आजकल हर किसी को काम का बोझ इतना अधिक होता है कि खाने – पीने, सोने – जागने आदि का ध्यान ही नहीं रहता। जिससे हमारे शरीर में भोजन को पचाने वाली, जठराग्नि असंतुलित हो जाया करती है। जिसके कारण सुबह पेट साफ करने में कठिनाई होती है। जिसके लिए सुबह उठते ही पेट साफ होने के उपाय करने पड़ते है। जबकि आयुर्वेद में सम अग्नि की रक्षा करना, सुबह उठते ही पेट साफ करने का उपाय बताया गया है। लेकिन आजकल होम्योपैथी भी दूसरी प्रचलित चिकित्सा प्रणाली है। जिसमे सुबह पेट साफ करने की होम्योपैथिक दवा का इस्तेमाल किया जाता है।
आयुर्वेदादी शास्त्रों में वात, पित्त और कफ दोषो की अधिकता होने से सुबह पेट साफ होने में कठिनाई होती है। जिसके कारण सुबह पेट साफ क्यों नहीं होता के कारण पर, विचार करना उदर रोगो के निदान में आवश्यक है। क्योकिं पेट साफ न होने के नुकसान में गुदा रोग होने की संभावना प्रबल हो जाती है। जिसमे बवासीर के लक्षण, गुदा में दरार आदि समस्याए है। जो रोगी को शारीरिक पीड़ा तो पहुँचाती ही है। इसके साथ मानसिक रूप से भी उत्पीड़ित करती है।
सुबह उठते ही पेट साफ हो जाने से, शरीर के भीतर पाए जाने वाले अनुपयुक्त मल बाहर निकल जाते है। जिससे पेट के राइट साइड में दर्द आदि की संभावना नहीं होती। इसकारण आजीवन स्वस्थ बने रहने के लिए नियमित समय पर पेट का साफ होना अत्यंत आवश्यक है। जिसके लिए सुबह उठते ही पेट साफ करने के उपाय उपयोग में लाते है। जिसमे आहार और दिनचर्या के साथ, पर्याप्त नींद और व्यायाम आदि की आवश्यकता पड़ती है।
सुबह पेट साफ क्यों नहीं होता ( subah pet saaf kyo nahi hota )
आयुर्वेदानुसार मानव शरीर में भोजन को पचाने के लिए, जठराग्नि नाम की अग्नि पायी जाती है। जिसके दूषित हो जाने पर पाचन क्रिया पर विपरीत असर पड़ता है। जिसके कारण मल – मूत्रादि के विसर्जन में वृद्धि अथवा न्यूनता देखी जाती है। जिसका सबसे अधिक प्रभाव हमारे शरीर की मल निष्पादक क्रियाओ पर पड़ता है। जिसके कारण सुबह में मलत्याग कठिनाई से होना तो दूर, मलत्याग का वेग भी प्रभावित होता है। जिससे नाभि के नीचे पेट दर्द को दूर करने में मदद मिलती है।
आयुर्वेद में भोजन को पचाने के लिए चार तरह की अग्नि पायी जाती है –
- विषमाग्नि : वात दोष की अधिकता से
- तीक्ष्णाग्नि : पित्त दोष की अधिकता से
- मंदाग्नि : कफ दोष की अधिकता से
- समाग्नि : तीनो दोषो के सामान रहने पर
जिसमे समाग्नि को सर्वश्रेष्ठ बतलाया गया है। अर्थात जिस व्यक्ति की अग्नि सम होती है, वह उचित ( न अधिक न कम ) भोजन करे तो वह भली भांति पच जाता है। जबकि मंदाग्नि वाला व्यक्ति कितना भी कम ( अल्पाल्प ) भोजन करे, फिर भी नहीं पचता। वही तीक्ष्णाग्नि वाला व्यक्ति कितनी भी अधिक मात्रा में भोजन करे, सुख पूर्वक पच जाता है। किन्तु जिस व्यक्ति की अग्नि विषम होती है। उसको कभी भोजन पचता और कभी नहीं भी पचता। जिससे बीच – बीच में पेट दर्द की समस्या देखी जाती है।
