मल सूखा और कडा होने के साथ मल द्वार में दर्द होना, कब्ज के लक्षण माने गए है। जिसमे सबसे बड़ी कठिनाई पेट साफ करने में होती है। जिसकी मुख्य वजह पेट में लैट्रिन का सूख जाना है। जिसके कारण कब्ज पेट फूलना, पेट में मरोड़ और दर्द होना, उलझन होना, उल्टी होना, ओक आने जैसी समस्याए होती है। जिससे राहत पाने के लिए कब्ज तोड़ने की दवा बहुत लाभ पहुँचाती है। जिससे तत्काल कब्ज से राहत मिल जाती है। किन्तु इसके स्थायी उपचार के लिए कब्ज का परमानेंट इलाज अत्यंत आवश्यक है।
आयुर्वेद की त्रिदोषज चिकित्सा में, मलबद्धता के लिए दो दोषो को जिम्मेदार ठहराया गया है। जिसमे पहला वात और दूसरा पित्त है। जबकि कभी – कभी कफ दोष के कारण भी कब्ज देखने को मिलती है। लेकिन कब्ज में यह दोनों ही दोष अपने – अपने स्वभाव के अनुरूप मल को सुखाते है। जिससे पेट में मलावरोध की समस्या जन्म ले लेती है। जिससे पेट में गैस बनना और मल का सूख जाना। यह दो प्रकार के दोष प्रमुखता से देखे जाते है। जो मुख्य रूप से पेट साफ न होने के लक्षण की ओर भी इशारा करते है।
हालाकिं बवासीर के लक्षण में भी मल द्वार में दर्द होना पाया जाता है। जिसका मुख्य कारण बवासीर आदि में भीषण कबज आदि का होना है। अर्थात कब्जियत की अग्रिम अवस्था के रूप में, बवासीर और फिशर के लक्षण पाए जाते है। जिसमे कब्ज की मौजूदगी के कारण, मलत्याग में परेशानी होती है। जिनसे तत्काल राहत पाने के लिए पेट साफ करने के घरेलू उपाय बहुत काम आते है। यह कब्ज में होने वाली कोष्ठबद्धता को दूर करने में सहायक है।
कब्ज के कारण मल द्वार में दर्द होने का कारण
मलबन्ध की समस्या होने पर, मलत्याग में कठिनाई होती है। जिसमे गुदा द्वार पर दर्द होना स्वाभाविक तौर पर देखा जाता है। जिसका मुख्य कारण मल का सूखना और कडा होना है। जिससे मलत्याग के लिए बहुत काँखना पड़ता है। जिससे अक्सर शुक्र के क्षय होने की संभावना बनी रहती है। जिसके कारण जीवनी शक्ति का भी ह्रास होने लगता है। गुदा रोगो में कब्ज होने से, मलाशय में सूखा मल जबरजस्ती काँखकर निकालने से गुदा पर घाव हो जाता है। जिससे मलद्वार पर भीषण दर्द, जलन और खुजली हुआ करती है। जिसके कारण रोगी का उठना – बैठना दूभर हो जाता है।
बद्धकोष्ठ की समस्या जठर में पायी जाने वाली, अग्नि के सम न होने के कारण होती है। जिसके लिए वात और पित्त नामक दो दोष मुख्य रूप से उत्तरदायी है। जिस पर ध्यान न देने से कब्जी की समस्या दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ती ही रहती है। इसलिए तत्काल कब्ज राहत पाने के लिए इनको दूर करना आवश्यक हो जाता है। परन्तु इन समस्याओ पर ध्यान न देने से, कब्ज की समस्या दिन ब दिन गंभीर होती है। जिससे कब्ज का समाधान ( constipation solution ) करना भी कठिन होता जाता है। जिसमे पेट साफ़ होना बहुत जरूरी है। जिसके लिए पेट साफ करने की गोली बहुत काम आती है।
कब्ज के प्रकार ( Types of constipation in hindi )
मलबन्ध अथवा कब्ज दो प्रकार की होती है। जिसमे कुछ साध्य होती है और कुछ अत्यंत जीर्ण होने के कारण असाध्य हो जाती है। हालाकिं अब कब्ज को असाध्य नहीं माना जाता। लेकिन चिकित्सा लेने में देरी करने पर, कई विध्वंसक और विघातक रोगो को जन्म देने में यह समर्थ हो जाती है।
