गुदा की रक्तवाहिनियों में दूषण प्राप्त रक्त का संचय होने से, गुद वलियो में सूजन आने लगती है। इसके बढ़ते रहने से यह वाहिनिया फट जाया करती है। जिससे गुदा में दरार दिखाई देने लगती है। जिसके उपचार में फिशर के लिए टेबलेट ( best tablet for fissure ) का प्रयोग किया जाता है। जो फिशर रोग में होने वाली तकलीफो में लाभ करती है। परन्तु फिशर की एलोपैथिक दवा में, संक्रमण रोधी के रूप में एंटीबायोटिक को अच्छा माना जाता है। तो आइये फिशर के लिए सबसे अच्छा एंटीबायोटिक, पेन किलर और स्टूल सॉफ्टनर दवाओं के बारे में जानते है।
फिशर रोग में रक्तवाहिनियो के फट जाने से भीषण दर्द होता है। जो उठने – बैठने, चलने – फिरने, कपडे की रगड़ और दाब लगने आदि से गुदा में दर्द होता है। जिसके लिए फिशर की अंग्रेजी दवा में, पेन किलर का प्रयोग किया जाता है। लेकिन यह दर्द मलत्याग के दौरान सबसे अधिक होता है। जिसका सबसे बड़ा कारण मल का सूखा और सख्त होना है। जिसके लिए स्टूल सॉफ्टनर का उपयोग आवश्यक होता है। ऐसी परिस्थिति में फिशर का घरेलू नुस्खा भी बहुत काम आता है।
हालाकिं फिशर रोग की समस्याओ के समाधान में, फिशर का आयुर्वेदिक इलाज अत्यंत प्रभावशाली है। जो फिसर के भयंकर दर्द, जलन, चुभन, थकान और खून रिसने की समस्या को दूर करता है। जिसमे मुख्य रूप से यह दो काम करता है। पहला उदर की पाचन समस्या का निदान करता है। और दूसरा आंतो की सफाई कर देता है। जिसे लोग पेट साफ होना कहते है।
एनल फिसर क्या है ( what is anal fissure in hindi )
यह मुख्य रूप से मलाशय और गुदौष्ठ के बीच पायी जाने वाली, गुद नलिका में होने वाली बीमारी है। जिसमे पेशीनुमा तीन वालिया पायी जाती है। जिनमे रक्त शिराए लम्बाई की ओर स्वाभाविक रूप से फैली हुई होती है। जिसमे कपाट नहीं पाए जाते। जिससे मलत्याग के समय प्रवाहण * करने पर, इनमे रक्त का कुछ अंश चला जाता है। जिसके वापस आने का कोई मार्ग न होने से वापस नहीं आ पाता। जिसके कारण वही ( गुद वली शिरा ) एकत्रित होने लगता है।
मलबद्धता, अतिसार और ग्रहणी जैसे रोगो में, प्रत्येक मलत्याग के समय प्रवाहण की पुनरावृत्ति प्रायः होती है। जिसके फलस्वरूप रक्त का कुछ न कुछ अंश, गुदवलियो में संचित होता रहता है। जब यह स्थिति अधिक समय तक बनी रहती है। तब दो प्रकार के उपद्रव देखने को मिलते है। जिसमे फिशर के लिए टेबलेट का प्रयोग किया जाता है।
पहला रक्त शिराए रक्त पूरित होकर फूलने लगती है। जो मांस के अंकुरों के रूप में दिखाई पड़ती है। जिन्हे बवासीर के लक्षण कहा गया है। दूसरा अधिक मात्रा में रक्तवाहिनियों में रक्त के एकत्रित हो जाने पर, वलि शिराओ में स्थान सीमित होने से अतिरिक्त रक्त संचय का स्थान शेष नहीं बचता। इस स्थिति में प्रवाहण आदि के कारण, दाब लगने पर यह फट जाया करती है। जिससे गुदा द्वार पर दरार बनने लगती है। जिसे फिशर का रोग माना गया है। एनल फिशर का दर्द ( anal fissure pain ) बहुत तीव्र होता है।
* प्रवाहण – गुदा पर दाब डालकर मल को बाहर निकालने की क्रिया
