फिशर का ऑपरेशन कैसे होता है? फिशर का इंजेक्शन एवं सावधानिया : anal fissure surgery, Injection and Precaution

गुदा फिशर की समस्या मल द्वार पर देखी जाती है। जिसके अत्यधिक जीर्ण और विकृत होने पर, फिशर प्रॉब्लम बढ़ने लगती है। जिसके लिए फिशर का इंजेक्शन आदि का सहारा लेकर, फिशर का ऑपरेशन किया जाता है। जिसे फिसर सर्जरी भी कहते है। जिससे पूरा लाभ तब मिलता है, जब फिशर सर्जरी के बाद सावधानियां रखी जाती है। आइये जानते है कि फिशर का ऑपरेशन कैसे होता है? 

फिशर का ऑपरेशन कैसे होता है 

बवासीर और गुदा फिसर दोनों ही, गुद नलिका में पायी जाने वाली वलियो का रोग है। जिसमे गुद वलियो की रक्त शिराए, खून से भरकर प्रवाहण आदि करने से फट जाया करती है। जिससे गुदा में दरार बन जाती है। जिसको गुदा फिसर के लक्षण कहते है। किन्तु जब इन्ही गुद वलियो की शिराए, खून से भर कर प्रवाहण करने से अंकुरों के रूप में निकल आती है। तब इन्हे बवासीर के लक्षण कहा जाने लगता है।

हालाकिं गुदा फिशर का उपचार, दवाइयों के द्वारा पूर्णतया हो जाता है। जिसके कारण बहुत ही कम लोगो को ऑपरेशन कराने की जरूरत पड़ती है। गुदा विदर में गुदा के दीवारों पर, दरार के कारण घाव ( कट ) हो जाता है। जिनसे रक्त स्राव होने की समस्या प्रमुखता से देखी जाती है। जिसको आयुर्वेद में पित्त दोषो का प्रभाव माना गया है। इस कारण फिसर में खूनी बवासीर के लक्षण से, मिलते – जुलते लक्षण देखे जाते है।

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ऐनस फिशर क्या है ( anus fissure in hindi )

गुदा के लिए ही आंग्ल भाषा में ऐनस अथवा एनल शब्द का प्रयोग किया गया है। जिसका अर्थ मलद्वार में दरार बनना है। जिसके होने के पूर्व गुदा में सूजन और दर्द की समस्या देखी जाती है। जिसमे ठीक समय पर उचित उपचार के अभाव में, गुदा में विप्लव कारी रोगो का जन्म होता है।

शरीर रचना क्रिया विज्ञान के अनुसार, मलाशय और गुदा के बीच का स्थान गुद नलिका का है। जिसमे तीन पेशियों वाली तीन वलियाँ पायी जाती है। जिन्हे प्रवाहनी, विसजनी और संवरणी वलि के नाम से जाना जाता है। जो शंखाकार डेढ़ – डेढ़ अंगुल की एक के ऊपर एक उभरी हुई स्थित रहती है। जिसमे रक्त शिराए कपाट रहित होकर लम्बाई में फैली रहती है। जिनकी कुल लम्बाई लगभग चार अंगुल होती है।

जो मलबद्धता अथवा अतिसार जैसे रोग होने की दशा में, मल का त्याग करते समय मजबूरी वश प्रवाहण करना पड़ता है। जिसके कारण वलियो की शिराओ में खून भर जाया करता है। जिसमे कपाट न पाए जाने से, रक्त के वापस आने का कोई मार्ग नहीं होता। जिससे संक्रमण और पुनः – पुनः प्रवाहण करने से, गुद रक्त शिराए दरार युक्त हो जाया करती है। जिनसे रक्तस्राव हुआ करता है। जिसे गुदा विदर या एनल फिशर के नाम से जाना जाता है। जिसके उपचार में फिसर का आयुर्वेदिक इलाज चमत्कार पूर्ण है।     

चिकित्सा में फिशर का अर्थ ( fissure meaning in medical )  

