अगर आपको मलत्याग के समय मल में खून आता है। जो आपकी टॉयलेट सीट और टॉयलेट पेपर पर भी दिखाई पड़ता है। जिसको देखकर आप चिंतित हो जाते है, तो आपका चिंता करना लाजिमी है। क्योकि यह किसी गंभीर समस्या का संकेत हो सकता है, लेकिन हर बार नहीं।
क्योकि बवासीर के लक्षण में दर्द के साथ, और दर्द के बिना मल में खून आना की समस्या पाई जाती है। परन्तु आधुनिक चिकित्सा में इसे हेमाटोचेजिया से जोड़कर देखा जाता है। जिसमे लैट्रिन में कभी-कभी खून आना सामान्य रूप से देखा जाता है। जिससे घबराकर लोगो के मन में एक ही बात आती है कि लैट्रिन में खून आना कैसे बंद करें?
लेटरिंग में ब्लड आना मलद्वार में सूजन और गुदा में दरार आदि रोगों में भी पाया जाता है। वही पेचिस जैसे आंत्र रोगों में भी टॉयलेट में खून आने की समस्या होती है। जिसमे लैट्रिन में खून आना घरेलू उपाय अत्यंत उपकारी है।
जबकि मल में खून आने पर, यह पड़ताल करना आवश्यक है कि लैट्रिन में खून क्यों आता है? ताकि रोगी के रोग की तीव्रता को परखकर, उसका इलाज किया जा सके। किन्तु जिन लोगों में मल से खून आने के समस्या पाई जाती है। उनमे कब्ज के लक्षण भी पाए जाते है। जिससे इसके उपचार में कब्ज का परमानेंट इलाज करने की भी आवश्यकता पड़ती है।
हालाकिं यह समस्या दो प्रकार से देखी जाती है –
- दर्द के साथ मल में खून आना ( blood in stool with pain )
- दर्द के बिना मल में खून आना ( blood in stool without pain)
लैट्रिन में खून क्यों आता है ( blood in stool reasons in hindi )
हर व्यक्ति में खून आने की वजह अलग – अलग हो सकती है। जिसका प्रमुख कारण दोष प्रधान देह प्रकृति आदि है। जिसके कारण हर आदमी की लैट्रिन में खून आने का कारण ( causes of blood in stool in hindi ) भिन्न हो सकता है।
हालाकिं बच्चों के मल में खून आने के कारण, वयस्कों से कुछ अलग होते है। लेकिन बच्चों में भी वयस्क लोगों के लक्षणों की अनुकृति होने की संभावना पाई जाती है। जिसको जानने के लिए लोग पूछते है कि लैट्रिन में खून आना क्या कारण है?
गुदा रोग –
- बवासीर
- गुदचीर या गुदा फिशर
- गुदा भ्रंश
- मलाशय शोथ
- भगन्दर, आदि।
यह गुदा द्वार अथवा इसके आस – पास होने वाली समस्याए है। जिसमे आमतौर पर ताजा और चमकीला खून निकलता है। जो उपरोक्त रोगों में से किसी एक रोग के कारण हो सकता है। बवासीर की समस्या में मल टॉयलेट पेपर पर देखा जाता है। जो बवासीर के मस्सों से खून के रिसाव के कारण होता है। जिससे निपटने में बवासीर की गारंटी की दवा अत्यंत कारगार है।
आंत्र रोग –
हमारे आंते न केवल हमारे द्वारा खाये हुए भोजन को पचाती है। बल्कि उस भोजन से आवश्यक पोषक तत्वों का भी अवशोषण करती है। जिसके बाद बचे हुए अनुपयोगी स्थूल भाग को, आंतो से बाहर भी निकालती है। लेकिन कई बार इन प्रक्रियाओं में व्यवधान पड़ता है। जिससे लैट्रिन में ब्लड आना शुरू हो जाता है। जैसे –
पेचिस ( dysentery ) :
पित्तादि दोषो के बढ़ने से, मलाशय का निचला भाग में सड़न हो जाती है। तब आमतौर पर डिसेंट्री की समस्या होती है। जिसमे मलद्वार से मल के साथ खून बहता है। जिसे खूनी अतिसार के नाम से भी जाना जाता है। जिसमे कमजोरी और अन्य बहुत सी समस्याए होती है। जिससे घबराकर लोग लैट्रिन में खून आना कैसे बंद करें पूछ बैठते है।
उदावर्त ( आई बी डी और आई बी एस ) :