गंभीर कब्ज ( Acute constipation ) :
गंभीर कब्ज के लक्षण में अधिक पेट फूलना, पेट में मरोड़ के साथ दर्द होना होता है। इसके साथ मलत्याग में जोर लगाने पर भी मल नही निकलता। परन्तु शौचालय में बहुत प्रयत्न करने पर, कभी – कभी इसमें ऐसा दर्द होता है। मानो प्राण ही निकल जायेगे। जिसका कारण पेट में अत्यधिक मात्रा में गैस बनना है। जो न तो गुदा से बाहर आती है और न मुँह से। इसलिए इसको जीर्ण कब्ज से अधिक घातक माना जाता है। इस अवस्था में चिकित्सा न लेने से जान जाने का भी खतरा होता है।
जीर्ण कब्ज ( chronic constipation ) :
जब गंभीर कब्ज अधिक समय तक बना रहता है, तब जीर्ण कब्ज होने की संभावना बढ़ जाती है। जिसमे दर्द अधिक नहीं होता, किन्तु मलत्याग का वेग ही नहीं लगता। जिससे रोगी कई दिनों अथवा महीनों तक, बिना मलत्याग के ही रहता है। यह अधिक समय तक बनी रहने पर, आंतो और गुदा की सक्रियता को शून्य करती रहती है। इस कारण जीर्ण कब्ज का उपचार कराना अत्यंत आवश्यक हो जाता है।
तत्काल कब्ज राहत के उपाय ( instant relief from constipation in hindi )
आयुर्वेद में मलबद्धता के लिए तीनो दोषो को जिम्मेदार माना गया है। जिसमे वात दोष से विषमाग्नि, पित्त दोष से तीक्ष्णाग्नि और कफ दोष से मंदाग्नि की समस्या होती है। जिसको संतुलित करने के लिए तीनों अग्नियों को सम करना पड़ता है। जिसको आयुर्वेद की भाषा में समाग्नि कहा जाता है। जो स्वस्थ व्यक्तियों में पायी जाती है। जबकि कब्ज आदि रोगो से पीड़ित रोगियों में, अपने – अपने बढे हुए दोषो के अनुसार विषम – तीक्ष्ण – मंद अग्नि पायी जाती है।
जो अधिक जीर्ण होने पर दोषों का परस्पर अनुबंध कर लेती है। जिससे यह युग्मित दोषो से अनुबंधित होकर, रोग लक्षणों का रोगी में प्रदर्शन करने लगती है। जिससे इसकी पहचान करने में भी कठिनाई होती है। कब्ज के यह अनुबंधित दोष कभी दो तो कभी तीन दोषो का युग्मन कर लेते है। जिसके कारण यह द्वंदज और सन्निपातिक भी कहे जाने लगते है। परन्तु अक्सर यह देखा गया है कि कब्ज के समस्या के लिए वात और पित्त जिम्मेदार होते है। जिससे युग्मित होकर द्वन्दज अनुबंध ही बना पाते है। जिससे कब्ज में एक दोष मुख्य रूप से, जबकि दूसरा गौड़ रूप से अपना प्रभाव दिखाता है।
कब्ज का परमानेंट इलाज करते समय, प्रधान और गौड़ दोष की पहचान करना होता है। जिससे वात दोष से विषमाग्नि और पित्त दोष के कारण तीक्ष्णाग्नि संतुलित होकर, समाग्नि का रूप धारण कर सके। जिसके लिए आयुर्वेद में बहुत ही कारगर और उपयोगी औषधियां बताई गई है। जो कब्ज से तुरंत राहत दिलाने में सक्रीय भूमिका निभाती है। जिनके विधिपूर्वक सेवन करने से कब्ज जड़ से मिट सकती है। यदि आहार और दिनचर्या आदि का उचित प्रबंध किया जाय।
तुरंत कब्ज तोड़ने की दवा ( instant indian home remedy for constipation in hindi )