उपरोक्त कारणों से जब गुदा पर कटे हुए, दिखाई पड़ने वाले घावों को फिशर कहा जाता है। यह गुद रक्त शिराओ में होता है। जिससे चिपचिपा और रक्त मिश्रित स्राव निकलता रहता है। जिसके कारण गुदा हमेशा गीली बनी रहती है। जिनसे राहत पाने में फिशर का घरेलू नुस्खा बहुत ही बढ़िया है।  

एनल फिशर प्रॉब्लम ( fisher problem in hindi )

एनल फिसर की समस्या दो तरह की होती है –

एक्यूट एनल फिसर ( Acute anal fissure ) : एक्यूट एनल फिसर की समस्या होने पर, गुदा के बाहरी परत पर छोटे – छोटे कटे हुए निशान होते है। जिनका उपचार प्रायः औषधि उपचार के द्वारा ही हो जाया करता है। जिसमे प्रायः फिशर ऑपरेशन ( fissure operation ) की आवश्यकता नहीं पड़ती। 

जीर्ण एनल फिशर ( chronic anal fissure ) : जीर्ण गुदा विदर ( chronic fissure in ano ) हो जाने पर, फिशर ऑपरेशन की आवश्यकता पड़ती है। जिस प्रकार अत्यंत जीर्ण बवासीर के उपचार ( hemorrhoid fissure treatment ) में, पाइल्स की सर्जरी आवश्यक हो जाती है। 

आयुर्वेदीय शल्य चिकित्सानुसार फिशर जैसे गुदा रोगो के उपचार के लिए, फिशर सर्जरी ( fissure surgery ) को फिशर का सबसे बढ़िया इलाज ( best fissure treatment ) कहा गया है। जिसमे गुदा के बाहरी और अंदरूनी गुदा विदर के घावों का उपचार किया जाता है।  

फिशर का ऑपरेशन कैसे होता है ( fissure ki surgery kaise hoti hai )

fissure surgery

सामान्यतः गुदा के बाहर पाए जाने वाले, गुदा फिशर का इलाज दवाओं द्वारा हो जाता है। लेकिन यदि यह पुराना होकर जीर्ण हो जाता है। तब इसके ऑपरेशन की भी आवश्यकता पड़ सकती है।

आधुनिक चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार, फिशर का घाव यदि सात सप्ताह में ठीक नहीं होता। तो उसे जीर्ण फिशर मान लिया जाता है। जिसके उपचार के लिए फिर, गुदा विदर की सर्जरी ( fissure in ano surgery ) करानी पड़ती है।

जिसमे गुदा की बाहरी रक्त शिराओ को काटकर बाहर निकाल दिया जाता है। तदुपरांत उस पर घाव को सूखने वाले औषधियों को लेपित किया जाता है। जिसके सूखते ( घाव ) ही गुदा के बाहर दिखने वाली, गुदा विदर की समस्या ठीक हो जाया करती है।    

फिशर का लेजर ऑपरेशन कैसे होता है ( fissure surgery by laser in hindi )

गुदा विदर की समस्या में लेजर ऑपरेशन की जरूरत तब पड़ती है। जब फिशर के कटे हुए निशान गुदा के आंतरिक हिस्सों में पाए जाते है। जिनको हटाने के लिए फिशर का लेजर ऑपरेशन किया जाता है। जिसे एनल फिसर लेजर ट्रीटमेंट ( anal fissure laser treatment ) के नाम से जाना जाता है। 

फिशर के लिए लेजर उपचार ( laser treatment for fissure ) में, लेजर बीम की सहायता से फिशर के घावों को काटा जाता है। जिसमे एक कैमरे वाली नलिका नुमा यन्त्र को गुदा के अंदर डाला जाता है। जिसमे नलिका के मुँह पर लगे यन्त्र द्वारा, रक्तस्राव करने वाली गुद शिराओ को काटकर सिल दिया जाता है। 

