आजकल के ज्यादातर नवविवाहित जोड़े शादी के तुरंत बाद बच्चे के बजाय, एक – दुसरे के साथ भावुक और रोमांचक यादगार लम्हों को संजोना चाहते है। लेकिन उनके घर वाले नात – रिश्तेदार नव विवाहित जोड़े से, नन्हे मेहमान के स्वागत की आस लगाए बैठे होते है। परन्तु विवाह के कुछ साल बीतते ही विवाहित जोड़ों के मन में भी, माँ – बाप बनने की इच्छा जाग उठती है। जिसके लिए वह आपस में कई बार सम्बन्ध भी बनाते है। फिर भी कई बार सफल नहीं होते, क्योकि उन्हें नहीं पता होता कि पीरियड के कितने दिन पहले प्रेग्नेंट हो सकते हैं?
जिससे उन्हें गर्भ धारण करने के लिए सबसे उपयुक्त समय का पता नहीं चल पाता। जोकि हर महिला में अलग – अलग और बहुत थोड़े समय के लिए होता है। जिसमे सम्बन्ध बनाने से गर्भ के रुकने की संभावना सबसे अधिक पायी जाती है। वही इसके बीत जाने पर बार – बार संबंध बनाने के बाद भी, गर्भ के ठहरने की संभावना धीरे – धीरे कम होती जाती है। जो मासिक चक्र के पूरा होने पर पुनः प्राकृतिक रूप से दोहराई जाती है।
किंतु ज्यादातर मामलों में जानकारी न होने से, पीरियड में भी लोग संबंध बनाने लगते है। जबकि आयुर्वेद में पीरियड में संबंध बनाने के नुकसान बताये गए है। ऐसा होने पर पहली बार माँ बनने की इच्छा रखने वाली, महिलाओं का मनोबल टूटने लगता है। जिसको लेकर उनके मन में अनेको तरह के प्रश्न खड़े होने लगते है। जैसे – पीरियड के कितने दिन बाद संबंध बनाना चाहिए आदि।
हालाकिं प्रेगनेंसी न रुकने के और भी बहुत से कारण है। जिसमे मासिक धर्म का समय से न होना, पीरियड में ज्यादा या कम ब्लीडिंग होना इत्यादि है। जिनके पाए जाने पर महिलाओं को गर्भ धारण करने में कठिनाई हो सकती है।
ओव्यूलेशन क्या है ( ovulation kya hai )
महिलाओं को प्रति मास पीरियड्स आते है। जो तकनीकी रूप से तीन चरणों में पूरी होती है। जिसमे लगभग 28 दिन का समय लगता है। इसलिए महिला का मासिक धर्म औसतन 28 दिन का माना गया है। जिसमे ओवुलेशन, कूपिक और ल्युटिल चरण के बीच की प्रक्रिया है। जिसमे महिला के अंडाशय ( ओवरी ) से अंडे निकलते है। जिसको अण्डोत्सर्ग ( ओवुलेशन ) कहा जाता है।
ओवुलेशन पीरियड क्या होता है ( ovulation period kya hai )
जिस प्रकार अलग – अलग महिलाओं में, पीरियड की अवधि अलग – अलग देखी जाती है। उसी प्रकार हर महिला का ओवुलेशन पीरियड भी अलग होता है। जो कूपिक और ल्युटिल चरण से बहुत कम समय का होता है।
आमतौर पर महिला का पीरियड 28 दिन होने पर, ओव्यूलेशन माहवारी शुरू होने के लगभग 12 – 14 दिन के बीच का समय होता है। इस दौरान संबंध बनाने से, महिला के गर्भवती होने की संभावना सबसे अधिक होती है। वही इसको उल्टा करके समझे, तो ओव्यूलेशन पीरियड आने के 14 – 16 दिन पहले होता है। इसलिए लोग पीरियड के कितने दिन पहले प्रेग्नेंट हो सकते हैं पूछते है।
ओवुलेशन पीरियड कितने दिन का होता है ( ovulation period kitne din ka hota hai )
आमतौर पर महिलाओं में ओवुलेशन पीरियड तीन – चार दिन का पाया जाता है। जो शुरुआती 10 – 12 दिनों के बाद कूपिक चरण के पूरा होने के बाद होता है। यह प्रेगनेंसी के लिए सबसे बढ़िया समय होता है। लेकिन लोग पीरियड के कितने दिन पहले प्रेग्नेंट हो सकते हैं की बात करते है।