यह मल बद्धता और कोष्ठबद्धता का नायाब नमूना है। जिसमे वायु के प्रतिलोम होने से आँतों में पड़ा मल सूख जाता है। जिससे पेट में बद्धग़ुद्दोदर की समस्या खड़ी हो जाती है। जो मल को इतना सूखा देती है कि वह कोयले की तरह सूखकर दिखने में काला, सूखा और कठोर हो जाता है।
जिससे मल को बाहर निकालने के लिए बहुत मशक्कत करनी पड़ती है। तब जाकर कही बकरी की मेगनी जैसा छोटे – छोटे टुकड़ों – टुकड़ों में, मल बाहर निकल पाता है। वही कुछ लोगों में पहले सूखा और कडा मल निकलता है और बाद में आसानी से सामान्य मल निकलता है।
उदावर्त होने पर आँतों की क्रिया शीलता शून्य हो जाती है। जबकि मलाशय और गुदाद्वार क्रिया शील बने रहते है। फिर भी ठीक से मल त्याग नहीं हो पाने से, पेट साफ़ नहीं होता। क्योकि आंतो का वेग शांत हो जाने से आँतों में चिपका मल मलाशय तक आ ही नहीं पाता।
जिससे मलाशय ( कोलन ) की भीतरी दीवारों में सूजन आ जाती है। जिसे कोलाइटिस ( व्रणीय वृहदांत्र शोथ ) कहा जाता है। वही जब यह समस्या अधिक समय से बनी रहती है। तब आटोइम्यून की स्थिति पैदा करती है। जिसको क्रोहन रोग के नाम से जाना जाता है। जो छोटी और बड़ी आंत को प्रभावित करती है। जिससे लघु और वृहदांत्र में सूजन, लालिमा और दर्द की समस्या पैदा होती है। जिससे हमारा पूरा का पूरा पाचनतंत्र प्रभावित होता है।
यह पेट में लैट्रिन सूखने का कारण बनता है। जिससे आँतों में घाव ( अल्सर ) होने की समस्या बनी रहती है। जिससे लैट्रिन में खून आना देखा जा सकता है। इसमें आमतौर पर कम चमकीला अथवा कुछ भूरा रंग लिया हुआ खून निकलता है। जिसे बंद करने के लिए लैट्रिन में खून आना कैसे बंद करें को जानना आवश्यक है।
जठर ( जठरांत्र ) शोथ –
भोजन का मुख्य रूप से पाचन हमारे जठर ( आमाशय ) में होता है। जिसमे भोजन को पचने के लिए अम्ल छोड़े जाते है। जो भोजन के पचने के उपरांत पानी आदि न पीने से, जठर में ही पड़े रहते है। जिससे आमाशय की दीवारों में सूजन और घाव होने की संभावना पाई जाती है।
जिससे खून निकलने पर, मलत्याग के समय हमारे मल में दिखाई पड़ता है। जिसमे खून की कोई लालिमा नहीं होती। जिससे काले रंग का जमा हुआ खून लैट्रिन के दौरान देखा जा सकता है। हालाकिं इस तरह के खून अन्य बहुत सी बीमारियों में भी देखने को मिलता है।
कैंसर ( Cancer )
टॉयलेट में खून आना की शिकायत गुदा कैंसर में भी देखने को मिलती है। परन्तु लोग कैंसर का नाम सुनते ही लोग हताश और निराश हो जाते है। लेकिन अधिकांश लोगों में कैंसर का उपचार संभव है। परन्तु लोग कैंसर के इलाज से बहुत घबराते है। क्योकि कैंसर का इलाज महगा होने के साथ – साथ तकलीफ देह भी है। इसलिए लोग कैंसर आने की नौबत से पहले ही, लैट्रिन में खून आना कैसे बंद करें की बात करने लगते है।
मल में खून आने के लक्षण ( blood in stool symptoms in hindi )
मल में खून आने के ज्यादातर लक्षण, अंदरूनी या खूनी बवासीर के लक्षण से मिलते – जुलते रहते है। जिसमे आमतौर पर पित्त दोष के कारण होने वाले गुदा और आंत्र रोग होते है। जिससे लैट्रिन करते समय निम्नलिखित लक्षण देखे जाते है –
- लैट्रिन में कभी-कभी खून आना
- मल में खून आने के साथ लैट्रिन काली होना
- लैट्रिन साफ नहीं आना
- गुदा द्वार पर मस्से या दरार दिखाई पड़ना
- मल त्यागते समय दर्द होना
- गुदा से पस ( पीब ) आना, आदि।
