कुछ महिलाए बहुत आसानी से बार – बार गर्भधारण कर लेती है। जिनमे थोड़ी भी असावधानी होने पर गर्भ रुक ही जाता है। जिससे वो थक हारकर परिवार नियोजन के बारे में, सोचने को मजबूर हो जाती है। जिससे अक्सर उनके मन में बार – बार एक ही प्रश्न आता है कि आखिर महिला प्रेग्नेंट कब नहीं होती है?
वही कुछ महिलाएं बार – बार महीनो प्रयास करने के बावजूद, गर्भवती नहीं हो पाती। जिससे उनके अंदर गर्भ गर्भ कब नहीं ठहरता है, और कब ठहरता है को लेकर असमंजस बना रहता है। जिससे वे बेबी कंसीव करने के उपाय करने लगती है। पर किसी में गर्भ ठहरता और किसी में गर्भ नहीं रुकता। जिससे उनके मन में पीरियड के कितने दिन बाद प्रेग्नेंट हो सकते है की बात आने लगती है।
आमतौर पर महिलाओं में आर्तव चक्र के शुरू होने के बाद ही गर्भ ठहरता है। लेकिन ऐसी भी कुछ महिलाए होती है। जिनको बिना पीरियड के भी गर्भ रुक जाता है। हालाकिं ऐसी लाखों या करोड़ों में कोई एक महिला होती है। जोकि एक तरह का अपवाद है।
महिलाओं में गर्भ रुकने का सबसे अच्छा समय, उसके मासिक धर्म के बीच का समय होता है। जो बहुत थोड़े समय के लिए होता है। जिसमे महिला के भीतर अनेको तरह के हार्मोनल बदलाव होते है। जिसके दौरान महिला के ओवरी से अंडा निकलकर, फर्टीलाइज्ड होने के लिए परिपक्व होता है।
यदि इस समय या इसके कुछ दिन पहले संबंध बन गया, तो महिला के प्रेग्नेंट होने की संभावना सबसे अधिक होती है। परन्तु आज के दौर में अधिकांश महिलाओं का मासिक धर्म अनिश्चित होता है। जिससे महिला को गर्भवती होने के लिए उन संभावित दिनों का पता नहीं लग पाता। जिससे वह यह नहीं जान पाती कि प्रेग्नेंट होने के लिए पीरियड के कितने दिन बाद संबंध बनाना चाहिए।
महिला प्रेग्नेंट क्यों नहीं होती है ( why woman not get pregnant in hindi )?
जिससे महिलाओं में दो तरह की स्थितियां उत्पन्न होती है –
- कुछ महिलाए न चाहते हुए भी आसानी से गर्भ धारण कर लेती है।
- और चाह कर भी गर्भवती नहीं हो पाती।
इस कारण अधिकतर महिलाएं यहाँ तक की अनुभवी भी। यह जान पाती कि महिला कब प्रेग्नेंट नहीं होती है और कब होती है? आमतौर पर महिलाओं में गर्भ न रुकने के दो प्रमुख कारण है –
- स्थायी
- और अस्थायी
जिन महिलाओं में स्थायी रूप से गर्भ न ठहरने की समस्या होती है। उनमे गर्भ नहीं रुकता। लेकिन उन महिलाओं जिनको अस्थायी रूप से गर्भ रुकने में अड़चन होती है। उनमे समस्या का उपचार होते ही गर्भ रुकने लगता है।
लेकिन इसके लिए उन्हें अपने ओवुलेशन चक्र के दौरान सम्बन्ध बनाना होता है। जिसको आज भी बहुत से लोग नहीं जानते। जिसके कारण उनके मन में यह प्रश्न बना रहता है कि महिला प्रेग्नेंट कब नहीं होती है?
बहुत से लोग पीरियड में भी संबंध बनाते है। बिना यह जाने कि क्या पीरियड में संबंध बनाना चाहिए। क्योकि मासिक के दौरान संबंध बनाने से, महिला और पुरुष को दर्द या चोटे लग सकती है।
महिलाओं में गर्भ कब नहीं ठहरता है ( when can a woman not get pregnant )?
