट होने के कारण दिव्य है। जिसमे न केवल आंतो में, अवक्षेपित मल को बाहर निकालने की क्षमता है। बल्कि आंतो में पड़े गीले मल को, सुखाकर बाहर करने की भी शक्ति है। जो सुबह पेट साफ करने के उपाय में उत्तम है।
परन्तु पेट साफ न होने की समस्या से पीड़ित व्यक्ति, हर समय पेट साफ करने के विषय में सोचता रहता है। क्योकि वह कष्टदायक पेट की तकलीफो से घिरा रहता है। जैसे – पेट खराब होना, पेट में दर्द होना, पेट में मरोड़ होना आदि। दिनचर्या के अनुरूप सुबह का समय मल त्याग के लिए उपयुक्त है। जब किसी कारणवश इसमें बाधा पहुँचती है तब, सुबह पेट साफ नहीं होता।
जिससे पूरा दिन आलस्य, चिड़चिड़ेपन, ध्यान ( कॉन्सेंट्रेशन ) की कमी आदि का शिकार हो जाता है। जिससे किसी काम में मन नहीं लगता। पेट फूला और वायु से भरा रहता है, अनेको बार प्रत्यन करने पर भी वायु नहीं निकलती। पेट गुगुड़ाता रहता है, आगे – पीछे झुकने पर भी कोई राहत नहीं मिलती। जिसके लिए सुबह पेट साफ नहीं होता क्या करें की बात उठती है।
सुबह उठते ही पेट साफ होने का उपाय में, भोजन की महत्ता सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। जबकि रोग के अत्यधिक बढ़ जाने पर आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक और एलोपैथिक दवाओं का भी उपयोग है। जिसमे पेट साफ करने की सबसे अच्छी आयुर्वेदिक दवा भी है। जिनका प्रयोग पेट साफ करने में किया जाता है। जो इस प्रकार है –
पेट साफ करने के लिए आयुर्वेदिक दवा (ayurvedic medicine for stomach cleansing)
आयुर्वेदीय सिद्धान्तानुसार पेट न साफ होने के दो प्रमुख कारण है। पहला बहुत बड़ी मात्रा में दोषो का संचय होना। दूसरा स्रोतों के मुखों का बंद होना। इन दोनों से बचने के लिए उदर रोगी को बार – बार, विरेचन देने की बात कही गई है। जिसके कुछ योग निम्न है –
- एरंड तेल को बहुत ही न्यून मात्रा में, मूत्र या दूध में मिलाकर एक या दो मास लेने से पेट साफ होने लगता है। यह बच्चों का पेट साफ करने की दवा भी है। जिसका लोग सदियों से आज भी उपयोग कर रहे है।
- ऊटनी का दूध पीने से कड़ा मल निकल जाता है। जिससे धीरे – धीरे पेट साफ होने लगता है।
- सेन्धा नमक और अजवाइन के साथ दन्ती तेल का, सेवन करने से पेट साफ होता है। जिसमे पानी का त्याग और अधिक लाभदायी है।
- चव्य और अदरक की चटनी खाने से, पेट न साफ होने की समस्या से छुटकारा मिलता है। यह पेट साफ़ करने में अदरक के फायदे है।
- शालपर्णी, विधारा, सहिजन और पुनर्नवा की चटनी का सेवन दूध से करे।
उपरोक्त प्रयोगो में से किसी, एक प्रयोग का ही एक बार में उपयोग करे।
पेट साफ करने का चूर्ण (pet saaf karne ka churan)
- लवणभास्कर चूर्ण का सेवन करने से पेट साफ होता है। जिसको सुबह और शाम गुनगुने जल से खाना लाभकारी है। जो पतंजलि आयुर्वेद भी बनाता है। जिसके कारण इसे पेट साफ करने की आयुर्वेदिक दवा patanjali भी कहते है।
- पेट सफा (pet safaa) चूर्ण भी पेट को साफ करने में सहायक है। जिसको प्रतिदिन रात में भोजन के बाद खाया जाता है।