लैट्रिन में खून आना कैसे बंद होगा ( latrine me khoon aana kaise band hogaa )
सामान्यतः मलत्याग करते समय, खून नहीं आता। लेकिन जब गुदा में किसी तरह का मस्सा हो जाता है। तब लैट्रिन में कभी-कभी खून आना लाजिमी है। जो मल के सूखे होने के कारण, मांस के मस्से पर दाब पड़ने से बनने वाले घाव के कारण होता है। जिसमे बवासीर के मस्से सुखाने के उपाय बहुत ही प्रभावशाली ढंग से काम करते है। परन्तु गुदा में दरार, शोथ और भगंदर आदि में भी, लैट्रिन करते समय खून आने की समस्या होती है।
लैट्रिन में खून आने का कारण पता लगने पर ही, सही तरीके से लैट्रिन में खून आना उपाय किया जा सकता है। लेकिन पेट में कब्ज आदि रोगो के चलते गुदा रोगो के होने की संभावना अधिक होती है। जिसके कारण लैट्रिन में खून आना देखा जा सकता है। जिसमे लैट्रिन में खून आना कैसे बंद करें घरेलू उपाय, लोग सबसे पहले प्रयोग करते है।
मल में खून आने की समस्या अधिकांश रूप से बवासीर जैसे रोगों में ही देखी जाती है। हालाकिं बवासीर के अलावा अन्य बहुत से रोग है। जिसमे लैट्रिन करते समय खून आने की समस्या देखी जाती है। जिसमे निम्नलिखित घरेलू उपाय अपना असर दिखाते है।
लैट्रिन में खून आना घरेलू उपाय ( home remedies for blood in stool in hindi )
लैट्रिन में खून आने के घरेलू उपाय पूर्ण रूप से आयुर्वेदिक उपाय है। जिससे यह आयुर्वेद की तरह चिकित्सीय गुणों को धारण करते है। जो मल में खून आने की समस्या पर कारगार होते है। हालाकिं मल में खून आने की ज्यादातर समस्याए, गुदा और आंत्र रोगो के कारण ही अधिक देखने को मिलती है। जिसके कुछ उपाय इस प्रकार है –
- पका हुआ बेल के गूदे और गुड़ को बराबर मात्रा में लेकर सेवन करने से, पेचिस के कारण मल में खून आने की समस्या दूर होती है। इसके साथ पेट की कब्ज के सहित पेट के सभी रोग नष्ट हो जाते है।
- जामुन, आम और आंवला के कोमल और मुलायम पत्तों का स्वरस, अलग – अलग एक – एक तोला निकाल ले। जिसमे बकरी का दूध और शहद मिलाकर पीने से अतिसार के कारण मल में खून आने वाली समस्या नष्ट हो जाती है।
- दही की मलाई को थोड़े से पानी में मथकर, प्रतिदिन पीने से खून निकालने वाला बवासीर का मस्सा नष्ट हो जाता है। यह बहुत ही बढ़िया मल में खून आने का घरेलू उपचार है।
- लेटरिंग में खून आना घरेलू उपाय के रूप में दो तोला मक्खन में, एक तोला काला तिल मिलाकर सेवन करने से खूनी बवासीर नष्ट हो जाती है। जिससे मल में खून आने की समस्या दूर हो जाती है।
लैट्रिन में खून आना कैसे बंद करें medicine ( medicine for blood in stool in hindi )
लैट्रिन से खून आना घरेलू इलाज की तरह ही कुछ आयुर्वेदिक उपचार है। जिनसे मल में खून आना की समस्या से छुटकारा मिलता है। जिनको लैट्रिन में खून आना की दवा भी कहा जाता है। जिसको न जानने वाले लैट्रिन में खून आना कैसे बंद करें की बात करते है। जिसके कुछ योग इस प्रकार है –
- 10 ग्राम काले तिलों को पत्थर पर पीसकर, 10 ग्राम चीनी मिलाकर प्रतिदिन सुबह खाकर बकरी का दूध पीने से किसी भी तरह के खूनी बवासीर के मस्सों से गिरने वाला खून बंद हो जाता है।
- लगभग 10 ग्राम कुटज की छाल को पत्थर पर पीसकर, मठ्ठे में मिलाकर पीने से लैट्रिन में खून आने की समस्या समाप्त हो जाती है।
