पाइल्स मानव गुदा में होने वाला रोग है। जिसमे गुदाद्वार या गुदीय नलिका के शिराओ में खून जमने से मांस के कील ( मस्से ) निकल आते है। जिनको पाइल्स के लक्षण कहते है। जो धीर – धीरे बढ़ते हुए पूरे गुदा को बद्धकर ( ढक ) देते है।
जिससे दैनिक क्रियाओ ( मलत्याग, उठने – बैठने आदि ) में दर्द के कारण अड़चन पैदा होने लगती है। जिसके लिए पाइल्स का इलाज हिंदी की आवश्यकता पड़ती है। जिसमे पाइल्स इन हिंदी मीनिंग ( piles meaning in hindi ) आदि को समझकर, दवाइयों का सेवन करते हुए पाइल्स में परहेज रखा जाता है।
तब जाकर कही बवासीर के लक्षण से छुटकारा मिलता है। पाइल्स की बीमारी में गुदा के अंदर, बाहर अथवा दोनों में सूजन हो सकती है। मलाशय का अंतिम भाग गुदनलिका से जुड़ा होता है। जिसके कारण सूजन का प्रभाव मलाशय तक भी हो सकता है।
जिसके कारण गुदा के आस – पास दरार, खुजली, जलन एवं भारीपन आदि का अनुभव हो सकता है। जो महिलाओ में होने पर महिला बवासीर के लक्षण ( symptoms of piles in female ) कहलाता है। समस्या गंभीर होने पर गुदा के अंदर, बाहर या दोनों में मांस के मस्से निकल सकते है।
जो आकार में छोटे और बड़े दोनों तरह के हो सकते है। जिनसे स्राव ( रक्तादि ) भी हो सकता और नहीं भी। यह पाइल्स होने के प्रकार और रोगी सुसंगत दोष के आधार पर घटित होता है। कुछ लोगो में यह बिना दर्द के होता है, तो कुछ में भीषण दर्द के साथ होता देखा जाता है। जो पुरुषो में होने पर पुरुष बवासीर के लक्षण से युक्त माना गया है।
पाइल्स क्या होता है ( piles kya hota hai )
पाइल्स मीनिंग इन हिंदी ( piles meaning in hindi )
पाइल्स का समानार्थी ( piles synonyms ) बवासीर या अर्श है। जिसको आंग्ल भाषी हेमोर्रोइड का नाम देते है। जबकि आयुर्वेदानुसार पाइल्स का मतलब ( piles meaning ) बवासीर है। जिसके उपचार में बवासीर के घरेलू उपाय उत्कृष्ट फलदायक है।
गुद की ग्रीवा में श्लेष्मकला एवं कुछ मांस के मुड़ जाने से ऊपर – नीचे की ओर 6 – 7 स्तम्भ बन जाते है। जिसमे से प्रत्येक में एक शिरा और एक धमनी होती है। गुद ग्रीवा की इन शिराओ में कोई एक गुच्छा जब खून के भर जाने से फूल जाए तो उस उभार को ही पाइल्स ( बवासीर ) कहते है। जिनको नष्ट करने में बवासीर को जड़ से खत्म करने का उपाय बहुत उपकारक है।
पाइल्स क्यों होता है ( causes of piles in hindi )
किसी भी रोग का अस्तित्व उसके कारण पर टिका होता है। जिसको दूर करने पर रोग का प्रभाव नष्ट होने लगता है। इसी प्रकार पाइल्स से मुक्ति पाने के लिए पाइल्स होने का कारण क्या है ( what causes piles ) जानना आवश्यक है। जिससे सही समय पर पाइल्स के कारण ( piles reason in hindi ) को पहचाना जा सके। आयुर्वेद में पाइल्स होने के निम्नलिखित कारण माने गए है –