- पतंजलि दिव्य शुद्धि चूर्ण भी, पेट साफ करने का काम करती है। जिसे पेट साफ करने के लिए पतंजलि दवा (pet saaf karne ki dawa patanjali) कहते है।
पेट साफ करने की होम्योपैथिक दवा (pet saaf karne ki homeopathic medicine)
आयुर्वेदादी की भाँती होम्योपैथी मे भी, पेट साफ करने की बढ़िया दवाई है। जिनका उपयोग होम्योपैथी के चिकित्सा विधानों के अनुरूप किया जाता है। सुबह पेट साफ करने की होम्योपैथिक दवा निम्न है –
पेट साफ करने की अंग्रेजी दवा (pet saaf hone ki dawa allopathic)
एलोपैथिक चिकित्सा में पेट को साफ करने के लिए, लैक्सेटिव दवा का उपयोग होता है। जिसका मुख्य कार्य पेट में पानी की उपलब्धता को सुनिश्चित करना है। इसलिए यह पेट में पानी की अधिक मात्रा को सोखने, और पानी की कम मात्रा को बढ़ाने का भी काम करती है। जिससे सूखा और कड़ा मल पानी के संपर्क में आकर मुलायम होकर निकल जाता है। वही अत्यधिक ढीले और गीले मल से पानी सोखने से, मल नरम पड़कर बाहर निकल जाता है।
जिनका इस्तेमाल करके सिरप और टेबलेट आदि बनाई जाती है। जिससे इनके मात्रात्मक सेवन में, त्रुटि होने की संभावना कम हो जाती है। और अनावश्यक नुकसान से हम बच जाते है। इन दवाइयों का नियमित सेवन, इनका आदि बना सकता है। जिसके कारण कभी भी इन दवाओं की निर्भरता नहीं पालनी चाहिए। इसलिए इनके अधिक और नियमित उपयोग से हमे बचना चाहिए।
आगे पेट को साफ करने में सहायक दवाई का वर्णन है। जिसमे सिरप और टेबलेट दोनों ही है। जिन्हे पेट साफ करने वाली सिरप (pet saaf karne wali syrup) भी कहते है। कुछ लोग इन्हे पेट साफ करने की अंग्रेजी दवा सिरप का नाम भी देते है।
पेट साफ करने का सिरप (pet saaf karne ki syrup)
पेट साफ करने के लिए आजकल, अनेको प्रकार के सिरप का उपयोग होने लगा है। जिसको पेट साफ करने वाला सिरप (pet saaf karne wala syrup) कहते है। जिनको खाने से पेट में, एकत्रित मल का निस्तारण होने लगता है। आगे चलकर कुछ ही दिनों में पेट साफ हो जाता है। पेट साफ करने की कुछ सिरप निम्न है –
लक्सोक्लियर सिरप : यह लैक्सेटिव दवा है, जो पेट में अधिक मात्रा में पानी उपलब्ध कराता है। जिससे मल नरम हो जाता है, और आसानी से निकल जाता है। यह पेट साफ़ करने के साथ – साथ, सूखा और कडा मल को बाहर निकालने में मदद करती है।
सॉफ्टेक प्लस सिरप : यह एक कम्बीनेशनल दवा है, अर्थात अनेको दवाओं के मिश्रण से बनी है। जिसका व्यवहार पेट साफ़ करने के लिए किया जाता है। यह दवा पाने को सोखती है। जिससे गैस आसानी से बाहर निकल जाती है। जिसके कारण आंतो में फसा मल, बाहर निकलने में सुगमता होती है।
डेरेलैक्स प्लस सिरप : डेरेलैक्स एक लैक्सेटिव दवा के जैसे काम करती है। जो पेट के पानी को सोखकर पेट साफ करती है। इसलिए यह कब्ज पेट साफ करने की अंग्रेजी दवा syrup है।
क्रैमाफीन प्लस सिरप : यह सिरप लैक्सेटिव कम्बीनेशन से बनी दबा है। जिसका प्रयोग पेट को साफ करने के लिए किया जाता है। यह पेट से अतिरिक्त पानी को सोखकर, पेट से मल को बाहर निकालने में मदद करती है।