आयुर्वेद के अनुसार महिलाओं का ऋतुकाल बीत जाने पर, संबंध बनाने से महिला गर्भ धारण नहीं करती। जिसको आधुनिक चिकित्सा के जानकार कहते है कि महिलाए यदि ओवुलेशन चक्र के दौरान संबंध बनाये, तो इनके गर्भवती होने की संभावना सबसे अधिक होती है। जिसके बीतते जाने पर गर्भ धारण की आशंका कम होती जाती है।
परन्तु संभावित ओवुलेशन चक्र का पता लगाने के लिए, गर्भ धारण की इच्छा वाली महिलाओ को अपने पीरियड को ट्रैक करना ही आवश्यक नहीं, बल्कि अपने पुरुष साथी का प्रजनन करने के योग्य होना भी जरूरी है। अर्थात पुरुष वीर्य में शुक्राणुओ की संख्या और शुक्राणु पूंछ का पाया जाना जरूरी है।
ताकि महिला गर्भ धारण के सबसे अनुकूल समय पर, सम्बन्ध बनाकर गर्भवती हो सके। इस समय का ठीक – ठीक आकलन न होने से, महिला प्रेग्नेंट कब नहीं होती है का पता नहीं चल पाता। लेकिन इसके लिए महिला और पुरुष दोनों का स्वस्थ रहना अपेक्षित है। किन्तु आजकल के दूषित वातावरण के दुष्प्रभाव से कौन – कितना सुरक्षित है, कह पाना कठिन है।
जिसको न समझने वाले जोड़े, इस उहापोह में लगे रहते है कि महिला प्रेग्नेंट कब नहीं होती है? जिससे महिलाओं में प्रेगनेंसी को लेकर, तनाव की स्थिति देखने को मिलने लगती है। वही इसको जानने वाले को प्राकृतिक रूप से, परिवार नियोजन का अवसर मिल जाता है। जो न केवल दर्द रहित है, बल्कि अनावश्यक दुष्प्रभाव से भी बचाने वाला है।
लेकिन प्रमाद ( गड़बड़ी ) होने पर गर्भ रुकने की भी संभावना बनी रहती है। क्योकि इस दौरान महिलाए तो संयम रख लेती है, लेकिन प्रायः पुरुष नहीं रख पाते। जिससे पीरियड में प्रेगनेंसी हो सकती है। आमतौर पर स्थायी रूप से गर्भ न धारण कर पाने के निम्नलिखित कारण हो सकते है –
अनियमित जीवनशैली और खानपान
अनियमित जीवशैली और दूषित खान पान का सबसे बड़ा वरदान कुपोषण है। जिसके पाए जाने पर महिला को, गर्भ धारण करने में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। जिसको दूर करने पर न केवल मां, बल्कि उसके बच्चे को भी पर्याप्त पोषण मिलता है।
आज के वैज्ञानिक युग की महिलाओं में भी पोषण की पर्याप्त कमी है। जिसके कारण गर्भ धारण करने में तो कठिनाई होती ही है। इसके साथ महिला के गर्भवती होने पर भी तरह – तरह की समस्याए होती है। जिससे पीड़ित महिला कब प्रेग्नेंट नहीं होती है ( mahila kab pregnant nahi hoti hai ), और कब होती है नहीं पता चल पाता।
हार्मोनल इम्बैलेंस होना
महिलाओं में अक्सर हार्मोनल इम्बैलेंस की समस्या देखी जाती है। जिसके कारण इनके आर्तव चक्र में अनेको तरह की समस्याए देखी जाती है। जिनमे पी सी ओ डी ( pcod ) , कष्टार्तव और अनार्तव जैसी समस्याए है। जिनको आमतौर पर पीरियड का इर्रेगुलर होना कहा जाता है।