फिसर डिजीज मीनिंग ( fisher disease meaning in hindi )
फिशर रोग गुद वलियो की शिराओ में, खून के जमा हो जाने से होने वाला रोग है। जिसके कारण रक्तवाहिनियों पर दाब बढ़ता जाता है। फलस्वरूप इनके फट जाने से, मल द्वार में दरार दिखाई देने लगती है। जिसे गुद चीर अथवा गुदा फिशर के नाम से जाना जाता है। जिसे ऊपर fissure फिशर फोटो में देखा जा सकता है।
एनल फिशर बनाम हेमोर्रोइड्स ( anal fissure vs hemorrhoids in hindi )
गुद वलियो की रक्त शिराये जब रक्त पूरित होकर, फूल जाया करती है। तब इन वलि स्थानों में मांस के अंकुर निकल आया करते है। जिन पर सौत्रिक धातु का निरंतर आवरण बनते रहने से, बवासीर का रूप धारण कर लेती है। लेकिन जब यही गुद वलि की रक्त शिराए, खून से भरकर फटकर दरार युक्त हो जाती है। तब फिशर कहलाती है।
फिसर का इलाज ( fishar ka ilaj in hindi )
गुदा में आयी दरारों का उपचार करने की कई विधिया है। जिसमे अनेको प्रकार के टेबलेट्स, ऑइंटमेंट आदि है। जिसमे फिशर के लिए क्रीम का वाह्य प्रयोग किया जाता है। जबकि टेबलेट आदि का आंतरिक रूप में उपयोग होता है।
फिशर रोगो का उदय उदर रोगो से होता है। जिसके कारण फिशर में क्या नहीं खाना चाहिए और क्या खाना चाहिए का ध्यान रखना भी आवश्यक है। ऐसा करने पर हमारा भोजन ही दवा का रूप ले लेता है। इस आधार पर हमारा भोजन ही, फिशर की सबसे बढ़िया दवा ( best medicine for fissure ) बन जाता है।
आमतौर पर बवासीर और गुदा विदर दोनों, गुदा में एक ही स्थान पर होने वाले रोग है। जिससे इसके होने वाले कारण भी समान है। जिनके उपचार के लिए निम्न तरह की टेबलेट का प्रयोग होता है। जिन्हे पाइल्स और गुद चीर की सबसे अच्छी टेबलेट ( best tablet for piles and fissure ) भी कहते है।
फिशर के लिए सबसे अच्छा एंटीबायोटिक ( best antibiotics for anal fissure in hindi )
एलोपैथी में संक्रमण रोधी के रूप में, एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग होता है। फिर चाहे वह गुदा रोग हो या अन्य कोई रोग। फिशर रोग की सबसे अच्छी एंटीबायोटिक ( best antibiotic for fissure ) दवाएं निम्नलिखित है –
- Cefadroxil
- Cefazolin
- Cefixim
- Cephalexin
फिशर के लिए पेन किलर ( best pain killer tablet for fissure in hindi )
फिशर में होने वाले विभिन्न तरह के दर्द में, जिन दवाओं का प्रयोग होता है। उन्हे फिशर पेन की टेबलेट ( tablet for fissure pain ) कहा जाता है। यह फिशर रोग में होने वाले दर्द में राहत पहुंचाते है। जिससे इन्हे फिशर में राहत पहुंचाने वाली टेबलेट ( fissure pain relief tablets ) के नाम से भी जाना जाता है। जिसमे निम्न दवाओं का प्रयोग होता है –
- पेरासिटामोल ( Paracetamol )
- आइबूप्रोफेन ( Ibuprofen ), आदि।
स्टूल सॉफ्टनर फॉर एनल फिशर ( stool softener for anal fissure in hindi )
गुदा रोगो के उपचार में मल का विरेचन आवश्यक है। जिसका मुख्य गुण मल को मुलायम और ढीला करना है। जिसमे निम्न तरह के उपाय शामिल है –