कब्ज का परमानेंट इलाज करने के लिए दवाओं की भूमिका अहम है। जिसमे कब्ज तोड़ने का घरेलू नुस्खा सबसे अधिक प्रचलित है। जो हमारे घर के आसपास जितनी आसानी से मिल जाता है। उतना ही प्रभावी ढंग से कब्ज जैसे रोगों को दूर भगाता है। जिसके कारण इसको लोग तुरंत कब्ज तोड़ने के उपाय भी मानते है। जिसका मुख्य कारण आयुर्वेद में वर्णित विसंगति को प्राप्त दोष का वारण करना है। जो रोग की अवस्था में अक्सर बढ़ या घट जाया करते है। जबकि स्वस्थ रहने पर सदैव एक समान बने रहते है।
आयुर्वेदानुसार कब्ज होने पर समाग्नि के दो रूप देखने को मिलते है। जिसमे पहली है विषमाग्नि जो वात दोष के बढ़ जाने पर देखा जाता है। इसमें कभी भोजन पचता और कभी नहीं पचता। जिसके कारण इसका प्रभाव रुक – रुक कर दिखाई देता है। अर्थात जब भोजन का पाचन हो जाता है, तब कब्ज में पाए जाने वाले लक्षण नहीं पाए जाते। किन्तु जब भोजन ठीक से नहीं पचता, तब शरीर में कब्ज के उपद्रव देखने को मिलते है। जिसमे मुख्य रूप से पेट में गैस बनना, गला जलना, खट्टी डकार आना इत्यादि है। जो वायु के प्रतिकूल होने का परिणाम मात्र है।
और दूसरी है तीक्ष्णाग्नि, जो पित्त दोष के बढ़ने से पैदा होती है। जिसमे हमारे पेट के भीतर की अग्नि बढ़ जाती है। जिससे शरीर का जल सूखने लगता है। जिससे मलाशय का मल भी सूखकर, सख्त और कडा हो जाता है। जिसको बाहर निकालने के लिए बार – बार काँखना पड़ता है। जिससे आंतो में पायी जाने वाली गंदगी गुदा से बाहर नहीं निकल पाती। जो धीरे – धीरे पुरानी होकर भीषण कोहराम मचाती हुई मलद्वार में सूजन और दर्द पैदा करती है। जिससे निजात पाने के लिए निम्नलिखित उपायों से, कब्ज का परमानेंट इलाज करना आवश्यक हो जाता है।
कब्ज का परमानेंट इलाज आयुर्वेदिक ( constipation ayurvedic medicine in hindi )
कब्ज के लिए आयुर्वेदिक दवा के रूप में, विरेचन का सर्वाधिक प्रयोग किया जाता है। जो कब्ज में अत्यंत फलदायी है। यह शरीर में बढे हुए दोषो को मल के साथ बाहर निकाल देता है। जिससे पित्त दोष का असंतुलन कम होते – होते, संतुलित होने लगता है। किन्तु वात दोष के बढ़ जाने से, शरीर में रुक्षता आ जाती है। जिसके निवारण के लिए मृदु रेचक जैसे दूध आदि का सेवन कराया जाता है। और आवश्यकता होने पर मालिश के साथ वस्ति आदि का भी प्रयोग, कब्ज का परमानेंट इलाज में किया जाता है। जिसके लाभकारी योग निम्नलिखित है –
- नित्य भोजन के पूर्व अदरक के टुकड़ों में सेंधा नमक मिलाकर खाने से, कब्ज की समस्या कभी नहीं होती।
- पेट में कब्ज होने पर बड़ी हरड़ के चूर्ण को गुड़ में, मिलाकर खाने से कब्ज हमेशा के लिए मिट जाती है।
- घी में हींग को भूनकर, चावल के मांड में काला नमक मिलाकर पीने से विषम और मंद अग्नि सम हो जाती है।
- छोटी पीपल, हरड़ और सोंचर लवण तीनों को बराबर – बराबर लेकर, कूट पीसकर चूर्ण बनाकर छानकर शीशी में भरकर रख लेवे। इस चूर्ण को वात और पित्त दोष में 1 – 3 ग्राम दही के साथ, और कफ दोष में गरम पानी के साथ लेने से सभी तरह की कब्ज में लाभ होता है।
कब्ज का परमानेंट इलाज होम्योपैथिक ( constipation homeopathic medicine in hindi )