जिसमे पल्विक पेन, पेट में मरोड़ आदि होता है। जिससे बचने के लिए कुछ लोग पीरियड के दौरान संबंध बनाने की सलाह देते है। लेकिन आयुर्वेद में पीरियड में संबंध बनाने के नुकसान बताये गए है।
जब महिलाओ में पीरियड्स से सम्बंधित समस्याए होती है। तब बहुत सी महिला में पीरियड के समय ब्लीडिंग बहुत थोड़ी और कम दिन तक होती है। वही दूसरी ओर ऐसी महिलाए भी है, जिनको ब्लीडिंग बहुत अधिक और ज्यादा दिनों तक होती है। जो महिलाओं को गर्भ धारण करने में परेशानी पैदा कर सकता है।
जिससे पीरियड के बाद निकलने वाला व्हाइट डिस्चार्ज ( सर्वाइकल म्यूकस ) नहीं हो पाता। महिलाओ को प्रेग्नेंट होने में समस्या का सामना करना पड़ सकता है। इस कारण महिला प्रेग्नेंट कब नहीं होती है को जानना कठिन हो जाता है।
फर्टिलिटी पीरियड ( fertility period ) का ठीक से पता न चलना
आज की अनियमित जीवनशैली महिलाओं के, मासिक चक्र को अनियमित करने में सहायक है। जिसके कारण तीन तरह की परिस्थिया देखने को मिलती है –
- कुछ महिलाओं को एक महीने में दो बार पीरियड आ जाते है।
- वही कुछ महिलाए ऐसी होती है। जिनको महीनों पीरियड नहीं आते।
- जबकि कुछ महिलाओ में हर महीने अलग – अलग समय पर, पीरियड्स हुआ करते है।
जिन महिलाओं में इस तरह की समस्या होती है। वो अपने पीरियड का ठीक – ठीक आकलन नहीं कर पाती। जबकि महिला को गर्भवती होने के लिए ओवुलेशन चक्र के दौरान, या इससे कुछ दिन पहले सम्बन्ध बनाना होता है। जो पीरियड के बाद बहुत ही सीमित समय के लिए होता है।
जब महिला का मासिक चक्र घटता या बढ़ता है, तो इसका प्रभाव ओवुलेशन पीरियड पर भी पड़ता है। जिससे महिला के गर्भवती होने के सबसे उपजाऊ समय का पता नहीं चल पाता। इस कारण महिला को गर्भ धारण करने में समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
स्वास्थ्य समस्या होने पर
कुछ स्वास्थ्य समस्याए ऐसी होती है। जो महिला को गर्भ धारण करने में रोड़ा अटकाती है। जैसे असंतुलित थायराइड, मधुमेह जैसी बीमारियों के साथ – साथ ऑटोइम्यून डिजीज आदि है। इसके साथ कुछ दवाई भी गर्भ ठहरने में परेशानी करता है। जैसे – एंटीडिप्रेसेंट दवाइया इत्यादि। इस कारण बिना सही सलाह लिए, दवाइयों के सेवन से सदैव बचना चाहिए।
यौन सम्बन्धी रोग होने पर
महिला के प्रजनन अंग सुकोमल और सघन होते है। जिसके कारण महिलाओं को संक्रमण होने आदि होने का खतरा अक्सर बना रहता है। जैसे – सम्बन्ध के समय योनि में दर्द होना, योनि मार्ग का सूख जाना, योनि में खुजली इत्यादि होना। यह छोटी – छोटी समस्याए भी कभी – कभी किसी – किसी महिला में गर्भ धारण नहीं होने देती। जिससे उन्हें पता ही नहीं चल पाता कि गर्भ कब नहीं ठहरता है ( garbh kab nahi thaharta hai ).