स्टूल सॉफ्टनर टेबलेट ( stool softener tablet ) : एलोपैथी में ढीला और मुलायम बनाने के लिए, लैक्सेटिव जैसी दवाओं का प्रयोग होता है। जिनके सेवन आंतो में पड़ा सूखा और कडा मल, ढीला होकर बाहर निकलने लगता है। जिसमे निम्न फिशर के लिए टेबलेट उपयोगी है-
- डलकोलैक्स ( Dulcolax )
- डलकोफ्लेक्स ( Dulcoflex ) आदि।
स्टूल सॉफ्टनर सिरप ( stool softener syrup ) : मल को मुलायम बनाने वाली सिरप, लैक्सेटिव दवाओं के मिश्रण से बनाई जाती है। जिससे इसके प्रभाव भी स्टूल सॉफ्टनर टेबलेट की तरह ही होते है। जिसकी उपयोगी सिरप निम्नलिखित है –
- डलकोलैक्स सिरप ( Dulcolax Syrup ) BUY NOW
- डाबर लैक्सिरिड ( Dabur Laxirid ) आदि। BUY NOW
नैचुरल स्टूल सॉफ्टनर ( stool softener natural ) : मल को प्राकृतिक रूप से मुलायम बनाने के लिए, आयुर्वेद में बहुत से उपाय बताये है। जिनको पेट की कब्ज आदि के उपचार में भी उपयोग किया जाता है। यह सब के सब कब्ज मिटाने के घरेलू उपाय भी कहलाते है। जैसे –
अरंडी तेल : अरंडी का तेल कब्ज और जीर्ण कब्ज में बहुत लाभ करता है। जिसकी कुछ बूंदे रात्रि में दूध के साथ मिलाकर पीना सर्वोत्तम है।
त्रिफला चूर्ण : आयुर्वेद की दृष्टि में इसको श्रेष्ठ विरेचक के रूप में देखा जाता है। जिसका सेवन करने से कब्ज, सूखे और कड़े मल की समस्या में बहुत लाभ होता है।
पंचसकार चूर्ण : पेट को साफ रखने की यह अमोघ दवा है। जिसका नित्य प्रति सेवन करने से आंतो की गड़बड़ी दूर हो जाती है।
हरण : भोजन को पचाने और मल का निस्तारण करने की यह बहुत बढ़िया दवा है। जिसका सेवन करने से कब्ज की समस्या से राहत मिलती है।
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स्टूल सॉफ्टनर फूड ( stool softener foods ) : फाइबर से भरपूर, ताजे हरे और खट्टे फलो और सब्जियों का सेवन करना उपयोगी है। शुद्ध तेल और घी उत्कृष्ट कोटि का स्टूल सॉफ्टनर है। जिसका नियमित और विधि पूर्वक सेवन करने से, मल के बद्ध होने की समस्या नहीं होती।
उपसंहार :
गुदा विदर या गुदा फिशर का उपचार करने की एक विधा टेबलेट आदि भी है। जिनको एलोपैथी दवाओं का उपचार कहा जाता है। जिसमे फिशर के लिए टेबलेट का प्रयोग होता है। जिसमे संक्रमण को रोकने के लिए, एंटीबायोटिक दवा उपयोग की जाती है। एनल फिशर के दर्द को दूर करने के लिए, पेन किलर का प्रयोग हुआ करता है। वही कड़े और सूखे मल को बाहर निकलने में, स्टूल सॉफ्टनर प्रयोग में लाई जाती है। जिसमे कुछ प्राकृतिक उपाय भी है।
इनके साथ यदि आहार – विहार का ध्यान रखा जाय, तो किसी भी उपाय शीघ्र फलदायी होते है।
ध्यान रहे : यहाँ जितनी भी दवाई बतायी गई है। उनका एकमात्र उद्देश्य चिकित्सीय जानकारी प्रदान करना है। न कि उनला चिकित्सीय उपचार में प्रयोग करना है। इसलिए किसी भी दवा का उपयोग करने से, पूर्व अपने चिकित्सा विशेषज्ञ से सलाह लेना न भूले।
FAQ
फिशर की सबसे अच्छी एंटीबायोटिक कौन सी है?
फिशर के लिए सेफडरोक्सिल आदि को बढ़िया एंटीबायोटिक माना गया है।