तो ल्युटिल चरण शुरू होने के तीन – चार दिन पहले ओवुलेशन होता है। जो पीरियड आने के लगभग 14 – 16 दिन पहले होता है। जिसमे संबंध बनाने से गर्भ ठहरने की संभावना सबसे अधिक पायी जाती है। इसलिए क्या पीरियड में संबंध बनाना चाहिए।
ओवुलेशन पीरियड कितने दिन पहले होता है ( ovulation period ke kitne din pahle hota hai )
ओवुलेशन पीरियड माहवारी के मध्य में होता है। जो अमूमन पीरियड शुरू होने के लगभग 12 – 14 दिन बाद होता है। जबकि पीरियड्स आने के लगभग 14 – 16 दिन पहले आता है। इस दौरान महिलाओ में पायी जाने वाली एक जोड़ी ओवरी से, प्रतिदिन से एक परिपक्व अंडा निकलता है। जो फैलोपियन नली से होता हुआ गर्भाशय में आता है।
इस समय संबंध बनाने से यह अंडा वीर्य ( स्पर्म ) में पाए जाने वाले शुक्र से मिलकर निषेचित हो जाता है। जिसे गर्भ का रुकना या ठहरना कहा जाता है। इसलिए जो महिलाए गर्भ धारण करना चाहती है। उन्हें पीरियड के कितने दिन पहले प्रेग्नेंट हो सकते हैं की जानकारी प्रेग्नेंट होने में मदद कर सकती है। वही इसको न समझने वाली महिलाए पीरियड के कितने दिन बाद प्रेग्नेंट होती है, उन्हें नहीं पता होता।
ओव्यूलेशन पेन के लक्षण ( ovulation pain ke lakshan )
ओव्यूलेशन पेन ( ovulation pain ) एक तरह का पेल्विक दर्द है। जो कुछ महिलाओं में ओवुलेशन पीरियड के दौरान देखा जाता है। यह अक्सर तब होता है, जब महिला की ओवरी से अंडा निकलता है। ओवरी महिलाओं में गर्भाशय के दाहिनी और बाई ओर पायी जाती है। जिसके कारण महिलाए ओवुलेशन पीरियड के दौरान, पेट के दाए और बाए ओर दर्द का अनुभव करती है। आमतौर पर ओव्यूलेशन पेन में निम्नलिखित लक्षण पाए जाते है –
- पेट में मरोड़ और ऐंठन होना
- योनि से खून आना
- वैजाइना से अंडे के सफेदी लिए सफेद रंग का स्राव होना
- तेज दर्द होने पर उबकाई या मतली आना
- पीठ के निचले हिस्से में दर्द होना
ओव्यूलेशन पीरियड के कितने दिन पहले प्रेग्नेंट हो सकते हैं?
महिला के मासिक धर्म चक्र में कुछ दिन ऐसे होते हैं। जब उनके अंडाशय से एक अंडा निकलता है, जो निषेचित होने के लिए बिलकुल तैयार होता है। यह समय सीमा बहुत संकीर्ण लेकिन गर्भावस्था के एकदम अनुकूल होती है। जिसको ओव्यूलेशन विंडो के नाम से भी जाना जाता है। इस अवधि की पहचान करके आप गर्भधारण की संभावनाओं को बढ़ा और घटा सकती है। अपने और आपके साथी के बीच संभोग के समय का निर्धारण कर सकती हैं।
गर्भधारण करने के लिए महिला के अंडाशय से परिपक्व अंडे का निकलकर, स्पर्म से मिलकर फर्टीलाइज्ड होना जरूरी है। जो महिलाओं में पीरियड्स शुरू होने के लगभग 14 – 16 दिन पहले होता है। जिसको ओव्यूलेशन पीरियड के नाम से जाना जाता है। यह गर्भ धारण करने का सबसे अच्छा समय है। अर्थात यदि विवाहित जोड़े मासिक चक्र के मध्य असुरक्षित संबंध बनाये तो महिला के गर्भवती होने की संभावना पायी जाती है।
आयुर्वेदानुसार गर्भधारण के लिए पीरियड शुरू होने के 10 वे दिन से लेकर 16 वे दिन तक को उपयोगी बताया गया है। जबकि आधुनिक लोग 10 से 20 दिन तक का समय मानते है। लेकिन आमतौर पर लोग पीरियड के कितने दिन पहले प्रेग्नेंट हो सकते हैं जानने की जुगत में लगे रहते है। जो पीरियड शुरू होने के 14 – 16 दिन पहले आता है। लगभग यही समय महिला के अण्डोत्सर्ग का होता है। जिसके दौरान नियमित सुरक्षा के बगैर यौन संबंध बनाने से, महिला गर्भवती हो सकती है।
पीरियड आने से कितने दिन पहले प्रेग्नेंट हो सकते हैं?