अत्यधिक गैस करने वाले पदार्थो को खाने से, तीखी, चटपटी, मिर्च मसाले वाली जलनकारी भोजन को खाने से, शीतल, चिकनी और देर से पचने वाली चीजों को खाने से, विरुद्ध भोजन से, अध्यशन से, अधिक स्त्री सहवास से, उबड़ – खाबड़ आसान पर बैठने से, पृष्ठ यान ( घोड़ा, ऊट, साईकिल आदि की सवारी करने ) से, दिन में सोने से, दिन भर एक ही स्थान पर बैठकर काम करने से, मल – मूत्रादि के वेगो को रोकने से अलग – अलग दोष अथवा दो – दो दोष मिलकर या सभी दोष रक्त के साथ कुपित होकर मांस के अंकुरों की उत्पत्ति कर देते है।
महिलाओ में गर्भ धारण के समय गर्भावस्था में बवासीर ( पाइल्स ) होने की समस्या देखी जाती है। जबकि प्रसव की विकृति से डिलीवरी के बाद बवासीर होना, महिलाओ के लिए बहुत तकलीफ देह होता है।
पाइल्स होने के आधुनिक कारण
- मात्रा से कम पानी पीना
- फाइबर युक्त भोज्य पदार्थो का सेवन न करना
- कांच निकलना ( रेक्टम प्रोलैप्स )
- गुदा प्रदेश में चोट लगना
- रात में देर तक जागना
- बहुत महीन पिसे आटे का प्रयोग भोजन में करना
- खाने में हमेशा पकी हुई वस्तुओ का ही सेवन करना
- अधिक मात्रा में चीनी का प्रयोग करना
- भूख लगने पर खाना न खाना
- लैपटॉप, कम्प्यूटर, टी बी और मोबाइल पर बैठकर घंटो काम करना, आदि।
पाइल्स के प्रकार ( types of piles in hindi )
- गुद चक्र के वाम भाग पर
- गुद चक्र के आगे दाहिनी
- ओर गुद चक्र के पीछे की ओर
पाइल्स के लक्षण ( piles symptoms in hindi )
पाइल्स की बीमारी में पाए जाने वाले लक्षणों को पाइल्स लक्षण ( piles lakshan ) कहते है। जो अलग – अलग लोगो में अलग प्रकार के हो सकते है। आमतौर पर देखे जाने वाले पाइल्स के लक्षण इन हिंदी ( piles ke lakshan in hindi ) इस प्रकार से है –
- सिर, पसलियों, कमर, कूल्हों एवं टांगो में दर्द होना
- छींक आना
- पाचन क्षमता का कमजोर होना
- पेट में गैस बनना
- अतड़ियो की गति में रुकावट होना
- पेट साफ़ न होना
- मल का त्याग परिणाम में कम होना
- मल के रंग में परिवर्तन होना
- गुदा द्वार में खुजली, जलन, चुभन अथवा भारीपन लगना
- मल त्याग के पहले, दौरान या बाद में गुदा से रक्त स्राव होना
- मल में खून आना
- उठने – बैठने, चलने – फिरने आदि में गुदा में दर्द होना
- मल – मूत्र के त्याद में रुकावट होना, आदि।
इंटरनल पाइल्स के लक्षण ( internal piles symptoms )
आंतरिक बवासीर के लक्षण ( internal hemorrhoids symptoms ) को इंटरनल पाइल्स का लक्षण कहा जाता है। जिसमे आमतौर पर निम्न लक्षण हो सकते है –
- इनके मस्से नीले रंग के मुँह वाले, लाल – पीले – काले रंग के होते है।
- इस पाइल्स के अगले भाग से थोड़ा – थोड़ा रक्त निकलता रहता है
- इनमे दर्गन्ध युक्त बदबू आती है
- ये पतले, मुलायम और ढीले होते है
- गुदा में जलन, गुदपाक, बुखार, पसीना होना
- प्यास लगना
- बेहोशी होना
- भोजन की इच्छा न होना
- इनके मस्सो से गर्म भाप जैसा निकलना
- गुदमार्ग से पतला, नीले रंग का, छूने में गर्म, देखने में पीला और लाल एवं अधपचा मल निकलना
- इनके मस्सों का बीच में जौ के समान मोटे होना
- रोगी की त्वचा, नाखून, मल – मूत्र आदि का रंग हरा, पीला एवं हल्दी के रंग का हो जाता है।
एक्सटरनल पाइल्स के लक्षण ( external piles symptoms )