लैक्सनोवा प्लस सिरप : पेट से पानी को सोखकर बाहर निकालने की मिश्रित दवा है। जिसके निर्माण में सोडयम पिकोसल्फेट और मिल्क ऑफ़ मैग्नीशिया का उपयोग होता है। जिससे यह लैक्सेटिव जैसा काम करती है।
लेकोफिन प्लस सिरप : लेकोफीन पी भी एक लैक्सेटिव दवा है। जो पेट को साफ करने का काम करती है।
पेट साफ करने की टेबलेट (pet saaf karne ki tablet)
डुलकोलैक्स 10 एम जी टेबलेट : यह लैक्सेटिव और आंतो की सफाई में मदद करती है। यह आंतो में होने वाली हलचल को उत्तेजित करता है। जिससे आंतो कोइ गतिविधि बढ़ जाती है। इसका सर्वाधिक लाभ रात में लेने पर होता है।
लैक्स 10 एम जी टैबलेट : लैक्स टेबलेट भी एक प्रकार की लैक्सेटिव दवा है। जो आंतो के मूवमेंट को बढ़ाती है। जिससे आंतो में चिपका मल मुलायम हो जाता है, और आसानी से पेट को साफ कर देता है।
किलक्स 10 एम जी टेबलेट : किलक्स टैबलेट कब्ज और पेट साफ करने लैक्सेटिव दवा है। जो आंतो की क्रियाशीलता को बढ़ाकर काम करती है।
जुलेक्स 10 एम जी टेबलेट : यह एक लैक्सेटिव दवा है। जो आंतो की गतिविधियों को बढ़ाकर, आंतो की सफाई करता है। इससे यह पेट साफ करने में सहायक है।
आवश्यक निर्देश : किसी भी दवा का उपयोग बिना चिकित्सीय परामर्श के न करे। जीर्ण रोग और गर्भावस्था में तो बिलकुल न करे। किसी भी दवा का इस्तेमाल सोने से ठीक पहले न करे। पेट साफ करने वाली सभी दवाओं में मितली, उल्टी, सिर दर्द, पेट में मरोड़ और दस्त जैसी हानिया हो सकती है। इनका अधिकतम लाभ लेने के लिए, इनको रात में लेना उपयोगी है। क्योकि इसको काम करने के लिए 6-8 घंटे के समय की आवश्यकता होती है। पेट साफ करने वाली दवाओं का सेवन, किसी अन्य दवा के सेवन के 2 घंटे बाद करना चाहिए।
पेट साफ करने का योग (pet saaf karne ka yoga)
पेट को साफ करने और रखने में, पेट साफ करने के योगासन का महत्वपूर्ण योगदान है। योग न केवल हमें शारीरिक, बल्कि मानसिक रूप से भी संतुलित रखता है। जिसके कारण पेट साफ करने की एक्सरसाइज से भी अच्छा माना जाता है। क्योकि व्यायाम एक प्रकार की पेशीगत हलचल है, जोकि योग की प्रारम्भिक अवस्थाओं में यह पाया जाता है। अर्थात अष्टांग योग में यम, नियम, आसन में पेशीय गतिविधिया शामिल है। परन्तु प्राण के अनुत्तरित होने से प्राणायाम को अन्य तीन से उत्तरोत्तर उन्नत समझा जाता है।
जिसके कारण मानसिक स्तर पर भी, हमे मजबूती मिलती है। पौराणिक और आधुनिक मनोरोग चिकित्सक मस्तिष्क को शरीर का नियंता कहते है। जिसके अनुसार शारीरिक अंगो पर, मस्तिष्कीय क्रिया प्रणालियों का पूर्ण नियंत्रण होता है। जिसके कारण मन के प्रसन्न रहने पर, शरीर स्वस्थ रहता है। इसलिए पेट को साफ करने के लिए नियमित योग करना फलदायी है। जिसको लोग पेट साफ करने योग (pet saaf karne yoga) कहते है। जिसमे निम्नलिखित आसन कारगार है –
- पवनमुक्तासन
- भुजंगासन
- नौकासन
- पश्चिमोतानासन
- अर्ध मत्स्येन्द्रासन