होम्योपैथी लक्षण आधारित चिकित्सा है। जिसमे कब्ज की परमानेंट दवा कोई नहीं है। जिसका मुख्य कारण अलग – अलग कब्ज से पीड़ित व्यक्तियों में, कब्ज के लक्षण में विविधता का पाया जाना है। जो हर रोगी को अपने आप में अद्वितीय बनाती है। जिससे होम्योपैथी में हर व्यक्ति के लिए, कब्ज का परमानेंट इलाज medicine अलग भी हो सकती है और एक भी। जिसका निर्धारण रोगी की धातु और उसमे मिलने वाले लक्षण से तय किये जाते है। फिर भी आमतौर पर होम्योपैथी में, कब्ज का परमानेंट इलाज करने के लिए निम्न दवाओं का प्रयोग हुआ करता है।
कोलिंसोनिया :
इसके रोगियों में हमेशा कब्ज बना रहता है। पेट में वायु इकठ्ठी होती है और दर्द बना रहता है। कब्ज में ऐसा होता है कि तीन – तीन चार – चार दिन तक पाखाना न होकर एक दिन तीसरे पहर या शाम में समय होता है। जिसमे गांठे निकला करती है। इसके दर्द रात में बढ़ा करते है।
एल्युमिना :
यह बूढ़ो, वयस्कों के साथ शीशी का दूध पीने वाले बच्चों की बहुत ही बढ़िया दवा है। इसकी कब्ज इतनी जबरजस्त होती है कि जब तक पेट में खूब ज्यादा मल इकठ्ठा नहीं हो जाता। तब तक मल का वेग ही नहीं आता और उसको लाने की कोशिश ही रहती है। मलत्याग के समय बहुत काँखना और जोर देना पड़ता है। मल कडा और गाँठ – गांठ होता है। जिसमे आव लिपटी रहती है। इसमें रोगी के मल नली की क्रिया नहीं होती। जिससे नरम और पतले दस्त भी जोर लगाकर काँखे बिना नहीं होते। जबकि कडा मल मलद्वार में उगली डाले बिना नहीं निकलता।
ओपियम :
इसमें मलत्याग की इच्छा और वेग बिलकुल ही नहीं रहता। ओपियम के रोगी के पेट में बहुत ज्यादा इकठ्ठा रहने पर भी मलत्याग की इच्छा नहीं होती। बिना पिचकारी दिए मल नहीं निकलता। मलद्वार सुन्न सा मालूम पड़ता है। इसमें मल बहुत कडा, काला, गाँठ – गाँठ और देखने में छोटी – छोटी गोल गोलियों जैसा रहता है।
प्लम्बम :
इसमें ओपियम के जैसे कड़ा और काले रंग का गाँठ – गाँठ दार मल होता है। जिसमे कब्ज मलद्वार के संकोचन के कारण होता है। इसमें मलद्वार से मलाशय ( सरलांत्र ) तक ऐसा जान पड़ता है। मानो डोरी से बांधकर खींच रहा है। जिससे रोगी मल द्वार में अंगुली डालता है।
कब्ज में क्या क्या नहीं खाना चाहिए ( foods to avoid constipation in hindi )
कब्ज के उपचार में, आहार को दवा से भी अधिक महत्वपूर्ण माना गया है। इसलिए कब्ज का परमानेंट इलाज करते समय, कब्ज में क्या नहीं खाना चाहिए का विशेष ध्यान रखना होता है। लेकिन यदि पेट में कब्ज हो तो क्या नहीं खाना चाहिए और क्या खाना चाहिए का ध्यान, हम पूर्व से ही रखे तो कब्ज जैसे रोग होने की संभावना नहीं होती। तो आइये अब जानते है कि कब्ज में क्या क्या नहीं खाना चाहिए ( kabj mein kya kya nahin khana chahie )
- बहुत तीखा, चटपटा और मसाले दार भोजन न खाये
- बहुत रूखा, चिकना और देर से पचने वाले आहारों से दूरी बनाये
- रात्रि में गरिष्ट भोजन न करे
- बासी भोजन न करे
- अर्ध अथवा देर रात्रि में भोजन न करे
- रेफ्रिजेटर और बर्फ के पानी से दूर रहे
- सोडा वाटर, कार्बोनेटेड वाटर और एनर्जी ड्रिंक से तो दूर ही रहे
- फाइबर की कमी वाले खाद्य आहारों को न ले। जैसे ब्रेड, टोस्ट आदि।
- यदि वयस्क है तो दिन में दूध का सेवन न करे
- आर वो वाटर के बजाय शोधित जल का प्रयोग करे
- प्लास्टिक, थर्माकोल और फोम आदि से बनी, थाली एवं पत्तल का प्रयोग भोजन के लिए न करे
- रात्रि में भोजन के ठीक बाद बिस्तर में सोये नहीं, आदि।