बाहरी बवासीर के लक्षण ( external hemorrhoids symptoms ) को आंग्ल भाषा में एक्सटरनल पाइल्स कहा जाता है। जिसमे कुछ इस तरह के लक्षण देखे जा सकते है –
- बाहरी पाइल्स गहरी जड़ो वाली, घनी, कम दर्द देने वाली और रंग में सफेद होती है।
- इन पाइल्स के मस्से इंटरनल पाइल्स के मस्सों से बड़े, मोठे, चिकने, कड़े और गोल आकार के होते है।
- यह छूने में सुखद, चिकने, चिपचिपे, गीले, स्थिर और भारी होते है।
- पेडू जांघ और कमर में दर्द होना
- गुदौष्ठ, मूत्राशय और नाभि प्रदेश में तनाव या खिचाव होना
- जी मिचलाना
- मुँह से लार टपकना
- बार – बार पेशाब लगना
- भोजन करने का मन न करना
- त्वचा, मल, मूत्र, नाखून, मुँह और आँखों का काला या सफेद पड़ना
- उल्टी होना
- मल का गांठदार, पतला, मुलायम, ढीला, लंबा अथवा कफ मिला हुआ होना
- सिर में भारीपन और बुखार होना, आदि।
पाइल्स के चरण या ग्रेड ( stages of piles )
पाइल्स होने के कारण और रोग की तीव्रता से पाइल्स में अंतर आ जाता है। जिसको ग्रेड में विभाजित किया गया है –
ग्रेड 1 : इसमें पाइल्स का शुरुआती दौर होता है। जिसमे किसी प्रकार का कोई मास्सा नहीं होता, बल्कि केवल उभार ही पाया जाता है। मलत्याग के समय गुदा में हल्का दर्द हो सकता है।
ग्रेड 2 : इसमें पाइल्स के मस्से ( piles masse ) निकलने लगते है। जोकि बहुत छोटे होते है। जिसमे दर्द, खिंचाव, भारीपन और खुजली हो सकती है। मल त्यागते समय मल कडा और पेट में कब्ज की समस्या हो सकती है।
ग्रेड 3 : पाइल्स की यह अवस्था है। जिसमे मस्से बहुत बड़े, मोठे, चिकने और चिपटे होते है। जिससे मवाज, खून, खुजली और चुभन और गड़ने जैसी तकलीफे होती है। इस स्थिति में मल का वेग लगभग – लगभग नहीं आता, यदि आता भी है तो बहुत पीड़ा देता है।
ग्रेड 4 : यह पाइल्स का सबसे विकृत और भीषण स्थिति है। जिसमे पाइल्स के मस्सों से खून आदि निकलता है। साथ ही मस्सो का आकार बहुत पड़ा और उग्र हो सकता है। जिसमे दर्द और पीड़ा सही न जा सकने वाली होती है। इसमें मल का त्याग करते समय इतना दर्द होता है कि रोगी को खड़े होना पड़ता है।
यह सभी स्थितियां पाइल्स होने की अवस्था में देखी जाती है। जिनको पाइल्स इन हिंदी कह सकते है। जिनका समय पर इलाज कर इन सभी तकलीफो से पार पाया जा सकता है। जबकि इलाज में देरी करने से रोग की परेशानी बढ़ती है। जिससे रोग उपचार का खर्च और समय दोनों अधिक लग सकते है।
पाइल्स टेस्ट ( piles test )
फिजिकल टेस्ट : इसमें रोगी को पेट के बल लिटाकर, दोनों पैरो को फैलाकर गुदा के आस – पास पाइल्स के मस्सों की जांच की जाती है। जिससे मस्सो का आकार, रंग और उनसे होने वाले स्राव की जानकारी मिलती है।
डिजिटल रेक्टल टेस्ट : इसमें हाथो पर ग्लब ( रबर के दस्ताने ) पर लुब्रीकेट ( जेल जैसा चिकना पदार्थ लगाकर ) रोगी के गुदा में उगली डालकर, गुदा के अंदर होने वाले मस्सों की जांच करता है। जिससे रोगी के आंतरिक मस्सो की पहचान और आकार में सहायता मिलती है।