गर्भाशय में गाँठ होना
जिन महिलाओं को गर्भाशय के मुँह पर, रसौली ( ट्यूमर ) की समस्या देखी जाती है। उन महिलाओ को अक्सर गर्भ धारण करने में, कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे ज्यादातर मामलों में महिलाओं को माहवारी के दौरान, गर्भाशय का मुँह बंद होने से रज स्राव बहुत कम होता है।
जिससे सम्बन्ध बनाने के दौरान, महिला को अत्यधिक दर्द का भी सामना करना पद सकता है। इसके साथ युट्रस का मुँह बंद होने से, वीर्य गर्भाशय में नहीं जा पाता। जिसके कारण महिला के ओवरी से निकलने वाले, अंडे फर्टिलाइज्ड नहीं हो पाते। जिससे गर्भ के ठहरने में कठिनाई होती है।
किन्तु कुछ महिलाओं में गर्भाशय गाँठ के पाए जाने पर, बहुत अधिक रज स्राव भी हो सकता है। जिसके कारण इनका मासिक चक्र के दिनों में बदलाव देखा जाता है। जिससे महिला प्रेग्नेंट कब नहीं होती है ( mahila pregnant kab nahi hoti hai ) नहीं पता चल पाता।
फैलोपियन ट्यूब का मुँह बंद होना
महिलाओं में पायी जाने वाली फैलोपियन ट्यूब, गर्भाशय और अंडाशय के बीच का होता है। जिसका मुँह बंद होने से अंडाशय से अंडा निकलकर पुरुष शुक्राणुओ से नहीं मिल पाता। जिससे महिला प्रेग्नेंट नहीं हो पाती।
यह न केवल अंडाशय से निकलने वाले अंडे को खींचती है, बल्कि अंडे को फर्टीलाइज्ड होने में भी मदद करती है। लेकिन जब किसी कारण बंद ( ब्लाक ) हो जाती है, तब महिला के गर्भ ठहरने की गुंजाइस भी कम हो जाती है।
जिन महिलाओं में यह समस्या होती है। वो बार – बार प्रयास करने के बावजूद गर्भ धारण नहीं कर पाती। जिससे उनके मन में महिला प्रेग्नेंट कब नहीं होती है और कब होती है को लेकर जिज्ञासा बनी रहती है।
महिला में ओवुलेशन न होना
कुछ महिलाओं में ओव्यूलेशन जन्म से ही नहीं होता। जिसके कारण वो महिलाए नपुंसकता या बांझपन की शिकार होती है। हालाकिं यह समस्या केवल महिला में ही नहीं, बल्कि पुरुष में भी पायी जा सकती है। बहुत कम मामले ऐसे होते है, जिनमे दोनों में यह समस्या देखने को मिलती है। यह महिलाओं में गर्भ न रुकने का स्थायी कारण है।
जबकि कुछ में विवाह के बाद ओवुलेशन न होने की समस्या बन जाती है। जो आमतौर पर अस्थायी होती है। किन्तु इसका समय पर इलाज कराना जरूरी है। जिन महिलाओं में यह समस्या पायी जाती है। वो चाहे पीरियड में संबंध बनाने से क्या होता है को जाने या न जाने उन पर कोई प्रभाव नहीं होता। क्योकि उन्हें गर्भ रुकता ही नहीं।
महिला की आयु अधिक हो जाने पर
जैसे – जैसे महिला की आयु बढ़ती जाती है। उसके अंडाशय से अंडे निकलने कम होते जाते है। और एक दिन ऐसा आता है, जब महिला का मासिक धरम आना ही बंद हो जाता है। जिसको मेनोपॉज या रजोनिवृत्ति के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा होने पर प्रायः महिलाओं में अंडाशय से अंडा निकलना बंद हो जाता है। जिससे गर्भ के रुकने की संभावना पूरी तरह समाप्त हो जाती है।
आखिर महिला प्रेग्नेंट कब नहीं होती है ( When does a woman not get pregnant in hindi )
जाने अनजाने विवाहित जोड़ों में कुछ ऐसी बाते होती है। जिसके कारण महिला गर्भ धारण नहीं कर पाती। जैसे –
- गर्भ निरोधक गोलियों ( कंट्रासेप्टिव पिल्स ) का लगातार इस्तेमाल करने से
- सेफ पीरियड में संबंध बनाना
- ऋतुकाल के दौरान नियमित सेक्स न करने से
- पति – पत्नी में जान समझकर, इस दौरान शारीरिक सम्बन्ध न बनाना
- पीरियड के दौरान संबंध न बनाने से
- पीरियड समाप्त होने के बाद लगातार सुरक्षित यौन संबंध बनाते रहने से
- अत्यधिक तनाव लेने से
- धूम्रपान और मादक द्रव्यो का सेवन करने से
- प्रेगनेंसी के लिए घातक दवा का सेवन करने से
- कॉपर टी लगवाने पर
- महिला या पुरुष नसबंदी हो जाने पर, आदि।
आयुर्वेदानुसार महिला प्रेग्नेंट कब नहीं होती है?