कब्ज के लिए उच्च फाइबर फल ( high fiber food for constipation in hindi )
कब्ज का परमानेंट इलाज करने के लिए उपयुक्त आहार आवश्यक है। जिसके बिना कब्ज तो क्या किसी भी रोग में कितनी भी औषधि खाने से कोई बात नहीं बनती। जिसको आयुर्वेद ने औषधि से भी अधिक महत्वपूर्ण माना है। इसलिए शरीर को स्वस्थ रखने में खाद्य आहारों की, अहमियत को स्वीकारना हमारी लाचारी है। जिसका अनदेखा करने वालों को इसका रोग आदि के रूप में, एक न एक दिन मूल्य चुकाना ही पड़ता है।
कब्ज के ज्यादातर मामलों में, फाइबर की कमी निश्चित रूप में पायी जाती है। जिसको दूर किये बिना कब्ज को मिटाना, हथेली पर सरसों उगाने के सामान है। जिसके कारण कब्ज रोगी को स्वस्थ व्यक्ति से अधिक खाद्य फाइबर की आवश्यकता होती है। जिसमे फलों का महत्वपूर्ण स्थान है। फिर चाहे वह कोई भी फल क्यों न हो? परन्तु आजकल लोग फल खाने से अधिक महत्व फल के जूस को देने लगे है। जिसके दो मुख्य प्रयोजन है। पहला जूस पीने में मेहनत न लगने से आसान है। दूसरा इसको पीने में समय कम लगता है।
परन्तु किसी भी फल को पूरी तरह पचाने के लिए, उसके संघटक के रूप में फाइबर आदि तत्व पाए जाते है। जो जूस पीने पर हमें प्राप्त नहीं होते। जिसके अभाव में हम कब्ज जैसे रोगों के शिकार होने लगते है। गूदे दार और खुज्झी वाले फलों में पर्याप्त फाइबर पाया जाता है। जैसे –
- पपीता
- मौसमी
- आम
- संतरा
- अनानास
- अमरुद
- अनार
- केला
- सीताफल या शरीफा
- नारियल पानी
- पानी वाला और सूखा नारियल आदि।
कब्ज के लिए एक्सरसाइज ( exercise for constipation in hindi )
इसमें कोई दो राय नहीं कि कब्ज में एक्सरसाइज करने के फायदे है। लेकिन आजकल लोग रोजी – रोटी में इतने व्यस्त है कि एक्सरसाइज के लिए समय ही नहीं निकाल पाते। जिसका परिणाम एक न एक दिन मलबंध जैसे रोगो की चपेट में आ जाते है। इस लिए नियमित रूप से व्यायाम के रूप में ही सही परिश्रम अति आवश्यक है। जिसको समझकर अपनाने वाले लोग सदा रोग की चपेट से मुक्त रहते है। जबकि समय के अभाव में व्यायाम को दर किनार करने वाले लोग, दवाइया खा – खाकर भी बीमार ही बने रहते है।
आज की उन्नत तकनीक के लोग दीवाने है। जिसके कारण आजकल एक्सरसाइज मशीन द्वारा व्यायाम होने लगा है। जिसमे एक्सरसाइज साइकिल आदि है। जो एक ही स्थान पर रहते हुए वर्कआउट के बेहतर उपाय है। जिसका उपयोग करने से शरीर में जमी गंदगी, पिघलकर पसीने आदि के रूप में निकल जाती है। जिससे बीमारियों के लगने का खतरा काफी कम हो जाता है। इसके साथ मांसपेशियों की कार्य क्षमता भी बढ़ने लगती है। जो पेट साफ करने की आयुर्वेदिक दवा से कम उपयोगी नहीं है।
कुछ भी हो एक्सरसाइज से पूरा लाभ उठाने के लिए, एक्सरसाइज करने के नियम का अनुशरण आवश्यक है। जिसको ताक पर रखने से, हमें लाभ के बजाय हानि भी हो सकती है। इसके लिए प्रातः काल का समय सबसे बढ़िया है। जिसमे आक्सीजन पर्याप्त होने से फेफड़े खुलकर सांस लेते है, और लालिमा युक्त सूर्य प्रकाश हमारी त्वचा को विटामिन दी आदि का पोषण देता है। जिसमे धीमे गति से की जाने वाली एक्सरसाइज सर्वोत्तम है। जैसे – पैदल चलना आदि। जिसका अनुशरण किसान लोग आज भी खेत में हल चलाकर करते है। इसलिए जीवन में खुश और स्वस्थ रहते है।