एनोस्कोपी : यह एक प्रकार की पतली रबर आदि से बनी ट्यूब होती है। जिसके अंतिम सिरे पर लाइट लगी होती है। जिससे हुडा के अंदर की दीवारों और मलाशय पर होने वाले मस्सो को कम्प्यूटर पर देखा जा सकता है।
प्रोक्टोस्कोपी : यह एक प्रकार की एनोस्कोपी जैसी किया है। जिसमे और अधिक गहराई तक जांच की जा सकती है।
पाइल्स का इलाज हिंदी ( piles treatment in hindi )
आमतौर पर मंदाग्नि वाले पुरुषो में यह रोग विशेष रूप से पाया जाता है। जिसका मुख्य कारण कब्ज के लगातार बनने से, पाचन में विकृति होती है। जिसमे निकलने वाले मस्से मांस के ही विकृत रूप है, अथवा मांस में स्थित विकार है। जिनमे तृण ( घास, तिनका ), काष्ठ ( लकड़ी ), पत्थर, मिट्टी का ढेला, कड़े कपडे की रगड़ और ठन्डे पानी के लगने से मांस के ये अंकुर विशेष रूप से बढ़ते है। जिससे पाईल्स के कारण रोगी की तकलीफ भी बढ़ने लगती है।
पाइल्स के लक्षण में पाए जाने वाले मस्से, त्वचा और मांस से मिलकर बने होते है। जिसमे खून जमते रहने से संक्रमण होकर खून का रिसाव होता देखा जाता है। जिससे पाइल्स ट्रीटमेंट ( piles treatment ) में पाइल्स कारण से असंतुलित दोषो पर ध्यान दिया जाता है। जिसमे प्रधान रूप से वात, पित्त और कफ है। जिनके एकल और बहुकल ( दो या दो से अधिक ) दोषो के संयोग से, पाइल्स के मस्से बनते एवं बढ़ते है।
इसलिए पाइल्स का इलाज ( piles ka ilaj ) करते समय, पाइल्स इन हिंदी मीनिंग को समझना अनिवार्य है। जिसमे मुख्य रूप से रोगानुगत दोष है। जिसको संतुलित करने के लिए पाइल्स की दवा का प्रयोग होता है। जो पाइल्स के मस्से सुखाने के उपाय ( piles ke masse sukhane ke upay ) है। जिनकी मदद से सूखी और खूनी पाइल्स का इलाज हो जाता है। आइये जानते है कि पाइल्स का उपचार कैसे करे ( how to cure piles )?
पाइल्स के मस्से का इलाज ( piles ke masse ka ilaj )
पाइल्स की बीमारी में होने वाले मस्से में दर्द होने से कष्टकारी होता है। जिसके लिए दो प्रश्न उठते है। पहला पाइल्स के मस्से कैसे ठीक करे ( piles ke masse kaise thik kare ) और दूसरा पाइल्स का दर्द कैसे ठीक करें ( piles ka dard kaise thik kare )? यह दोनों ऐसे प्रश्न है। जिनका निराकरण होते ही पाइल्स के लक्षण समाप्त हो जाते है।
जिसे पाइल्स उपचार ( piles upchar ) कहा जाता है। हिंदी वाले इसको ही पाइल्स ट्रीटमेंट इन हिंदी कहते है। जिनको कुछ लोग पाइल्स के मस्से हटाने के उपाय भी मानते है। जबकि इन मस्सो को जड़ से निकालने में बवासीर के मस्से सुखाने के उपाय बहुत लाभकारी है।
जिसमे पाइल्स की दवाई से पाइल्स का इलाज किया जाता है। जो आयुर्वेदिक होने से आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट ऑफ पाइल्स भी कहलाते है। जिसके द्वारा पाइल्स में होने वाले मस्से और इनमे होने वाले सभी प्रकार के दर्द से छुटकारा मिल जाता है। जिनमे उपयोगी दवाइया निम्न है –
पाइल्स के मस्से सुखाने की दवा ( piles ke masse sukhane ki dawa )