इस आधार पर जब तक भोजन पचेगा नहीं। तब तक सुबह उठते ही पेट साफ होगा नहीं। इस कारण सम अग्नि वाले व्यक्ति की सुबह उठते ही पेट साफ होने के उपाय के बिना पेट साफ होता है। जबकि विषम अग्नि वाले का कभी पेट साफ होता है और नहीं भी होता है। वही पित्त दोष के बढे होने से, तीक्ष्ण अग्नि के कारण मल सूखकर कडा हो जाता है। लेकिन कफ की अधिकता से अग्नि के मंद पद जाने से, मल का वेग ही नहीं आता। जिसको सामान्य करने के लिए सुबह उठते ही पेट साफ करने का उपाय करना पड़ता है।
सुबह उठते ही पेट साफ होने के उपाय
मलत्याग में कठिनाई होने पर, दूषित हुई जठराग्नि को सम करने की आवश्यकता पड़ती है। जिसको सुबह उठते ही पेट साफ होने के उपाय कहा जाता है। जिसमे वात, पित्त और कफ दोष की अधिकता से विकृत हुई अग्नि पुनः सम हो जाती है। जिससे सुबह हो या शाम पेट को साफ करने में, किसी तरह की कोई कठिनाई नहीं आती। जिसमे खान – पान, रहन – सहन में विशेष सावधानी रखनी होती है।
पेट में होने वाले ज्यादातर रोग, शरीरगत अग्नि के मंद पड़ने से होते है। फिर चाहे सुबह उठते ही पेट साफ न साफ होना हो या कोई और रोग। जिसके लिए आयुर्वेद में अग्निमांद्य और भस्मक रोग को प्रबलता से स्वीकारा गया है। जिसके हो जाने पर जिस रोग में जिस दोष की अधिकता हो। उसी दोष को कम करने वाले उपायों को अपनाने की बात कही गई है। फिर चाहे वह खान – पान से संबंधित हो या दिनचर्या आदि से।
अग्निमांद्य रोग जहाँ पूरे पेट पर अपना प्रभाव प्रदर्शित करता है। वही भस्मक रोग पेट के अग्र भाग, विशेषकर आमाशय आदि को। इसके साथ अग्निमांद्य रोग में तीनो दोषो की अलग – अलग प्रधानता होती है। जबकि भस्मक रोग में कफ और पित्त नामक दो दोषों का अनुबंध पाया जाता है। जिसके कारण यह दोनों ही रोग, पेट साफ होने में परेशानी पैदा करते है। इसलिए सुबह उठते ही पेट साफ होने के उपाय में, इनको दूर करने वाले आयामों का सहारा लिया जाता है। जिससे पेट साफ न होने के लक्षण को मिटाने में मदद मिल सके।
सुबह उठते ही पेट साफ करने का उपाय
आधुनिक चिकित्सा विशेषज्ञ सुबह उठते ही पेट साफ होने के उपाय में भोजन विज्ञान पर अधिक बल देते है। जिसके लिए रात में ऐसा क्या खाएं कि सुबह पेट साफ हो जाए की बात करते है। जिससे मल त्याग की समस्याओ से जिजात पाने में लाभ मिलता है। परन्तु इन समस्याओ के स्थायी समाधान के लिए आयुर्वेद में, सुबह पेट साफ होने के लिए क्या खाना चाहिए की विधि संहिता बतलाई गई है। जिसका आलंबन लेने से सुबह उठते ही पेट साफ करने में सहायता मिलती है।
फिर भी भोजन और दिनचर्या से संबंधित निम्न उपाय, सुबह पेट साफ करने में सहायक होते है –
- रात्रि में बहुत देर से भोजन न करे।
- सुबह में जल्दी जगे।
