सुबह सोकर उठने के बाद लैट्रिन साफ नहीं आना, कब्ज के लक्षण हो सकते है। परन्तु पेट में लैट्रिन सूखने का कारण तीक्ष्णाग्नि भी होती है। जो पित्त दोष की प्रधानता से देखने को मिलती है। जिसमे लैट्रिन के बाद जलन होना, लैट्रिन काली और सूखी हुई होती है। जिससे मल कठोर होकर, मलत्याग के समय अत्यंत पीड़ा पहुंचाता है। जिसके कारण पेट साफ होने में बाधा पहुँचती है। इसलिए इन सभी समस्याओ से बचने के लिए, पेट में लैट्रिन सूखने का कारण और उपाय करना आवश्यक हो जाता है।
पेट साफ न होने का प्रबल कारण, मल कठोर होना है। जो मुख्य रूप से लैट्रिन सूखने के कारण होता है। जिसका मूल कारण आयुर्वेद में जठराग्नि का भड़क उठना बताया गया है। जिसमे सबसे बड़ी भूमिका मल से जल को अबशिष्ट करने वाली बड़ी आंत की है। जिससे यह आंत लैट्रिन काला होने का कारण और लैट्रिन सूखने का कारण बनती है। जिसको दूर करने के लिए सुबह उठते ही पेट साफ करने का उपाय अपनाना पड़ता है। तब जाकर पेट साफ हो पाता है।
अक्सर पेट साफ न होने के लक्षण, एकाएक नहीं दिखाई पड़ते। जिसके कारण हम लैट्रिन सूखने का कारण और उपाय पर बहुत ध्यान नहीं देते। जिससे यह समस्या धीरे – धीरे बढ़ती रहती है। जिससे पहले यह एसिडिटी आदि को जन्म देती है और जीर्ण होने पर बवासीर जैसे गुदा रोगों का कारण बनती है। जो एक विकराल और बहुत भीषण स्वास्थ्य समस्या है। इस कारण इन रोगों का जितना जल्दी हो सके, उतना जल्दी उपचार करना चाहिए।
पेट में लैट्रिन सूखने का कारण
आयुर्वेद में लैट्रिन सूखने का कारण देहगत अग्नि को माना गया है। जिसे हम जठराग्नि के नाम से जानते है। जो चार प्रकार की होती है –
- समाग्नि
- विषमाग्नि
- तीक्ष्णाग्नि
- मंदाग्नि
जिसमे सम अग्नि विकार मुक्त है। जबकि अन्य तीन विकार युक्त है। जिनसे पीड़ित होने पर पेट साफ कैसे करे के उपाय करने पड़ते है। जिसके निम्नलिखित कारण हो सकते है –
- अत्यधिक तले – भुने, तीखे – चटपटे, मिर्च – मसाले वाला अनुपयुक्त खानपान
- रूखे, चिकने और गरिष्ट भोज्य पदार्थों का सेवन करना
- रात्रि में देर से भोजन करना
- रात भर जागना
- तनाव लेना, डर जाना आदि
- शरीर में पानी की कमी होना
- परिश्रम न करना
- ज्यादा देर तक बैठकर काम करना
- किसी दवा का दुष्प्रभाव
- पाचन से सम्बंधित रोग होना
- आई बी एस जैसे रोग होना
- बवासीर और फिशर जैसे गुदा रोग होना
- पेन किलर, आयरन कैप्सूल का प्रयोग करना , आदि।
पेट में लैट्रिन काला होने का कारण
आयुर्वेदानुसार पेट में लैट्रिन सूखने का कारण, उदरस्थ अग्नि का तीक्ष्ण होना है। जिसके लिए दोषगत विकृतियों में पित्त दोष की प्रधानता स्वीकारी गई है। जिसके कारण पेट में जलन प्रमुखता से देखी जाती है। जिसके कारण बहुत प्रयास करने पर भी, पेट साफ होने में कठिनाई होती है। जो दोषों के अनुबंध होने पर भी दिखलाई पड़ती है। जो इस प्रकार है –
- वातानुबन्धी तीक्ष्णाग्नि
- कफानुबन्धी तीक्ष्णाग्नि
अग्नि में विकृति आने पर, दो तरह की परिस्थितियां देखी जाती है। जोकि पाचन तंत्र से समबन्धित है –