पाइल्स मस्से का इलाज इन हिंदी में उपयोगी बेस्ट मेडिसिन फॉर पाइल्स निम्नलिखित है –
- गाय के दूध को खौलाकर, उसमे चीते की जड़ का चूर्ण बुरककर जमा दें। इसी दही को रोगी को पिलाये और भोजन भी करवाए तो वह पाइल्स से छुटकारा पा जाता है।
- कचनार की जड़ के चूर्ण को मात्रानुसार मठ्ठे के साथ पीते रहने से और उसके पच जाने पर, पथ्य भोजन करने वाला व्यक्ति पाइल्स से मुक्त हो जाता है।
- चीता की छाल को पानी के साथ पीसकर, मिट्टी के घड़े के अंदर लेप करके उसे सूखने दे। जिसमे दूध दही जमाकर, दही अथवा मठ्ठा पीने से पाइल्स नष्ट हो जाती है। यह बढ़िया इंटरनल पाइल्स का इलाज है।
- जो पाइल्स रोगी हमेशा के लिए पूर्ण रूप से पाइल्स का नाश करना चाहता है। वो मठ्ठे को रात भर उस मिट्टी के घड़े में भरकर रख दे। जिसमे कंटकारी के फलो से बनी चटनी से लेप किया गया हो। इस बासी मठ्ठा को प्रातः काल पिए।
यह सभी पाइल्स के मस्से का आयुर्वेदिक इलाज ( piles ke masse ka ayurvedic ilaj ) है। जो पाइल्स के लक्षण को खत्मकर पाइल्स के मस्से का इलाज करते है। जिसको आयुर्वेदिक उपचार फॉर पाइल्स भी कहते है। जो बवासीर के मस्से सुखाने की दवा भी कहलाती है।
पाइल्स के घरेलू उपचार ( piles home remedy in hindi )
पाइल्स के मस्से का घरेलू इलाज आयुर्वेद के घरेलू नुस्खों से किया जाता है। जिसे आंग्ल भाषी होम रेमेडी फॉर पाइल्स कहते है। प्रसिद्द और उपकारी पाइल्स के मस्से का घरेलू इलाज निम्न है –
- ताजे दही को बिलोकर निकाले गए मक्खन में शहद मिलाकर खाने से पाइल्स के मस्से सूखकर झड़ जाते है।
- सोंठ के चूर्ण को गुड़ के साथ खाने से, मलबद्धता ( कब्ज ) और आमदोष के साथ बवासीर को नष्ट कर देता है।
- त्रिफला चूर्ण के साथ मठ्ठा पीने से बवासीर में बहुत लाभ होता है।
- इसबगोल की भूसी का प्रयोग करने से, बवासीर में सूखे और कड़े मल को बाहर निकालने में मदद करता है।
- हर्रे के चूर्ण के साथ गुड़ का सेवन करने से बवासीर के मस्से नष्ट होते है।
- अपामार्ग के बीज की चटनी बनाकर चावल के धोवन के साथ प्रयोग करने से खूनी पाइल्स ठीक हो जाती है। यह निश्चित रूप से खुनी पाइल्स का इलाज करता है। इसमे किसी तरह कोई संदेह नहीं है।
- भीमसेनी कपूर फॉर पाइल्स : केले को बीच से फाड़कर दाल के बराबर भीमसेन कपूर डालकर केला का लेने से खूनी पाइल्स में लाभ होता है। यह पाइल्स का घरेलू इलाज हिंदी में कहलाता है।
बेस्ट होम्योपैथिक मेडिसिन फॉर पाइल्स ( homeopathy medicine for piles in hindi )
पाइल्स का होम्योपैथिक इलाज बहुत ही असरकारी है। जिसमे पाइल्स की होम्योपैथिक दवा का प्रयोग किया जाता है। जिनको पाइल्स मेडिसिन इन होमियोपैथी भी कहते है। जिसके कुछ नामचीन दवाई इस प्रकार है –
इस्क्युलस : मलद्वार में कुछ गड़ते रहने की तरह दर्द, अकड़न वाला दर्द, कमर में दर्द। मलद्वार में भार मालूम होना, मलद्वार का भीगा – भीगा लगना और दर्द होना, पाइल्स के मस्सो में खुजली होना इसका प्रधान लक्षण है। इसके मस्से गुदा के अंदर और बाहर दोनों ओर पाए जाते है। जिसमे बहुत दर्द होता है। मलत्याग के बाद तो काफी देर तक जलन बनी रहती है। इसके साथ मलद्वार में ऐसा लगता है, जैसे रुक सा गया है। इनके मस्सो से खून नहीं निकलता लेकिन पाइल्स पुराणी हो जाने पर मस्सों से खून भी निकलता है।