जो कंप्यूटर की स्क्रीन पर देखकर की जाने वाली किया है। जिसमे किसी प्रकार का कोई बड़ा घाव नहीं होता। जिसके कारण यह बहुत ही कम समय में ठीक हो जाया करती है। जिसको करने से पहले रोगी को ऐनिस्थिसिया देकर बेहोश किया जाता है। जिसका असर कुछ घंटो तक रहता है। जिसको न जानने वाले फिशर की सर्जरी कैसे होती है की बात करते है। 

क्षार सूत्र विधि से फिशर का इलाज ( kshar sutra treatment for fissure in hindi )

आयुर्वेद में गुदा रोगो के उपचार के लिए, क्षार चिकित्सा की बात कही गई है। जिसकी उपयोगिता वहां बतायी गई है। जहाँ गुदा विदर के घाव बहुत पास – पास, गहराई में सघनता से फैले हुए होते है। जिसमे विशेष औषधियों के मिश्रण से क्षार द्रव को तैयार किया जाता है। जिसमे कपास से बने हुए धागे को कई बार डुबाकर सुखाया जाता है।

जिससे यह धागा औषधि के गुणों को धारण कर लेता है। इसके बाद गुदा विदर की शिराओ के मुँह को पकड़कर, क्षार युक्त धागे से बाँध दिया जाता है। जिससे कुछ दिनों में यह धागा संक्रमित शिरागत घाव को, काटकर गुदा से अलग कर देता है।

जिसके सूख जाने पर, हमे फिशर के दर्द और तकलीफ से छुटकारा मिल जाता है। यह ठीक उसी प्रकार किया जाने वाला उपचार है। जैसे धागे से बवासीर का इलाज किया जाता है।   

एनल फिशर सर्जरी का मूल्य ( anal fissure surgery cost in hindi )

गुदा विदर की सर्जरी रोग की तीव्रता और आपके रहने के स्थान पर निर्भर है। जैसे महानगरों में नगरों से अधिक खर्च होता है। लेकिन अब सभी तरह की सुविधाए दोनों स्थानों पर पायी जाने लगी है। जिसके कारण सामान्य फिशर की सर्जरी 15 से 20 हजार के आस – पास हो जाती है। 

फिशर का लेजर ऑपरेशन खर्च कितना है ( fissure laser treatment cost in hindi )

यह अधिक सावधानी से होने वाली सर्जरी है। जिसमे रोग विशेषज्ञ के साथ यन्त्र संचालन की विशेषग्यता रखने वाले की भी आवश्यकता है। जिसके कारण इसमें सामान्य ऑपरेशन से अधिक खर्च लगता है। यह आमतौर पर 25 – 35 हजार के पास – पास होती है।   

फिशर सर्जरी रिकवरी टाइम ( fissure surgery recovery time in hindi )

फिसर की सर्जरी की रिकवरी होने में, सात दिन या कुछ अधिक समय लग सकता है। हालांकि लेजर सर्जरी की रिकवरी सामान्य सर्जरी के मुकाबले अधिक तेजी से होती है। जिसको पूरी तरह ठीक में एक महीने का भी समय लग सकता है। 

फिशर सर्जरी के बाद सावधानियां ( precautions after fissure surgery in hindi )

सर्जरी के बाद सबसे अधिक देखभाल की आवश्यकता पड़ती है। जिसमे निम्नलिखित बातो का ध्यान रखना चाहिए –