आमतौर पर लोगो की ऐसी धारणा है कि पीरियड में सम्भोग करने से महिला के गर्भ धारण की संभावना सबसे अधिक होती है। जोकि एक तरह का मिथक है। जिसको बच्चे के लिए प्रयास कर रहे, पति – पत्नी को समझना आवश्यक है। क्योकि संबंध बनाने से पीरियड में प्रेगनेंसी हो सकती है। इस तरह के छोटे – छोटे मिथक आपके तनाव को बढ़ाते है। जिससे आपके मासिक धर्म चक्र पर बुरा असर पड़ता है। जिसके कारण आपके माहवारी के दिनों में बदलाव हो सकता है। ऐसा होने पर आपको गर्भ धारण करने में परेशानी भी उठानी पड़ सकती है।
यदि आप अपना परिवार बढ़ाने के बारे में सोच रही है तो उसके लिए आपको अपने सबसे उपजाऊ दिनों में सम्भोग करना होगा। जिसको चिकित्सीय शब्दावली में ओवुलेशन पीरियड कहा जाता है। न कि पीरियड में संभोग करना होगा। इसके लिए आपको अपने पीरियड को ठीक से ट्रैक करना आवश्यक है। जिससे आप अपने ओव्यूलेशन वाले दिनों का सही – सही पता लगा सके।
यदि आप सचमुच में गर्भधारण करने के लिए उत्सुक है। लेकिन पीरियड के कितने दिन पहले प्रेग्नेंट हो सकते हैं या पीरियड के बाद के असमंजस में फंसी है। तो यह बात बिलकुल सही है कि महिला न पीरियड के पहले प्रेग्नेंट होती है और न बाद। वह हमेशा पीरियड्स के बीच में संबंध बनाने से ही गर्भ धारण करती है। जो उसका सबसे उपजाऊ समय ओव्यूलेशन वाला होता है। जिसके आसपास अथवा ओव्यूलेशन के समय संबंध बनाने से, महिला के गर्भधारण की संभावना सबसे अधिक होती है। जिसको आमतौर पर गर्भवती महिला अनुभव भी करती है। लेकिन पीरियड में संबंध बनाने से क्या होता है से अनजान होती है।
पीरियड के कितने दिन बाद प्रेग्नेंट हो सकते हैं?
अगर हम कहे कि महिला पीरियड के पहले ही नहीं, बल्कि बाद में भी गर्भधारण करती है तो इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। क्योकि महिलाओं में ओवुलेशन, पीरियड के बीच में आया करता है। जो पीरियड के ख़त्म होने और नया पीरियड आने के पहले का समय है। इससे भ्रमित हो कर लोग पीरियड के कितने दिन पहले प्रेग्नेंट हो सकते हैं के साथ – साथ पीरियड के कितने दिन बाद प्रेग्नेंट हो सकते हैं की बात करते है। जो महिला के गर्भवती होने ही नहीं, बल्कि गर्भ धारण से बचने के लिए भी जानना जरूरी है।
आइये पीरियड के कितने दिन पहले प्रेग्नेंट हो सकते हैं को जान लेने के बाद, पीरियड के कितने दिन बाद प्रेग्नेंट हो सकते है को जानते है। यदि किसी महिला के मासिक चक्र का समय 28 दिन का है, तो उसका ओवुलेशन पीरियड माहवारी शुरू होने के 12 – 14 दिन के बीच होगा। लेकिन बहुत सी महिलाओं में मासिक चक्र 21 से लेकर 34 दिन तक भी देखा जाता है। इसलिए जो महिलाए गर्भवती होना चाहती है। उन्हें 8 वे दिन से लेकर 16 वे दिन तक नियमित संबंध बनाते रहना चाहिए।
ऐसा करने पर अनियमित, जल्दी और देर से मासिक धर्म वाली, महिलाओं को भी गर्भ धारण करने में मदद मिलेगी। आम तौर पर गर्भवती महिला भी यह नहीं जान पाती कि पीरियड के कितने दिन पहले प्रेग्नेंट हो सकते हैं? क्योकि उन्हें अपने पीरियड के दिनों के बारे में सटीक जानकारी नहीं होती। जिसके कारण वह कभी – कभी अनचाही प्रेगनेंसी का शिकार भी हो जाती है।
पीरियड के कितने दिन पहले प्रेग्नेंट नहीं हो सकते हैं?