लैकेसिस : यह बाहरी और भीतरी दोनों प्रकार के बवासीर में उपयोगी है। जिसमे बहुत अधिक टपक का दर्द होता है। जिसमे खांसने पर ऐसा मालूम होता है, जैसे पाइल्स की जगह काँटा गड रहा हो। और गुदा में कोई चीज अड़ी हुई है, जिससे रोगी लगातार काँखा करता है। मलत्याग के समय इतना दर्द होता है कि रोगी उठकर खड़ा हो जाता है। मलद्वार बंद सा होता जाता है। इसके साथ इसके मल में अभूत बदबू होती है।
नक्स वोमिका : इसमें मलत्याग का वेग और इच्छा दोनों बनी रहती है। लेकिन पेट खुलकर साफ़ नहीं होता।
लाइकोपोडियम : मलद्वार में संकोचन बहुत अधिक रहता है, जिससे मलत्याग के समय थोड़ा सा मल निकलकर फिर नहीं निकलता या बिलकुल ही नहीं निकलता। इसमें भी बहुत ज्यादा तकलीफ होती है। जो दोनों तरह की पाइल्स में लाभ करती है।
पाइल्स में परहेज ( piles parhej )
पाइल्स के उपचार में सहयोगी उपाय ही पाइल्स के परहेज कहलाते है। जिनका अनुपालन दवाइयों के साथ करना अनिवार्य होता है। जिसका पालन करने पर बहुत ही कम समय में, पाइल्स से छुटकारा मिलने लगता है। जिसमे ध्यान रखने योग्य कुछ उपाय निम्न है –
- देर रात्रि भोजन करने से बचे
- रात्रि में भारी भोजन न करे
- कच्चे और पकाये गए भोजन को साथ में न खाये
- भोजन के ठीक पहले और बाद में पानी पीने से बचे
- टहलते हुए भोजन बिलकुल न करे
- प्रातः काल जल्दी उठे
- पर्याप्त मात्रा में पानी पिए
- घोड़े आदि की पीठ पर सवारी न करे
- दिन में न सोये
- अधिक समय तक बैठने वाला काम हो तो बीच – बीच में टहल ले
- शारीरिक सम्बन्ध का त्याग करे
- कठोर और पड़े आसान पर न बैठे। जैसे – काष्ठ और पत्थर आदि पर
- धुप में न घूमे और आग के पास न बैठे
- पूर्व दिशा की वायु का सेवन न करे,आदि।
पाइल्स में न खाये जाने वाले भोजन ( foods to avoid in piles )
पाइल्स में सबसे अधिक परहेज करने वाली वस्तु है, भोजन। जिसका सीधा प्रभाव न केवल हमारे स्थूल शरीर पर होता है। बल्कि उतना ही हमारे मानसिक शरीर पर भी होता है। रोग उपचार में इन दोनों ही शरीरो में आयी बीमारी को दूर किया जाता है। जिससे पाइल्स के इलाज के दौरान अक्सर लोगो के दिमाग में प्रश्न होता है कि पाइल्स में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं? तो आइये जाने है कि बवासीर में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं।
- गरिष्ठ, तीखे, चटपटे, मिर्च – मसाले वाला भोजन न करे
- महीन आटे से बने खाद्य पदार्थो को न खाये
- चाय, काफी और अन्य नशीले पदार्थो का सेवन न करे
- रिफाइंड चीनी न खाये
- फ्री फ्लो और अम्लीय नमक का भोजन में प्रयोग न करे
- सभी तरह के कार्बोनेटेड वाटर से दूर रहे
- मांस और मछली के सेवन से दूर रहे
- तिल की पीठी से बनी खाद्य वस्तुओ को खाने से बचे