  • एनल सर्जरी के बाद दर्द होना आम बात है। जिसके लिए पेन किलर लेना जरूरी है।
  • सर्जरी के बाद आपको कुछ घंटो से लेकर, कुछ दिनों तक मूर्छा, चक्कर आदि का अनुभव हो सकता है। इसके लिए घर पर ही आराम करे।
  • कही भी घूमने और टहलने से परहेज करे। 
  • समय पर दवा लेना न भूले। 
  • भोजन में रेशेदार, खट्टे और ताजे फल सब्जियों का प्रयोग करे।
  • मल को मुलायम रखने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पिए।
  • प्रत्येक शौच के बाद गुदा को अच्छी तरह धोये। अच्छा हो कि गर्म पानी से धोये। 
  • ऑपरेशन के एक – दो दिन तक, गुदा से रक्त स्राव हो सकता है। इससे अधिक समय तक रक्तस्राव होने पर विशेषज्ञ से सलाह ले। 
  • गुदा को धोने के बाद साफ और स्वच्छ कपडे से सुखाये।
  • गुदा पर अधिक जोर न डाले।
  • मैथुन आदि क्रियाओ से परहेज करे।  

फिशर सर्जरी के बाद सख्त मल ( hard stool after fissure surgery in hindi )

फिसर की सर्जरी होते ही सख्त मल की समस्या, सबसे पहले हमे प्रभावित करती है। जिससे बचने के लिए विविध प्रकार के लैक्सेटिव दवा का उपयोग किया जाता है। परन्तु इससे बचने के लिए रेशेदार, ताजी और हरे पत्तेदार सब्जी का सेवन अधिक फलदायी होता है। इन स्थितियों में मिलेट का प्रयोग बहुत ही गुणकारी है। 

फिशर सर्जरी के साइड इफेक्ट ( fissure surgery side effects in hindi )

एनल फिशर की सर्जरी के बाद बहुत सी कठिनाइयाँ होती है। जो लेजर सर्जरी में कम किन्तु सामान्य सर्जरी में अधिक देखी जाती है। जैसे –

  • यह बहुत ही सावधानी से होने वाली कियाए है। जिसका ध्यान न रखने पर यह दुसरे अंगो को भी प्रभावित कर सकती है।
  • इसके होने के बाद गैस की समस्या हो सकती है।
  • मल त्याग का वेग प्रभावित हो सकता है।
  • मांसपेशियों में कमजोरी आ सकती है।
  • संक्रमण के कारण गुदा में गाँठ, फोड़ा आदि हो सकता है। 
  • जो आगे बढ़कर फिस्टुला में बदल सकता है।  

उपसंहार :

अब तब हम लोगो ने फिशर का ऑपरेशन कैसे होता है जाना। हालाकिं गुदा रोगो में शल्य क्रिया की आवश्यकता, औषधि उपचार के बाद ही पड़ती है। जिसमे फिशर प्रॉब्लम के निवारण के लिए फिशर सर्जरी की आवश्यकता पड़ती है। जिसमे फिशर ऑपरेशन के लिए फिशर का इंजेक्शन आदि लगाया जाता है। फिर भी फिशर सर्जरी के बाद सावधानियां बहुत ही आवश्यक है।

FAQ

बवासीर फिशर क्या होता है?

बवासीर और फिशर दोनों एक ही स्थान में होने वाले रोग है। जिसमे गुद नलिका में पायी जाने वाली वलि की, रक्त शिराए खून से भरकर रक्त का स्राव करने लगती है। जिसे गुदा विदर कहा जाता है। लेकिन जब यही शिराए अंकुरों के रूप में फूल आया करती है। तब बवासीर कहलाती है।  

फिशर सर्जरी के बाद रिकवरी कब तक होती है?

एनल फिशर की रिकवरी होने में, लगभग सात दिन का समय लगता है। 

फिशर का ऑपरेशन में कितना खर्चा आता है?

सामान्य फिशर का ऑपरेशन लागग 15 से 20 हजार में हो जाता है। 

fissure का लेजर ऑपरेशन खर्च कितना है?

गुदा विदर का लेजर ऑपरेशन लमसम 30 – 35 हजार में होता है। 

सर्जरी के बाद फिशर कितने दिन में ठीक होता है? 

फिशर की सर्जरी के बाद फिशर जल्दी ही ठीक हो जाता है। फिर भी इसे पूरी तरह से ठीक होने में एक सप्ताह से कुछ अधिक समय लगता है। 

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