पहली जो कुछ भी खाया जाता है। सब का सब बहुत ही जल्दी पच जाया करता है। यह मुख्य रूप से पित्त दोष के कारण, विकृत होने वाली अग्नि का गुण है।
दूसरी कितना ही कम और न्यून क्यों न खाया जाय पर वह न पचे। यह वात और कफ दोष के कारण, होने वाली अग्नि में पाया जाता है। जिसमे कफ दोष से विकृत हुई अग्नि मंदाग्नि कहलाती है। जिसमे किसी भी दसा में भोजन पचता नहीं। जबकि वात दोष के कारण विकृत होने वाली अग्नि विषमाग्नि है। जिसमे कभी भोजन पचता है और कभी नहीं पचता।
परन्तु पित्त दोष की प्रधानता और इससे अनुबंधित दोषो से विकृत होने वाली अग्नि में भोजन का पाचन बहुत शीघ्रता से होता है। जिसका सबसे बड़ा कारण शरीर की अग्नि का प्रबलता से प्रदीप्त होना है। फिर चाहे वह रूखा – सूखा, चिकना और गरिष्ट पदार्थ ही क्यों न हो।
ऐसा होने पर शरीर का ताप बढ़ जाता है। जिसके कारण बड़ी आंत मल से पानी की मात्रा को सोख लेती है। जिससे मल कठोर होकर मलाशय में पड़ा – पड़ा, पानी के लगातार सूखते रहने से कडा होता रहता है। जिससे लैट्रिन का रंग काला हो जाता है। जो भीषण कब्ज को जन्म देता है।
पेट में लैट्रिन सूखने से लैट्रिन साफ नहीं आना का कारण
पेट में लैट्रिन सूखने का कारण, कब्ज आदि रोगो को माना जाता है। जिसमे मल सूखने के दो कारण बतलाये गए है –
- आंत और गुदा द्वार का क्रिया शून्य होना : आंतो का मुख्य कार्य पचे हुए भोजन से, पोषक तत्वों और जल का अवशोषण करना है। जिसके लिए इनमे एक प्रकार की स्वाभाविक गति पायी जाती है। लेकिन जब शरीर में पित्त दोष की प्रधानता होती है। तब कब्ज आदि रोगो के कारण इनकी क्रिया शीलता शून्य हो जाती है।
- आंतो और गुदा द्वार में संकोचन होना : जब शरीर में पाए जाने वाले पित्त दोष का प्रकोप बढ़ जाता है। तब आंतो में पानी की कमी आ जाने से संकुचन होने लगता है। जिसके कारण मल यहाँ पड़े – पड़े आंतो में चिपक जाता है। जिससे भीषण बवासीर के लक्षण गुदा में दिखाई पड़ते है।
यह दोनों की क्रियाए बड़ी आंत और गुदा में होती है। जिससे मल सूखकर काला और कडा होने लगता है। इस कारण पाखाना होने में बहुत तकलीफ होती है। इस स्थिति में बहुत जोर लगाने पर, काले रंग का सूखा मल गोलियों का आकार लिए टुकड़ों में बाहर निकलता है। जिससे नाभि के नीचे पेट दर्द आदि समस्याए होती है।
पेट में लैट्रिन सूखने का उपाय
पेट में लैट्रिन टाइट हो तो क्या करें
पेट में लैट्रिन सूखने के कारण, कोठा साफ नहीं होता। जिसका सबसे बड़ा कारण लैट्रिन का टाइट होना है। जिसके लिए लोग बाग लैट्रिन टाइट हो तो क्या करना चाहिए पूछा करते है। इसके लिए निम्नलिखित उपाय लाभदायी है –
- पर्याप्त मात्रा में पानी पिए।
- फाइबर युक्त अनाज का सेवन करे।
- ताजे, मौसमी और रेशेदार फल एवं सब्जी खाये।
- खाने – पीने और सोने का समय निर्धारित करे।
- प्रतिदिन मल का वेग न आने पर भी मलत्याग के लिए अवश्य जाए।
- भोजन में शुद्ध घी और घानी के तेल का ही इस्तेमाल करे।
- रिफाइंड चीनी और नमक के स्थान पर प्राकृतिक नमल और मिठास का प्रयोग करे