- मलत्याग का समय निर्धारित करें और नियमित निर्धारित समय पर ही मल त्याग करे।
- शरीर की आवश्यक मात्रा से अधिक भोजन न करे।
- रिफाइंड तेल और नमक के साथ पर, घाणी और प्राकृतिक नमक का इस्तेमाल करे।
- भोजन करने से पूर्व अदरक के रस में सेंधा नमक मिलाकर छाते।
- भोजन करते समय बीच – बीच में, उचित मात्रा में पानी अवश्य पिए।
- फाइबर की अधिकता वाले अन्न का सेवन करे। जैसे मिलेट आदि।
- ताजी और मौसमी सब्जी और फल का सेवन करे।
- भोजन के समय प्लास्टिक अथवा फाइबर की थाली और गिलास का प्रयोग न करे,
- दिन के भोजन के बाद छाछ और रात्रि भोजन के पश्चात दूध का सेवन सेवन करे।
- रात्रि में सोने से दो घंटे पूर्व भोजन करे। रात्रि भोजन के ठीक बाद बिस्तर पर लेते नहीं।
- उचित योग और व्यायाम करे, आदि।
पेट साफ होने की दवा ( pet saaf hone ki dawa )
आयुर्वेद में सुबह के समय पेट साफ होने के उपाय बताए गए है। जिसमे रोग बढ़ जाने पर दवा आदि की उपयोगिता भी स्वीकार की गई है। जिसके माध्यम से विविध रूपों में, विकृत अग्नि समाग्नि हो जाया करती है। जिससे सुबह उठते ही पेट साफ करने में, कठिनाई करने वाले कारको को प्रभावी रूप से दूर करने में मदद मिलती है। जिसके लिए आयुर्वेद में अग्निमांद्य चिकित्सा बतलाई गई है। जिसमे तीनों विकृत अग्नियों ( विषम, तीक्ष्ण, मंद ) को सम करने के उपाय बताये गए है। जिसमे समाग्नि की रक्षा के लिए हितकर अन्न – पान आदि को उपयोगी माना गया है। जो इस प्रकार है –
विषमाग्नि चिकित्सा – यह वात दोष के बढ़ने से हुआ करती है। जिसके लिए वातनाशक यत्न करना हितकर है। जिसमे स्निग्ध, अम्ल और लवण रस युक्त पदार्थो का सेवन उपयोगी है।
तीक्ष्णाग्नि चिकित्सा – यह पित्त दोष के बढ़ने से होने वाला रोग है। जिसके शमन के लिए दही, खीर और पायस जैसे पित्त नाशक पदार्थो का सेवन उपयोगी है।
मंदाग्नि चिकित्सा – यह कफ दोष के बढ़ने से होने वाला रोग है। जिसमे घटी हुई अग्नि को बढ़ाने के लिए, कटु – तिक्त और कषाय रस वाले अन्न – पानादि को बढ़ाना उपयोगी माना गया है।
पेट साफ होने का घरेलू उपाय
सम अग्नि की रक्षा का यत्न करना, सुबह उठते ही पेट साफ करने का सबसे उत्तम उपाय है। परन्तु रोग और दोष के बाद जाने से विषम, मंद और तीक्ष्ण हुई अग्नि को सम करने के लिए, सुबह उठते ही पेट साफ होने के उपाय बताएं की बात की जाती है। हालाकिं पेट को साफ करने वाले उपायों में, पाचक और रेचक नामक दो प्रमुख गुण पाए जाते है। जिससे यह पाचन संबंधी बाधाओं के निवारण में अत्यंत उपयोगी है। इनमे उपयोग होने वाली दवा, पेट साफ करने के लिए आयुर्वेदिक दवाई के जैसे लाभकारी है।
- एरंड तेल को आयुर्वेद में बहुत ही बढ़िया रेचक द्रव्य कहा गया है। जिसके सेवन से पेट में पड़ा, कडा मल बाहर निकल जाता है। जिसके लिए इसको सुबह उठते ही पेट साफ होने के उपायों में श्रेष्ठ माना गया है।