- मटर, उड़द आदि की दाल न खाये
- बेल फल और पके आम को खाने से बचे
- सत्तू और दही का सेवन न करे
पाइल्स के लिए योग ( yoga for piles in hindi )
योग शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में संतुलन साधने का अमोघ उपाय है। इसलिए योग को स्वास्थ्य का साधन भी माना गया है। इनके कारण योग को पाइल्स के लक्षण को मिटाने में सहायक कहा गया है। जिसका आश्रय लेने वाला रोग से निवृत्त होकर सुख भोगता है। इसलिए पाइल्स के इलाज में निम्न आसन प्रभावशाली माने गए है –
सर्वांगासन : पेट स्वस्थ रखने और पेट रोगो को दूर करने में, यह आसन बहुत उपकारी है। जिसको नियमित करते रहने से आंतो की गति नियंत्रित रहती है। जिससे पाइल्स की बीमारी नहीं पनपने पाती।
पवनमुक्तासन : पेट की सभी समस्याओ के साथ पाइल्स की समस्या में बहुत लाभकारी है। जिसको कुछ समय तक करने से मल बाधित होने जैसी समस्याओ से छुटकारा मिल जाता है।
वज्रासन : भोजन करने के उपरान्त वज्रासन करने से खाना पचने में बहुत आसानी होती है। पाचन क्रिया तीव्र होने से पेट और इसके सभी उपांग मलाशय आदि भी स्वस्थ होते है। जिससे पाइल्स की समस्या नहीं होती।
बलासन : यह पाचन शक्ति को दुरुस्त और शारीरिक बल को बढ़ाने वाला है। यह मलाशय की प्रतिक्रया को बढ़ाकर पेट साफ़ करने में भी सहायक है। जिसके कारण यह पाइल्स रोग में भी उपयोगी पाया गया है।
पाइल्स एक्सरसाइज ( piles exercise in hindi )
पाइल्स की समस्या होने पर चलना – फिरना दूभर हो जाता है। फिर भी पाइल्स के लिए व्यायाम ( exercise for piles ) करना बहुत जरूरी है। लगातार व्यायाम करते रहने से शरीर में जमी हुई गंदगी बाहर निकलती है। जिससे शरीर हल्का और ताजगी से युक्त बना रहता है। जिससे रोग होने की संभावना कम हो जाती है। यह एक प्रकार का परिश्रम जैसा है। जो आजकल महानगरों में होना मुशिकल है। जिसके लिए व्यायाम, टहलना, घूमना, कसरत करना ही हो पाता है।
लेकिन ध्यान रखने वाली बात यह है कि इसकी विधि और समय दोनों उपयुक्त हो। इनमे विसंगति होने पर हम जो भी व्यायाम करते है। सब थोड़े बहुत परिणामो के साथ व्यर्थ चला जाता है। जिसके जानकारी न होने से हम इनको नियमित तौर पर करते रहते है। जो हमें कोई विशेष शारीरिक लाभ देने से रही, बल्कि हमारा समय अलग से नष्ट हुआ।
कोई भी व्यायाम करे पहले खड़े होकर, फिर बैठकर कर सकते है। जबतक कि पसीना न आ जाए। यदि स्वास्थ्य लाभ के लिए टहलते है तो बिना रुके कम से कम 75 मिनटों तक लगातार घूमे। ऐसा करने से सभी रोगो में फायदा होता है।
पाइल्स के इलाज में देरी करने के नुकसान
पाइल्स के इलाज में देरी करने से निम्न नुकसान हो सकते है –
- पाइल्स के इलाज को टालने से रोग के बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है।
- रोग के दर्द और उससे होने वाली तकलीफ में इजाफा हो सकता है।
- पाइल्स के जीर्ण होने पर, इसके ठीक होने में अधिक समय लगता है।
- जिससे अधिक धन का व्यय होता है।
- पाइल्स भीषण होकर फिशर और भगंदर में परिणत हो सकते है।