- दिन के भोजन के बाद छाछ अवश्य ले।
- रात्रि में भोजनोपरान्त दूध का इस्तेमाल करे।
- क्षमता से अधिक काम हाथ में न ले।
- चिंता, भय और तनाव से मुक्त रहे।
- नियमित व्यायाम और परिश्रण अवश्य करे।
- खड़े होकर और जल्दबाजी में भोजन न करे।
- भोजन को अच्छे से चबाकर की खाये।
- भोजन में षड रसो को शामिल करे।
- यदि मलद्वार में सूजन और खुजली की समस्या हो, तो तुरंत चिकित्सा विशेषज्ञ से सलाह मशविरा करे।
- खाने के लिए पुराने और खराब अन्न का सेवन न करे।
- पाचन को कमजोर करने वाले मैदा, सोडा वाटर आदि के प्रयोग से बचे।
- विरेचक द्रव्य की रूप में एरंड तेल की कुछ बूंदों को दूध में मिलाकर ले।
- पेट की सफाई करने में घी और दूध सबसे उपयुक्त है।
- त्रिफला और पंचसकार चूर्ण का कुछ दिन तक, नियमित सेवन करने से लैट्रिन सूखने से होने वाली समस्या से छुटकारा मिलता है।
मल को तुरंत नरम कैसे करें ( mal ko naram kaise kare )
अब लैट्रिन सूखने का कारण जान लेने के बाद, मल नरम करने के उपाय ढूढ़ना आवश्यक है। जिसके लिए कैसे मल तुरंत नरम करने के लिए उपाय की बात आती है। जिसमे निम्न उपाय काम में लाये जाते है –
गुदा में एनिमा ले :
पाखाना काला होना और कोठा साफ न होना, लैट्रिन सूखने का कारण है। जिसके लिए नमक मिले गुनगुने पानी का प्रयोग किया जाता है। इसमें एक बर्तन को उचाई पर रखकर, नमक मिले गुनगुने पानी से भरकर रख दिया जाता है। जिससे जुडी हुई एक शिरा को गुदा के माध्यम से, बड़ी आंत तक पहुंचाया जाता है। जिससे बड़ी आंत में जमी गंदगी पानी में घुलकर बाहर आने लगती है।
गुनगुने पानी से गुदा को फैलाकर पिचकारी मारना :
एक पिचकारी में नमक मिला गुनगुना पानी भरकर, गुदा में तेजी से पिचकारी करने पर बड़ी आंत में जमा मल बाहर आता है। जिससे लैट्रिन सूखने का कारण कडा हुआ मल ढीला होकर बाहर आने लगता है।
गुनगुने पानी में हल्का सा नमक मिलकर पिए :
पेट में लैट्रिन सूखने पर पाखाना साफ नहीं होने की दशा में, थोड़ा सा नमक मिले गुनगुने पानी का प्रयोग बहुत लाभ देता है। यह लैट्रिन सूखने का कारण ख़त्म करने के साथ, छोटी आंत और बड़ी आंत में जमी हुई गंदगी को भी साफ कर देता है। इसके लिए इस विधि को कुछ दिन तक, दिन में एक या दो बार करना पड़ता है।
विरेचक चूर्ण का सेवन करे :
आयुर्वेद में विरेचक गुण रखने वाले, चुनिंदा जड़ी – बूटियों को मिलाकर विरेचक चूर्ण को तैयार किया जाता है। जिससे यह पेट में जमे हुए मल को बाहर निकालती है। जिससे लैट्रिन सूखने का कारण सदैव के लिए नष्ट हो जाता है। जैसे – पंचसकार चूर्ण आदि।
भोजन में स्नेह की मात्रा बढाए :
अधिकतर लोगो के पेट में लैट्रिन सूखने का कारण, स्नेहक द्रव्यों की कमी है। जिसका सवसे बड़ा कारण रिफाइंड तेल का भोजन में प्रयोग करना है। आजकल घी के नाम पर वनस्पति घी का प्रयोग होता है। जिसके निर्माण में कृत्रिम रासायनिक अभिक्रियाओं का सहारा लिया जाता है। जो स्वभाव से चिपचिपे होते है। जिसका सेवन करने से यह चिपचिपापन हमारी आँतों को प्राप्त होता है। जिससे इन आँतों में मल आ – आ कर चिपकने लगता है।