- सुप्त मत्स्येन्द्रासन
- विपरीत करणी
उपसंहार / निष्कर्ष :
मानव देह में पाए जाने वाले रोग का मूल स्थान पेट है। जिसके नियमित साफ न होने से, कायिक रोगो को पैदा होने का अवसर प्राप्त होता है। जिसके अधिक समय तक बने रहने पर, इन्हे फलने – फूलने का पर्याप्त अवसर प्राप्त होता है। जिसके कारण पेट, ह्रदय, स्नायु आदि से संबंधित रोग उत्पन्न होते है। जिसके अत्यधिक उग्र होने पर, व्यक्ति की जान भी जा सकती है। जिसके कारण पेट न साफ होने का समय पर, उपचार अथवा इलाज कराना परम आवश्यक है।
हमने यहाँ पेट न साफ होने के कारण और उपाय पर भरसक प्रकाश डाला है। जिसमे पेट साफ न होने के लक्षण आदि है। जिसकी पहचान कर आप समय रहते, पेट साफ कर जीर्ण रोगो से स्वयं को बचा सकते है। जिसमे दवाओं से अधिक भोजन की भूमिका है। इसी पर हम सबसे कम ध्यान देते है। याद रखे किसी भी दवा का सेवन करने पर, हम तात्कालिक रूप से ही स्वस्थ हो सकते है। न कि स्थायी रूप से। स्थायी स्वास्थ्यकी प्राप्ति के लिए शास्त्रीय आहार, दिनचर्या, योग और ध्यान ( भजन ) की आवश्यकता है।
यह वह सिद्धांत है, जो अनादि और अनंत है। जो भ्रम, प्रमाद, कर्णापाटव और विप्रलिप्सा से परे है। जिसका श्रद्धा और विधि पूर्वक अनुपालन करने पर, स्वास्थ्य और सुख दोनों चरक आदि संहितानुसार सुनिश्चित है। अर्थात आज नहीं तो कल इनका अधिगम हमें करना ही होगा।
पेट साफ होने से सम्बंधित प्रश्न (FAQ)
सुबह पेट साफ क्यों नहीं होता
अत्यधिक ठंडा पानी पीने एवं मैदा और रिफाइंड से, निर्मित तले भुने मिर्च मसाले से युक्त भोजन करने तथा देर रात तक जागने आदि के कारण सुबह पेट साफ नहीं होता।
पेट साफ करने के लिए कौन सा योग करें?
पेट साफ रखने में योग सहायक है। जिसके लिए पवनमुक्तासन, भुजंगासन, मत्स्येन्द्रासन आदि लाभदायक है।
पेट साफ करने के लिए चूर्ण कैसे बनाएं?
जमालगोटा की जड़, पिप्पली, चित्रमूलक, वायविडंग और सोंठ को समान भाग में ले। और हरीतकी को दूनी मात्रा में लेकर, सबको कूट – पीसकर रख ले। जिसकी 5 – 10 ग्राम की मात्रा का सेवन, नियमित गर्म पानी से करे। इसके लिए त्रिफला और पंचसकार भी बहुत उपयोगी है।
लैट्रिन नहीं होने पर क्या करना चाहिए?
टट्टी या लैट्रिन न आने पर, गुनगुना पानी अथवा गुनगुने पानी में नमक मिलाकर पीना चाहिए। फिर कुछ समय तक धीरे – धीरे टहलना चाहिए। इसके बाद भी मल का वेग न आये तो, एनिमा आदि का प्रयोग करना चाहिए।
पेट साफ न होने से कौन सी बीमारी होती है?
पेट में सूखे मल के जमने से कब्ज होता है। जिसका शीघ्र उपचार करना चाहिए। ऐसा न करने पर हमारे शरीर में, अनेको बीमारियों के होने की संभावनाए प्रबल हो जाती है। जैसे – कब्जियत, अनेक प्रकार के गुदा रोग, साइटिका, लकवा आदि।
सन्दर्भ :
- चरक चिकित्सा अध्याय 13
- सुश्रुत निदानस्थान अध्याय 7
- अष्टांग संग्रह निदान अध्याय 12
- अष्टांग ह्रदय निदान अध्याय 12
- कॉम्परेटिव मैटेरिया मेडिका द्वारा एन सी घोस
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