आयुर्वेद में मासिक धर्म शुरू होने के 10 वे दिन से लेकर, 16 वे दिन तक का समय गर्भधारण के लिए सबसे अच्छा माना गया है। जो विवाहित जोड़े माता – पिता बनना चाहते है, अर्थात मातृत्व – पितृत्व सुख पाना चाहते है। उनके लिए यह सम्बन्ध बनाने का सबसे उपयुक्त समय होता है।
वही जो जोड़े बच्चे की चाह नहीं रखते, उनके लिए यह परहेज करने का समय होता है। जिसमे स्वयः पर नियंत्रण रखना जरूरी है। वही इस समयावधि के व्यतीत हो जाने के बाद, सम्बन्ध बनाने पर प्रायः महिलाए गर्भवती नहीं होती। परन्तु बहुत से जोड़े इन बातो को नहीं जान पाते। जिससे उनके मन में यह बात बनी रहती है कि महिला प्रेग्नेंट कब नहीं होती है?
उपसंहार :
महिलाओं में गर्भ रुकने के स्थायी और अस्थायी नामक दो कारण होते है। जिन महिलाओ को ओवुलेशन होने में समस्या होती है। उन्हें गर्भ न ठहरने के स्थाई कारणों में गिना जाता है। ऐसी महिला प्रायः प्रेग्नेंट नहीं हो पाती। लेकिन अधिकांश महिलाओं मे गर्भ न रुकने के अस्थायी कारण ही देखे जाते है। जिनके दूर होते ही महिला प्रेग्नेंट हो जाया करती है।
परन्तु अधिकांश महिलाए अपने सबसे उपजाऊ दिनों को नहीं जान पाती। जिससे उनको यह नहीं पता चल पाता कि महिला प्रेग्नेंट कब नहीं होती है और कब होती है। जबकि महिलाओं को गर्भवती होने के लिए, उनके ओवुलेशन पीरियड के आस – पास का समय सबसे अच्छा होता है।
वही यह समय बीत जाने पर बार – बार सम्बन्ध बनाने के बावजूद, गर्भ नहीं ठहरता। जिससे महिलाओं में मन में सवाल उठने लगता है कि आखिर महिला प्रेग्नेंट कब नहीं होती है। इस लेख में ऊपर बताई गई बातों से स्पष्ट है कि ओवुलेशन पीरियड के बीत जाने पर महिला प्रेग्नेंट नहीं होती। फिर चाहे जितनी देर तक, कितनी ही बार सम्बन्ध क्यों न बनाया जाय।
सन्दर्भ :
भाव प्रकाश – गर्भ प्रकरण
FAQ
महिला प्रेग्नेंट कब होती है?
आमतौर पर महिलाए ओवुलेशन पीरियड के दौरान सम्बन्ध बनाने पर ही गर्भवती होती है। जो महिला के मासिक धर्म के बीच का सबसे उपजाऊ समय होता है।
गर्भ कब ठहरता है ( garbh kab thaharta hai )?
जिस समय महिला अण्डोत्सर्ग करती है। वह समय महिलाओं के लिए गर्भ धारण करने का सबसे सही समय होता है। जिसके दौरान महिला और पुरुष सम्बन्ध बनाये तो गर्भ ठहरने की संभावना सबसे अधिक होती है।
पीरियड में संबंध बनाने से क्या प्रेग्नेंट हो सकते हैं?
हाँ, महिला में पीरियड आना शुरू होते ही गर्भाशय का मुँह खुल जाता है। जिसके दौरान सम्बन्ध बनाने से महिला के गर्भ धारण करने की संभावना पायी जाती है।
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