जिसमे स्नेह न होने से यह मल को आगे की और प्रवृत्त न करके, अपने ही स्थान पर रोक लेता है। जिससे पेट में लैट्रिन सूख जाती है। जिसको निकालने के लिए बहुत जोर से काँखना पड़ता है। जबकि स्नेह पदार्थ मल को मुलायम और आँतों को चिकना करने वाले, दो महत्वपूर्ण काम करती है। इसलिए भोजन में स्नेह का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। जिसका हम सब को ध्यान रखना आवश्यक है।
भोजन से प्लास्टिक को दूर करे :
आजकल पाखाना साफ न होने का सबसे बड़ा कारण, भोजन में प्लास्टिक पात्रों का उपयोग है। आज के समय में खाना परोसने, पैकेजिंग और खाने तक सभी में प्लास्टिक बर्तन और दोनो का प्रयोग किया जाता है। जिसमे गरम खाना परोसने पर, प्लास्टिक के नैनो पार्टिकिल खाने में मिल जाते है। जो हमारी नंगी आँखों से दिखाई नहीं पड़ते। परन्तु हमारे आंतो में लगातार जमा होते रहते है।
जिससे हमारी आंते प्लास्टिक से भरकर जाम तो होती ही है। इसके साथ पोषक तत्वों के अवशोषण की क्षमता में भी कमी आती है। जो मुख्य रूप से लैट्रिन सूखने का कारण और अपोषकता देने वाली है। इसलिए इन समस्याओ से सदा के लिए निजात पाने का तरीका, प्लास्टिक से दोस्ती न करके दुश्मनी पालना है।
उपसंहार :
पेट में लैट्रिन सूखने का कारण रासायनिक अनुपयुक्त आहार चर्या के साथ, दूषित दिनचर्या आदि का अनुगमन करना है। जिसमे हम बिना विचार किये प्रवृत्त और निवृत्त हो जाया करते है। जैसे –आयुर्वेद ने तेल और घी को चिकना माना है। लेकिन आजकल बाजारों में मिलने वाले घी और तेल में, चिकनाहट के स्थान पर चिपचिपाहट पायी जाती है। जो आँतों और इससे जुड़े हुए अंगों को मल से भर देती है। इस कारण आयुर्वेद चिकित्सा में इनको लैट्रिन सूखने का कारण माना गया है।
लैट्रिन सूखने का कारण और उपाय में, दिनचर्या का समुचित परिपालन बहुत आवश्यक है। जिस पर ध्यान न देने से लैट्रिन के बाद जलन होना और लैट्रिन साफ नहीं आना जैसी समस्याए आती है। जिसके लिए उचित खान – पान और नियमित दिनचर्या के साथ, उचित परिश्रम और तनाव से मुक्त रहने के इंतजाम लाभदायी है।
सन्दर्भ :
- चरक संहिता चिकित्सा अध्याय – 13
- सुश्रुत संहिता निदान अध्याय – 07
- सुश्रुत संहिता निदान अध्याय – 14
FAQ
पेट में लैट्रिन सूखने का कारण क्या है?
पेट में जठराग्नि के तीव्र हो जाने से, तीक्ष्णाग्नि की समस्या उत्पन्न हो जाती है। जिससे बड़ी आंत मल से अधिक मात्रा में जल को अवशोषित कर लेती है। जिससे पेट में मल सूखने लगता है।
मल को पतला करने के लिए क्या खाएं?
तरल, पचने में हल्का और फाइबर भरपूर भोजन करने से मल को पतला करने में सहायता मिलती है।
लैट्रिन टाइट होने पर क्या करें?
मल त्याग करते समय लैट्रिन टाइट होने पर, विरेचक द्रव्यों जैसे एरंड तेल, पंचसकार चूर्ण आदि का प्रयोग करे।
कौन सा फल खाने से पेट साफ होता है?
मौसमी, ताजे और बीज वाले फल खाने से पेट को साफ करने में मदद मिलती है।
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