यह प्रश्न अक्सर प्रेगनेंसी से बचने वाली महिलाए किया करती है। अर्थात वह जोड़े जो संबंध तो बनाना चाहते है, लेकिन बच्चा नहीं चाहते। सीधे और साफ़ शब्दों में कहे तो परिवार नियोजन अपनाना चाह रहे है।
ऐसे जोड़ों के लिए ओवुलेशन के बाद, ल्युटिल चरण वाले दिनों को अच्छा माना गया है। जिसमे संबंध बनाने से प्रायः गर्भ नहीं ठहरता। जो आमतौर पर पीरियड शुरू होने से 16 वे दिन के बाद शुरू हो कर, पीरियड आने के ठीक पहले तक का होता है। जैसे – जैसे यह दिन आगे बढ़ते है, गर्भ धारण की संभावना उतनी ही कम होती जाती है। यह बात ठीक पीरियड के कितने दिन पहले प्रेग्नेंट हो सकते हैं की उल्टी है।
उपसंहार :
पहली बार माता – पिता बनने जा रहे जोड़े इस बात से अनजान होते है कि पीरियड के कितने दिन पहले प्रेग्नेंट हो सकते हैं और कितने दिन बाद नहीं। जिसके कारण अनेक बार बच्चे की आस में कई महीनों तक, संबंध बनाने पर भी महिला का गर्भ नहीं ठहरता। जिससे उसके मन में पीरियड आने से कितने दिन पहले प्रेग्नेंट हो सकते हैं की बात बार – बार गूजने लगती है। इसके कारण वह इन भावुक क्षणों में अपना आपा खोकर, तनाव ग्रस्त हो बैठती है। जिससे कई बार महिलाओं को गर्भ धारण करने में परेशानी का सामना करना पड़ता है।
यह कहना सरासर गलत है कि महिला ओव्यूलेशन पीरियड के कुछ दिन पहले प्रेग्नेंट हो सकती है। बल्कि सच तो यह है महिला के ओव्यूलेशन पीरियड में ही, गर्भ धारण करने की संभावना सबसे अधिक होती है। प्रायः सभी महिलाओं में मासिक चक्र के बीच में ओवुलेशन होता है। जो योनि से रक्त स्राव होना बंद होने के लगभग एक सप्ताह बाद होता है। इस दौरान महिला की योनि से सफ़ेद रंग का स्राव निकलता है। जो महिला को संबंध बनाने के लिए सक्रिय बनाता है। जिससे वे इस दौरान संबंध को लेकर सकारात्मक रवैया भी अपनाती है।
वही पीरियड के कितने दिन पहले प्रेग्नेंट नहीं हो सकते हैं, यह बात वह जोड़े जानना चाहते है जो परिवार नियोजन के बारे में सोच रहे होते है। उनके लिए ओव्यूलेशन के समय को समझना बहुत महत्वपूर्ण है। क्योकि ओवुलेशन के समय स्वयं पर नियंत्रण रखना, बिना गर्भपात और नसबंदी के परिवार नियोजन की प्राकृतिक प्रक्रिया है। लेकिन इसमें भी चूक होने की पूरी संभावना है। जिसके कारण आजकल प्रेग्नेंट होने से बचने के लिए गर्भ निरोधक गोली और लैटेक्स कंडोम का प्रयोग किया जाता है। हालाकिं कि इनके भी अपने फायदे – नुकसान है।
सन्दर्भ :
भाव प्रकाश – गर्भ प्रकरण
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