- जीरा, सज्जीखार, सोंठ, पीपर, मरिच, बाभीरंग, सेंधानमल, हींग, हर्रा और अजमोदा को बराबर – बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना ले। इस चूर्ण के 20 ग्राम में 40 ग्राम निशोथ के चूर्ण को मिलाकर सेवन करने से, जठराग्नि तीव्र होती है। जिससे सुबह खुलकर पेट साफ होता है।
- अभयारिष्ट पेट की सभी तकलीफो में बहुत ही लाभ करता है। जिसका कुछ दिनों तक सेवन करने से पेट साफ होने की समस्या दूर हो जाती है।
- पंचसकार चूर्ण पेट को साफ करने में बहुत ही उपकारी है। जिसका सेवन से नियमित पेट साफ होने लगता है।
- इसबगोल की भूसी कड़े और पतले दोनों तरह के मल को, शरीर से बाहर निकालती है। जिसके कारण भीषण कब्ज और अतिसार आदि में इसके सेवन से फायदा मिलता है।
सुबह पेट साफ करने की होम्योपैथिक दवा
होम्योपैथी में रोग की चिकित्सा के लिए, बहुत ही कम दवा की मात्रा का प्रयोग किया जाता है। जो अक्सर सूगर ऑफ़ मिल्क की छोटी – छोटी गोलियों के साथ प्रयोग किया जाता है। जिसके कारण इनको लोग पेट साफ करने की होम्योपैथिक गोली भी कहते है। सुबह उठते ही पेट साफ करने के लिए निम्न दवाई उपयोग की जाती है –
नक्स वोमिका : यह पेट को साफ करने वाली बहुत ही नामी होम्योपैथिक दवा है। जिसमे बार – बार मल के वेग की इच्छा बनी रहती है। इसके साथ मल त्याग के लिए बैठने पर भी पेट साफ नहीं होता। और बार – बार मन में यही विचार आता है कि थोड़ा सा और मल त्याग होता तो अच्छा रहता।
ब्रायोनिया : इसका कब्ज इतना गंभीर होता है कि कई दिनों तक मल का वेग ही नहीं आता।
कार्बो वेज : इसमें मल का वेग तो बहुत तेज होता है, पर मल त्याग के लिए जाने पर होता नहीं। इसमें पेट में गैस भरे रहने और पेट फूलने की समस्या अधिक होती है। लेकिन गैस निकल जाने पर पेट फूलना और अफरा घट जाता है।
रैफेनस सैटाइवा : इसमें पेट में बहुत वायु जमती है। जो बहुत प्रयास करने पर भी ऊपर और नीचे से निकलती।
ओपियम : इसमें मल त्याग की इच्छा और वेग बिलकुल नहीं होता। मगर पेट में बहुत अधिक मायता में मल जमा रहता है। फिर भी मलत्याग का वेग नहीं आता। बिना पिचकारी दिए मल नहीं निकलता। मलद्वार बिलकुल सुन्न प्रतीत होता है। जिसमे मल बहुत कडा, काला, गाँठ – गाँठ और देखने में छोटी – छोटी गोल गोलियों के जैसा होता है। इसमें कब्ज आंत और मलद्वार की क्रिया नष्ट हो जाने से होता है।
प्लम्बम : इसमें भी कड़े और काले रंग का गाँठ दार मल होता है। बिलकुल ओपियम के जैसा। परन्तु इसमें कब्ज मलद्वार के संकोचन के कारण होता है।
एल्युमिना : इसमें कब्ज बहुत बढ़ा रहता है। इसका मल पत्थर की तरह कडा होता है। जिसमे कभी – कभी हप्तों तक मल का वेग ही नहीं लगता और मल त्याग के लिए जाने की इच्छा होती है। इसके पाखाने में बहुत जोर लगाना पड़ता है। इसका मल पतला होने पर भी बिना जोर लगाए नहीं होता।