- अधिक समय तक पाइल्स का उपचार न होने से, साध्य रोग असाध्य की स्थिति में आ जाता है।
- जिसकी समाप्ति केवल मृत्यु के साथ होती है।
पाइल्स और फिशर में अंतर ( difference between piles and fissure )
आमतौर पर गुदा द्वार पर होने वाले मांस कील को पाइल्स कहा जाता है। जबकि गुदा में होने वाली दरार को फिशर के नाम से जाना जाता है। बैरहल दोनों ही गुदा में होने वाली बीमारियां है। आसान भाषा में कहे तो पाइल्स के मस्से लम्बाई में होते है, वही फिसर गुदा द्वार में चटकाव पैदा करती है। इन दोनों बीमारियों को अनदेखा करना आपको भारी पड़ सकता है। इसलिए समय पर इनका इलाज कराना चाहिए।
उपसंहार :
पाइल्स के लक्षण मिलते ही पाइल्स में परहेज आदि के द्वारा पाइल्स का इलाज किया जाना चाहिए। जिससे समय रहते हम रोग के भीषण परिणाम से बच सके। पाइल्स जितनी पुराणी होती जाती है, उतनी ही अधिक पीड़ादायी और तकलीफ देह होती जाती है। कभी – कभी तो पाइल्स में अत्यधिक मात्रा में खून निकलता है। जो दर्द और बिना दर्द के भी साथ देखा जाता है। जिससे रोगी कमजोर होता हुआ, सूखकर मरणासन्न की स्थिति में पहुंच जाता है।
सभी प्रकार के रोगो को दूर करने में, आहार और दिनचर्या की सार्वकालिक योग्यता है। जिसके कारण रोग को भगाने में भोजन और दैनिक क्रिया कलाप पर, उतना ही ध्यान दिया जाना चाहिए जितना कि पाइल्स की दवा आदि पर। ऐसा करने पर हम रोग मुक्त तो होते ही है, साथ ही रोग के फिर से होने की संभावना भी नष्ट हो जाती है। जब तक हम इन नियमो का यथावत पालन करते रहते है, तब तक सभी प्रकार के रोगादि विकारो से सुरक्षित रहते है।
ध्यान रहे : किसी भी दवा के प्रयोग से पूर्व योग्य चिकित्सीय परामर्श अवश्य ले। मनमाने ढंग से इनका प्रयोग घातक हो सकता है।
संदर्भ :
- माधव निदान – अर्शनिदान
- योगरत्नाकर अर्श चिकित्सा प्रकरण
- भैषज्यरत्नावली अर्श चिकित्सा प्रकरण
- अष्टांग ह्रदय चिकित्सा अध्याय 8
- कॉपरेटिव मटेरिया मेडिका द्वारा एन सी घोस पृष्ठ 71, 564, 34 आदि।
FAQ
क्या पाइल्स खतरनाक है ( is piles dangerous )?
हाँ, पाइल्स रोग के अत्यंत तीव्र होने पर यह अत्यंत घातक सिद्ध है। जिसके भयकर दर्द के साथ खून निकलना भी देखा जाता है।
क्या पाइल्स ठीक होता है ( kya piles thik hota hai )?
उपयुक्त चिकित्सीय युक्ति और धैर्य पूर्वक पाइल्स का इलाज करने से पाइल्स ठीक हो जाता है।
पाइल्स कैसे ठीक करें ( piles kaise theek karen )?
चिकित्सीय विशेषज्ञ द्वारा पाइल्स के लक्षण से मेल खाती दवा, जीवनशैली और खान – पान में बदलाव करके पाइल्स को ठीक किया जा सकता है।
क्या पाइल्स में चावल खाना चाहिए?
हाँ, पाइल्स की समस्या होने पर रोटी आदि खाने से मल कठोर होने लगता है। जिससे तात्कालिक रूप से बचने के लिए चावल खाने से मल निकलने में आसानी होती है।
क्या पाइल्स में सेक्स करना चाहिए?
नहीं, ऐसा करने से पाइल्स के भड़कने की संभावना होती है।
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