- जिस रोगी के गुदा की त्वचा बार – बार लैट्रिन करने के कारण पक जाती है। उसमे पटोल के पत्ते और मुलहठी के ठन्डे काढ़े से सिकाई करने से, लैट्रिन से खून आना बंद हो जाता है।
मल में खून आने की होम्योपैथिक दवा ( homoeopathic medicines for blood in stool in hindi )
लैट्रिन खून आने पर ध्यान रखने योग्य बाते
मल में खून आने पर निम्नलिखित बातों का ध्यान रखने से लाभ मिलता है –
- भोजन में गेहू चावल के स्थान पर मिलेट को शामिल करे
- खाने में ताजे फल और सब्जियों का सेवन करे
- खीरा और ककड़ी आदि का भरपूर सेवन करे
- देर से पचने वाली और चिकनी खाद्य वस्तुओ के सेवन से बचे
- चीनी और चीनी से बनने वाली वस्तुओ का सेवन न करे
- सोडा और कार्बोनेटेड वाटर के सेवन से बचे
- रात्रि में दाल और भारी भोजन के बजाय सादे और हल्के भोज्य पदार्थो को ही ले
- खाने में नमक के रूप में काले और सेंधा नमक का प्रयोग करे
- शौच के पश्चात गुदा को गुनगुने पानी से साफ़ करे
- शौच के लिए ठन्डे पानी का प्रयोग न करे
- अधिक भारी वजन और बोझे को न उठाये
- सोने और बैठने के लिए उबड़ – खाबड़ शायिका और आसान उपयोग में न लाये
- खाना बनाने और खाने के लिए शुद्ध तेल, घी और दूध का ही प्रयोग करे
- मल त्याग के समय जोर लगाकर काँखे नहीं
- लैट्रिन करने के लिए अधिक समय तक लैट्रिन सीट पर न बैठे, आदि।
लैट्रिन में खून आने पर कब चिंता करें ( when to worry about blood in stool in hindi )
मल में खून आते रहने पर, निम्न परिस्थितियों में शीघ्र उपचार करना आवश्यक हो जाता है। जिसमे किसी तरह की देरी नही करना चाहिए। जैसे –
- यदि महीनो से रुक – रुक कर रक्त स्राव हो रहा हो
- आपकी गुदा से बहुत अधिक मात्रा में खून जा रहा हो
- खून निकलने से आपको कमजोरी महसूस हो रही हो
- आपके पैर के तलवो और पिंडलियों में तीव्र मरोड़ हो रही हो
- आपका मल बहुत पतला या बहुत सूखा या कडा हो रहा हो
- मल त्याग करने में आपको कठिनाई हो रही हो
- आपको बुखार के साथ उल्टियां और ठण्ड लग रही हो।
- मन उदास और भूख न लग रही हो, आदि।
उपसंहार :
लैट्रिन में कभी-कभी खून आना सामान्य समस्या हो सकती है। लेकिन अधिक मात्रा में दर्द के बिना मल में खून आना किसी गंभीर समस्या का इशारा हो सकती है। जिससे घबराकर लोग लैट्रिन में खून आना कैसे बंद करें की बात करने लगते है।
लेकिन उपचार करते समय इस बात का पता लगाना जरूरी है कि लैट्रिन में खून क्यों आता है? जबकि मल के साथ आने वाले खून की वजह बवासीर, फिसर और गुदा भ्रंस जैसे रोग होते है। जिसमे मल त्याग के समय खून जाने की समस्या होती है। जिसमे लैट्रिन में खून आना घरेलू उपाय बहुत ही फायदा पहुंचाते है।
जबकि खूनी पेचिस में भी मल त्याग के समय रक्त स्राव होता है। फिर चाहे वह फ़ूड प्वाइजनिंग के कारण हो या किसी अन्य वजह से हो। जिसमे बिना समय गवाए शीघ्र उपचार की आवश्यकता पड़ती है। जिसमे डेरी होने पर जान भी जा सकती है। जिससे बचने के लिए आवश्यक है कि लैट्रिन में खून आना कैसे बंद करें के उपायों को खोजे। साथ ही साथ चिकित्सीय सलाह भी ले।
सन्दर्भ :
भाव प्रकाश – गर्भ प्रकरण
भैषज्य रत्नावली चिकित्सा अध्याय – 07
FAQ
मल में खून आना कौन सी बीमारी है?
मल में खून आने की समस्या बवासीर, गुदा दरारें, सूजन आंत्र रोग और यहां तक कि कोलोरेक्टल कैंसर जैसी अधिक गंभीर स्थितियों में पायी जा सकती है।
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