होम्योपैथी एक प्रकार की लक्षण आधारित चिकित्सा है। जिसमे लक्षण के आधार पर दवा का इस्तेमाल करने पर कभी मूकी नहीं खानी पड़ती।
पेट साफ न होने के नुकसान ( pet saaf na hone ke nuksan )
नियमित पेट साफ न होने से घातक और भीषण रोग के होने की संभावना प्रबल हो जाती है। जिससे बचने के लिए बुद्धिमान व्यक्ति को उचित समय पर, पेट साफ होने का उपाय करना चाहिए। जिससे अधिक परेशानी पैदा करने वाले कारको से बचा जा सके। फिर भी पेट साफ न होने से निम्न रोगो के होने संभावना बढ़ जाती है –
- नियमित पेट साफ न होने से पाचन संबंधी विकार होते है।
- पेट नियमित साफ न होने का सबसे बड़ा कारण कब्ज है। जो शरीर में विभिन्न उपद्रवों को जन्म देने में मददगार है।
- कब्ज के अधिक गंभीर होने पर, मल अत्यंत सूखा और कडा हो जाता है। जिससे मलत्याग का वेग ही नहीं आता।
- मल सूखने से मलद्वार में सूजन और खुजली हो सकती है।
- इसके और अधिक गंभीर होने पर बवासीर और भगंदर जैसे रोग हो सकते है।
- बाहर जीर्ण हुई बवासीर गुदा में कैंसर जैसे रोग का कारण बन सकती है।
- कब्ज के अत्यधिक प्रबल और जीर्ण होने पर, लकवा जैसी समस्याए हो सकती है।
उपसंहार :
पेट में मंदाग्नि आदि की समस्या होने पर, भोजन का ठीक से पाचन नहीं हो पाता। जिससे अगली सुबह में मल त्याग होने में बहुत कठिनाई आती है। जिसके लिए सुबह उठते ही पेट साफ होने के उपाय बहुत काम आते है। सुबह उठते ही पेट साफ करने का उपाय करने से उदावर्त, आध्यमान और अनाह जैसे रोग दूर हो जाते है। जिनको आयुर्वेद में पेट साफ न होने के नुकसान कहा गया है।
हालाकिं आजकल कोठा साफ करने में, सुबह पेट साफ करने की होम्योपैथिक दवा भी लाभ करती है। जिसमे सुबह पेट साफ क्यों नहीं होता आदि के साथ, रोगी में पाए जाने वाले लक्षणों की परख की जाती है। जिससे शरीर में एकत्रित अनावश्यक मल बाहर निकल जाया करता है। इसलिए सुबह पेट साफ होने में होने वाली कठिनाई का अंत हो जाता है।
परन्तु आयुर्वेद में रोग के निदान में, आहार – विहार के सहित दिनचर्या और ऋतुचर्या के पालन की बात स्वीकारी गई है। जिसका सानुकूल संयम पूर्वक अभ्यास करने से, हम आजीवन रोग और शोक से बचे रहते है। यह किसी भी रोग से बचने और सह भोगने का अनूठा सिद्धांत है। जिसमे किसी तरह का कोई फेर बदल संभव नहीं।
सन्दर्भ :
- योग रत्नाकर अग्निमाद्य निदान पृष्ठ – 309
- चरक संहिता चिकित्सा अध्याय – 13
- सुश्रुत संहिता चिकित्सा अध्याय – 14
- अष्टांग ह्रदय चिकित्सा अध्याय -15
FAQ
सुबह पेट साफ क्यों नहीं होता है?
शरीर की जठराग्नि के विषम, तीक्ष्ण और मंद हो जाने पर मलबन्ध आदि रोग हो जाते है। जिससे सुबह में पेट साफ होने में कठिनाई होती है।
आज ही जानलो सुबह उठते ही पेट साफ होने के उपाय जिसे आपको पेट साफ ना होने की समस्या से छुटकारा मिलने वाला हे।