उपसंहार :
आयुर्वेदानुसार उदरगत त्रिअग्नियों को सम रखना, कब्ज का परमानेंट इलाज है। जिसके लिए वात, पित्त और कफगत दोषो में संतुलन बनाना आवश्यक है। जिससे कब्ज पेट फूलना और मल द्वार में दर्द होना की समस्या न हो। लेकिन कब्ज की समस्या के अत्यधिक जीर्ण होने पर, किसी बड़े संकट से बचने हेतु तत्काल कब्ज राहत की आवश्यकता पड़ती है। जिसमे कब्ज तोड़ने की दवा बहुत ही लाभदायी है।
आमतौर पर कब्ज होने के पीछे हमारा खानपान, दिनचर्या आदि का महत्वपूर्ण योगदान होता है। जिसमे सुधार किये बिना किसी दवा पर आश्रित रहना, कब्ज का स्थायी इलाज नहीं हो सकता। इसके लिए कब्ज को पैदा करने वाले कारणों पर कार्य करने की आवश्यकता होती है। जिसमे गुणवत्ता पूर्ण भोजन, उचित दिनचर्या के साथ देहानुकूल परिश्रम अत्यंत आवश्यक है। किन्तु आज के समय में ज्यादातर लोग व्यायाम आदि को महत्व नहीं देते। और दवाइया खा – खा कब्ज का उपचार करते रहते है।
जिसके उपयोग से कुछ समय के लिए कब्ज से राहत तो मिल जाती है। लेकिन कब्ज का कुछ न कुछ अंश हमारे शरीर में बना ही रहता है। जिससे भविष्य में यह और भी अधिक गंभीर समस्या के रूप में, उभरकर बाहर निकलने की संभावना बनी रहती है। जिससे बचने के लिए सही जीवनशैली अपनाने की आवश्यकता है। जिससे हम अधिक समय तक रोग से बचे रहे।
ध्यान रहे : यहाँ पर बताये गए सभी उपाय, चिकित्सीय उपाय नहीं है। इसलिए इनको अपनाने से पूर्व चिकित्सा विशेषज्ञ से परामर्श अपेक्षित है।
सन्दर्भ :
चरक चिकित्सा अध्याय – 13
सुश्रुत उदर निदान अध्याय – 07
सुश्रुत उदर चिकित्सा अध्याय – 14
माधव निदान अध्याय –
अष्टांग ह्रदय उदर निदान अध्याय – 12
अष्टांग ह्रदय उदर चिकित्सा अध्याय – 15
अष्टांग संग्रह उदर निदान अध्याय – 12
अष्टांग संग्रह उदर चिकित्सा अध्याय – 17
योग रत्नाकर उदर निदान पृष्ठ – 102
योग रत्नाकर उदर चिकित्सा पृष्ठ – 107
भैषज्य रत्नावली उदर रोग चिकित्सा प्रकरण – 40
FAQ
कब्ज का परमानेंट इलाज क्या है?
आहार, दिनचर्या और औषधि के द्वारा कब्ज का इलाज किया जाता है। जिसके लिए आमतौर पर विरेचक चूर्ण का प्रयोग होता है। जैसे – त्रिफला आदि। यह हमारी आंतो में जमी गंदगी को मलद्वार से बाहर निकालता है। जिसके कारण विसंगति को प्राप्त जठराग्नि समाग्नि को प्राप्त होती है।
कब्ज के लिए चूर्ण कैसे बनाएं?
हरण को अरंडी के तेल में कढ़ाई पर भून ले, इसके बाद अजवाइन और जीरा को भी आग पर भून ले। फिर हींग को गर्म कढ़ाई में फुला ले। फिर सबको को एक साथ पीस ले और काला नमक मिलाकर कर इस्तेमाल करे।
कब्ज के लिए क्या करें?
कब्ज को दूर करने के लिए के जीवनशैली में बदलाव करे, जिसमे समय पर उतना, खाना और रात में न जागना अत्यंत आवश्यक है। इसके साथ व्यायाम आदि के रूप में परिश्रम अवश्य करे। खाने में सावधानी रखे जैसे – रूखे, चिकने, गरिष्ट और चटपटे भोजन से दूरी बनाये।
कब्ज का परमानेंट इलाज बताइए?
नियमित मलत्याग का वेग बना रहे में उपयुक्त सभी उपाय कब्ज का परमानेंट इलाज है। जिसमे खाने, उठने – जागने और सोने जैसी दैनिक क्रियाओ में संयम रखना आवश्यक है।